त्योहारी मौसम आ गया, लोगों ने मास्क और सामाजिक दूरी से बना ली 'दूरी'; सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले

केवल 13 फीसदी लोगों ने अपने क्षेत्र में मास्क पहनने की सलाह पर अमल को प्रभावी करार दिया, महज छह प्रतिशत लोगों ने सामाजिक दूरी को लाभदायक बताया

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प्रतीकत्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

भारत में त्योहारी मौसम शुरू होने के साथ ही कोविड-19 के लिए मास्क लगाने एवं सामाजिक दूरी के अनुपालन की हिदायतें निष्प्रभावी होने लगी हैं, क्योंकि एक सर्वेक्षण में पाया गया है कि केवल 13 फीसदी लोगों ने अपने क्षेत्र और जिले में मास्क पहनने की सलाह पर अमल को प्रभावी करार दिया, जबकि महज छह प्रतिशत लोगों ने सामाजिक दूरी को लाभदायक बताया है. डिजिटल कम्युनिटी आधारित प्लेटफॉर्म ‘लोकलसर्किल्स' द्वारा किए गए सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ है. सर्वेक्षण में देश के 366 जिलों के कम से कम 65 हजार लोगों की प्रतिक्रियाएं प्राप्त हुई हैं, जिनसे यह पूछा गया था कि उड़ानों/ हवाईअड्डों/ रेलगाड़ियों/ रेलवे स्टेशनों और बसों/ बस अड्डों तथा टीकाकरण केंद्र जैसे स्थानों पर लोग किस हद तक मास्क लगाने एवं सामाजिक दूरी बनाए रखने के कोविड प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हैं.

सर्वेक्षण में 64 प्रतिशत पुरुषों एवं 36 प्रतिशत महिलाओं ने हिस्सा लिया जिनमें अपनी प्रतिकिया देने वाले 46 प्रतिशत लोग प्रथम श्रेणी के इलाकों से, 29 प्रतिशत द्वितीय श्रेणी के इलाकों और शेष 25 फीसदी लोग तृतीय श्रेणी और ग्रामीण जिलों के निवासी थे.

लोकलसर्किल्स द्वारा इस साल जून में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, उस वक्त 29 फीसदी लोगों ने मास्क लगाने और 11 फीसदी द्वारा सामाजिक दूरी का अनुपालन किए जाने के संकेत दिए थे. सर्वेक्षण के इस आंकड़े को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस साल छह जुलाई को अपनी ब्रीफिंग में साझा किया था.

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लोकलसर्किल्स के संस्थापक सचिन तपारिया ने कहा, ‘‘मास्क लगाने की सलाह पर अमल 29 फीसदी से गिरकर 13 फीसदी रह गया, जबकि सामाजिक दूरी का अनुपालन 11 फीसदी से घटकर छह फीसदी रह गया, जो यह दर्शाता है कि कोविड के इस महत्वपूर्ण प्रोटोकॉल पर लोगों ने ध्यान देना छोड़ दिया है, क्योंकि उन्हें लगता है कि कोविड-19 महामारी अब खत्म हो गई है. उन्होंने आगाह किया कि देश में त्योहारी मौसम शुरू हो गया है और सामाजिक स्तर पर मिलने-जुलने, शॉपिंग और सामुदायिक कार्यक्रमों के कारण कोविड के मामलों में बढ़ोतरी का जोखिम बहुत अधिक होगा.

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लोकलसर्किल्स ने इस वर्ष 23 मार्च को मास्क पहनने और सामाजिक दूरी के नियमों के पालन की आवश्यकता जताई थी और यथाशीघ्र आवागमन पर रोक लगाने या लॉकडाउन लगाने की सलाह दी थी, क्योंकि उस वक्त ‘सिटीजन पल्स ट्रैकर्स' ने उच्च जोखिम के संकेत दिए थे.

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नवीनतम सर्वेक्षण में केवल 13 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके जिले में 90 फीसदी से अधिक निवासी कोविड नियमों का पालन करते हैं और केवल 30 फीसदी व्यक्तियों ने हवाईअड्डों, स्टेशनों और बस अड्डों आदि पर मास्क पहनने को कारगर बताया है. सर्वेक्षण में यह भी दिखाया गया है कि टीका केंद्रों पर मास्क पहनने के नियमों का अपेक्षाकृत अधिक पालन किया गया, क्योंकि 61 फीसदी नागरिकों ने कहा कि पिछले दो महीनों में उन्होंने जब टीकाकरण केंद्रों का दौरा किया तब वे मास्क के नियम का पालन करते रहे.

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सामाजिक दूरी के उपायों के पालन के संदर्भ में केवल छह फीसदी लोगों ने जवाब दिया कि उनके इलाके, जिले या शहर में इस पर प्रभावी तरीके से अमल किया गया है. उन लोगों ने कहा कि जिन स्थानों पर सामाजिक दूरी के नियमों की धज्जियां उड़ती रहीं, उन स्थानों में टीकाकरण केंद्र, रेलगाड़ियां, बस, शॉपिंग मॉल एवं इंडोर शॉपिंग परिसर शामिल हैं. इस प्रकार यदि टीकाकरण केंद्रों पर मास्क पहनने के प्रोटोकॉल पर अमल किया जाता है तो वहां सामाजिक दूरी के नियमों की धज्जियां उड़ती हैं.

सर्वेक्षण में हिस्सा लेने वालों में से 40 फीसदी लोगों ने कहा कि शॉपिंग मार्केट शीर्ष आउटडोर स्थान हैं, जहां सामाजिक दूरी के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है.

रिपोर्ट में एक बार फिर सलाह दी गई है कि केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और जिला प्रशासनों को स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करके यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सामुदायिक जमघटों के लिए मास्क और सामाजिक दूरी के नियम का पालन हो सके. सर्वेक्षण रिपोर्ट में कहा गया है कि इन नियमों का बिल्कुल पालन नहीं करने वाले श्रेणी-3, 4 के शहरों और ग्रामीण जिलों में जागरूकता फैलाने की आवश्यकता है.

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