दो साल बाद शुरू हुई अमरनाथ यात्रा में दिखा श्रद्धालुओं का जोश, खूबसूरत वादियां और बाबा बर्फानी के दर्शन से दिखे खुश

पंचतरणी से पवित्र अमरनाथ गुफा की दूरी छह किलोमीटर है. गुफा के पास 390 सीढ़ियां हैं, जिस पर चढ़कर श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं.

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कश्मीर:

कोरोना की वजह से दो साल बंद रहने के बाद अमरनाथ यात्रा इस साल एक बार फिर से शुरू हुई है. यही कारण है कि अमरनाथ यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी जोश है. पवित्र अमरनाथ गुफा के दर्शन के लिए इतनी बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं. हमारे सहयोगी शरद शर्मा ने अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम से सबसे पुराना और परंपरागत रूट लिया.

बताया जाता है कि माता पार्वती ने जब भगवान शिव से अमरता का रहस्य पूछा था और भगवान भोलेनाथ उन्हें गुफा की तरफ ले गए थे, तो वो इसी पहलगाम के रास्ते से गए थे. यहीं भगवान शिव ने अपनी सवारी नंदी को भी छोड़ा था. वहीं भगवान शिव ने जिस जगह पर अपनी जटाओं से चंद्रमा को अलग किया था वो जगह चंदनवारी है.

श्रीनगर एयरपोर्ट से पहलगाम 96 किलोमीटर है. वहीं जम्मू रेलवे स्टेशन से पहलगाम की दूरी 315 किलोमीटर है. चंदनवारी से पिस्सू टॉप तक का रास्ता काफी दुर्गम है. इस दौरान लोग घोड़े की सवारी की भी मदद लेते हैं. 

नागकोठी से ऊपर बेहद ही खूबसूरत शेषनाग झील है. कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां अपने गले से शेषनाग को उतारा था. घोड़ा और खच्चर से भी लोगों की खासी मदद होती है, जिससे हजारों श्रद्धालु पवित्र गुफा तक पहुंच पाते हैं. चंदनवारी से साढे सोलह किलोमीटर की दूरी पर सबसे ऊंचा प्वाइंट गणेश टॉप है.

वहीं गणेश टॉप से साढे नौ किलोमीटर आगे पंचतरणी है. यहां महादेव ने अपने से पांचों तत्वों को अलग किया था. पहलगाम और बालटाल से पंचतरणी तक हेलीकॉप्टर सेवा भी उपलब्ध है. पंचतरणी से पवित्र अमरनाथ गुफा की दूरी छह किलोमीटर है. गुफा के पास 390 सीढ़ियां हैं, जिस पर चढ़कर श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने पहुंचते हैं. 11 अगस्त तक चलने वाली इस यात्रा में हजारों श्रद्धालु रोजाना बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं.

इसी गुफा में भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरता का रहस्य बताया था. उस वक्त उन्होंने अग्नि को कहा था कि आसपास जो भी जीवित वस्तु है उसे नष्ट कर दे, ताकि अमरता का रहस्य कोई और ना जान पाए. इसके बाद उन्होंने माता पार्वती को अमरता का पूरा रहस्य बताया.

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बताया जाता है कि उस दौरान वहां दो श्वेत कबूतरों ने ये रहस्य सुन लिया था, इसके बाद महादेव ने कहा कि तुमने सुन ही लिया है तो अब जो लोग यहां आएंगे और उन्हें तुम्हारे दर्शन होंगे तो उन्हें शिव और पार्वती रूप के दर्शन का पुण्य मिलेगा.