2008 के बस हाईजैक की याद दिलाती मुंबई में बच्चों को बंधक बनाने की घटना

मुंबई के पवई में 30 अक्टूबर 2025 को रोहित आर्या नामक एक शख्स के 17 बच्चों को बंधक बनाने की घटना ने 17 साल पहले मुंबई में ही हुए एक होस्टेज ड्रामा की याद दिला दी. तब मैंने एक रिपोर्टर के तौर पर उस पूरी घटना को कवर किया था. पढ़ें उस दिन क्या हुआ था...

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  • 27 अक्टूबर 2008 की सुबह ये खबर आई कि कुर्ला इलाके में 332 नंबर की डबल डेकर बस को किसी ने हाईजैक कर लिया है.
  • पुलिस ने जल्द ही बंधकों को बचा लिया, हाईजैकर मारा गया, जो यह कह रहा था कि वो राज ठाकरे को मारना चाहता है.
  • बताया गया कि हाईजैकर मुंबई में उत्तर भारतीयों से हो रही बदसलूकी से खफा था.
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साल 2008 देश के लिए एक खून-खराबे वाले साल के तौर पर याद रखा जाएगा. उस साल देश की राजधानी दिल्ली से लेकर, बेंगलुरु, अहमदाबाद, जयपुर और गुवाहाटी तक कई शहरों में बम धमाके हुए थे, सैकड़ों की संख्या में लोगों की जानें गई थीं और हजारों घायल हुए. हालांकि तब मुंबई पूरी तरह शांत थी. जुलाई 2006 में हुए ट्रेन ब्लास्ट के बाद से यहां कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ था. पूरे देश में कई ब्लास्ट को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन का नाम तब मुंबई से जुड़ चुका था लेकिन शहर उस समय तक इसके गलत मंसूबों से बचा हुआ था.  

बॉलीवुड के गाने 'ये बंबई शहर हादसों का शहर है', में मुंबई को हादसों का शहर बताया गया है. इसके दावे जैसे सच ही होते थे, मुंबई लंबे समय तक शांत नहीं रहती. कुछ महीनों की शांति के बाद मुंबई के आम आदमी में फिर डर और बेचैनी का माहौल बन गया.

27 अक्टूबर 2008 की सुबह करीब 10:30 बजे ये खबर आई कि कुर्ला इलाके में 332 नंबर की डबल डेकर बस को किसी ने हाईजैक कर लिया है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक, एक यात्री को गोली मार दी गई और 12 को बंधक बनाया गया था. ये सुनते ही मुझे आशंका हुई कि हो न हो इसमें इंडियन मुजाहिद्दीन का हाथ हो और उसने मुंबई में हमले शुरू कर दिए हैं. तभी मुझे मुंबई पुलिस के अपने एक सूत्र से कॉल आई कि हाईजैकर मीडिया से बात करना चाहता है. मैं तुरंत मौके पर रवाना हुआ, जो करीब 14 किलोमीटर दूर था. मेरे साथी उमेश कुमावत जो किसी दूसरे शूट पर थे, उसे छोड़कर वो भी मौका-ए-वारदात के लिए निकल पड़े.

बंधकों को छुड़ाने के लिए वार्ताकार बनने के ख्याल से मैं रोमांचित हो रहा था. मन ही मन खुद को तैयार कर रहा था कि हाईजैकर को कैसे समझाउंगा कि वो बंधकों को छोड़ दें और आत्मसमर्पण कर दे. ये मेरे लिए बहुत बड़ा अनुभव होता. पर जब तक मैं कुर्ला पहुंचा, सब कुछ खत्म हो चुका था. बस वाले इलाके को पूरी तरह खाली करवा लिया गया था, पुलिस ने सभी बंधकों को बचा लिया था और हाईजैकर मारा गया था और उसे शव को अस्पताल ले जाया जा रहा था. एसीपी मोहम्मद जावेद अपनी खाली हो चुकी सर्विस रिवॉल्वर थामे तब भी बस के पास ही खड़े थे. एसीपी जावेद ने ही हाईजैकर पर सबसे पहले गोली चलाई थी, उनके नेतृत्व में ही पुलिस टीम बस के अंदर गई थी.

एसीपी जावेद ने मुझसे कहा, “जब मैं बस में घुसा तो वो एक यात्री को पकड़कर उसपर बंदूक ताने खड़ा था. मैंने उसे आत्मसमर्पण करने को कहा, लेकिन वो नहीं माना. उस यात्री की जान बचाने के लिए मुझे गोली चलानी पड़ी.”
एसीपी जावेद और उनकी पुलिस टीम ने करीब दर्जनभर गोलियां चलाईं, उनमें से तीन उसके सिर में और एक उसके सीने में लगी.

हाईजैकर की 25 साल के कुंदन सिंह उर्फ राहुल राज के रूप में पहचान हई, जो बिहार के पटना का रहने वाला था. वो महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे के उत्तर भारतीयों के खिलाफ बयानों से भड़का हुआ था. उस साल भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राज ठाकरे गिरफ्तार किए गए थे जिसके बाद उनके कार्यकर्ताओं ने उत्तर भारतीयों पर हमला किया था. हिंसक भीड़ ने कुछ लोगों को पीट-पीट कर मार भी डाला था. उस दौरान रेलवे भर्ती परीक्षा देने मुंबई आए उत्तर भारत के कई युवकों को भी पीटा गया था.

उस घटना से खफा राहुल राज देसी कट्टा लेकर मुंबई पहुंचा और साकीनाका से बेस्ट की डबल डेकर बस में चढ़ा. जब बस कुर्ला पहुंची, तो उसने कट्टा निकालकर बस पर कब्जा कर लिया और ऊपर की मंजिल पर कुछ यात्रियों को बंधक बना लिया. जब उसने देखा कि पुलिस बस को घेरते हुए आगे बढ़ रही है, तो उसने आनन फानन में गोलीबारी शुरू कर दी, जिसमें एक यात्री घायल हो गया. बस में मौजूद लोगों ने उसे खिड़की से चिल्लाते हुए सुना कि वह यात्रियों को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहता, लेकिन राज ठाकरे को मारना चाहता है.

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मुठभेड़ के बाद बिहार और महाराष्ट्र के नेताओं के बीच जमकर बयानबाजी हुई. बिहार के नेताओं ने आरोप लगाया कि मुंबई पुलिस ने राहुल राज को जिंदा पकड़ने की कोशिश नहीं की. वहीं महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि पुलिस ने हालात के मुताबिक सही कदम उठाया. राज्य सरकार ने इस पर मुख्य सचिव स्तरीय जांच के आदेश दिए और कुछ याचिकाकर्ता इसे लेकर पटना हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे.

हालांकि बस हाईजैक की इस घटना ने मुंबई के लोगों, खासकर बस यात्रियों में एक डर जरूर पैदा कर दिया, लेकिन यह मुंबई के इतिहास की पिछली घटनाओं की तुलना में कहीं छोटी घटना थी. तब किसी को ये अंदाजा नहीं था कि इस घटना के ठीक एक महीने बाद, मुंबई में कुछ ऐसा होने वाला है जो पूरी दुनिया को हिला देगा.

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