ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर के बीच बसेगा 'नया शहर', जानें- क्यों पड़ी इसकी जरूरत और कब पूरा होगा काम?

Ground Report: ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर के बीच 80 गांव की जमीन पर बसने वाले शहर को दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंडस्ट्रियल रीजन के नाम से जाना जाएगा. ए शहर को बसाने के लिए 21,000 हेक्‍टेअर जमीन भी अलॉट कर दी गई है.

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नई दिल्ली:

नोएडा, ग्रेटर नोएडा के बाद अब एक और नया शहर बसाने की तैयारी की जा रही है. इसका नाम 'दादरी-नोएडा-गाजियाबाद इंडस्ट्रियल रिजन' रखा जाएगा. ग्रेटर नोएडा और बुलंदशहर के बीच नए शहर को बसाने के लिए 21,000 हेक्‍टेअर जमीन भी अलॉट कर दी गई है. बुलंदशहर और गाजियाबाद को भी मिलाकर करीब 86 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा. नोएडा अथॉरिटी ने अपने मास्‍टर प्‍लान को साल 2041 तक पूरा करने की योजना बनाई है.

गौतमबुद्ध नगर में प्राधिकरण ने अंतिम गांव मांयचा को भी अधिग्रहित कर लिया है. इसी गांव से करीब 1 किमी दूर दिल्ली-हावड़ा रेललाइन के उस पार नए शहर को बसाने की तैयारी शुरू हो गई है. NDTV के ग्राउंड रिपोर्ट में जानिए कहां बनेगा नया शहर और आखिर नए शहर की क्यों हो रही जरूरत? 

ये होगी लोकेशन
दिल्ली-हावड़ा रेलवे ट्रैक के इस पार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की जमीन है. दूसरी तरफ गौतमबुद्ध नगर के 20 गांव हैं. उसके बाद बुलंदशहर के 60 गांव हैं. इन्हें मिलाकर 'नया नोएडा' बसाया जाना है. रेलवे ट्रैक से आगे बढ़ने के बाद गौतमबुद्ध नगर का गांव फजायलपुर पड़ता है. अखबार के जरिए गांव के लोगों को पता चला है कि उनकी जमीन भी नए शहर के लिए अधिग्रहित होने वाली है. ज्यादातर गांववाले इस खबर से असमंजस की स्थिति में हैं. उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है.

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फायदा और नुकसान दोनों- स्थानीय निवासी
फजायलपुर गांव के युवा अतुल शर्मा बताते हैं, "देखिए फायदा ये है कि कई कंपनियां आएंगी. लोगों को रोजगार मिलेगा. साइड इफेक्ट ये है कि लोगों को मुआवजा मिल जाता है, फिर इस पैसे का लोग मैनेजमेंट नहीं कर पाते."

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फजायलपुर, चंद्रावल, फूलपुर समेत गौतमबुद्ध नगर और बुलंदशहर की करीब 21000 हेक्टेयर ज़मीन अधिग्रहित होनी है. ये इलाका इंस्टर्न पेरीफेरल और डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से सटा हुआ है. इसी के चलते यहां एक बड़ा लॉजिस्टिक हब बनाने की भी योजना है.

लोगों से लेंगे आपत्तियां- नोएडा सीईओ
नोएडा विकास प्राधिकरण के सीईओ एम लोकेश ने NDTV को बताया, "अभी हमने प्रस्ताव पास किया है. 40 फीसदी इंडस्ट्री और लॉजिस्टिक हब बनाएंगे. कुछ जमीन रेजिडेंशियल और एजुकेशन के लिए भी रखी गई है. अभी प्रस्ताव पास किया है. कुछ दिन बाद इसे जनता के सामने लाएंगे. लोगों से आपत्तियां भी लेंगे." 

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उधर, उद्योगपति न्यू नोएडा के बारे में क्या सोचते हैं ये जानने के लिए हमने Noida Enterpreneur Association से जुड़े सुधीर श्रीवास्तव से बात की. उन्होंने बताया कि उनकी नोएडा में केबल बनाने की फैक्ट्री है, वो उसका विस्तार करना चाह रहे हैं; लेकिन नोएडा में जमीन न मिलने से कई साल से उनका प्रोजेक्ट लटका है. अब न्यू नोएडा से उम्मीद बंधी है. 

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नई इंडस्ट्रिज के लिए बढ़ी उम्मीद
सुधीर श्रीवास्तव कहते हैं, "नोएडा औद्योगिक क्षेत्र में अब जमीन रह नहीं गई है. फैक्ट्री का विस्तार करना है, जो यहां मुश्किल है. इसलिए न्यू नोएडा एक बेहतर विकल्प हो सकता है. लेकिन बस एक बात का डर है कि एक समय ग्रेटर नोएडा एक्सटेंशन में भी औद्योगिक क्षेत्र बनाने की बात कही गई थी, लेकिन वो जमीनें बाद में लैंड यूज में बदलकर बिल्डर्स को दे दी गई थी." 

1975 में तैयार हुआ था नोएडा
1975 में न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डेवलेपमेंट अथॉरिटी यानी नोएडा को करीब 5 लाख की आबादी के लिए तैयार किया गया था. आज नोएडा में 6 हजार से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं. गौतमबुद्ध नगर की आबादी 19 लाख के आसपास है. ऐसे में बढ़ते औद्योगिकीकरण और आबादी का दबाव लोग महसूस कर रहे हैं. 

आबादी के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ा
sector 52 RWA के पूर्व अध्यक्ष पीके जैन बताते हैं, "पुलिस की व्यवस्था कमिश्नरेट बनने से ठीक हुई है, लेकिन नोएडा में पब्लिक ट्रांसपोर्ट और ट्रैफिक एक बड़ी समस्या है. आबादी के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बढ़ा है."

नोएडा के बाद ग्रेटर नोएडा, नोएडा एक्सटेंशन, यमुना एक्सप्रेसवे तक समय-समय पर विस्तार होता रहा है. लेकिन जब जनता के सामने न्यू नोएडा का मास्टर प्लान आधिकारिक तौर पर आएगा, तभी पता चलेगा कि नए औद्योगिक माहौल और आवासीय जरूरतों की चुनौतियों का न्यू नोएडा शहर कैसे मुकाबला करता है.

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