रात 2 बजे फटा बादल और... कैसे एक परिवार के ही 16 लोग बह गए, सुनिए महिला से खौफनाक कहानी

गांव के बचे हुए ग्रामीण आस भरी नजरों से अपनों की तलाश कर रहे हैं. अपने परिजनों को खोने के बाद ये बिलख रहे हैं. एक दूसरे का हौसला भी बढ़ा रहे हैं, बीच-बीच में ये रेस्क्यू टीम पर भी नजर रख रहे हैं. ये मार्मिक कहानी काफी भावुक कर देने वाली है. (वीडी शर्मा की रिपोर्ट)

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शिमला:

सब कुछ खत्म हो गया है... पूरा परिवार ही उजड़ गया है. घर के 16 सदस्य अभी भी लपता है. कंपकंपाते हुए शब्दों और आस भरी नजरों से रेस्क्यू टीम की तरफ देखते हुए बुजुर्ग बक्शी राम अपनी कहानी दर्द के साथ बयां कर रहे हैं. श्रीखंड भूस्खलन में उन्होंने अपने परिवार के 16 लोगों को खोया है. उनकी कहानी में दर्द है, जो शब्दों से बाहर निकल रहा है. दरअसल, हिमाचल प्रदेश में करीब 2 बजे बादल फटने से शिमला जिले के रामपुर के समेज गांव में मातम छाया हुआ है. इस गांव में 6 लोगों की मौत हुई है. अभी भी 47 लोग लापता हैं. 

गांव के बचे हुए ग्रामीण आस भरी नजरों से अपनों की तलाश कर रहे हैं. अपने परिजनों को खोने के बाद ये बिलख रहे हैं. एक दूसरे का हौसला भी बढ़ा रहे हैं, बीच-बीच में ये रेस्क्यू टीम पर भी नजर रख रहे हैं. ये मार्मिक कहानी काफी भावुक कर देने वाली है.

क्या है पूरी कहानी?

शिमला जिले के रामपुर के झाकड़ी क्षेत्र से सटे समेज गांव में बादल फटने से 47 लोग लापता हैं. इन लोगों को बचाने के लिए जिला प्रशासन ने शुक्रवार सुबह 5:30 बजे बचाव कार्य शुरू किया. फिलहाल राहत व बचाव कार्य अभी भी जारी है.

हिमाचल प्रदेश के तीन जिलों में बादल फटने के बाद लापता हुए करीब 47 लोगों का पता लगाने के लिए बचाव अभियान शनिवार को फिर से शुरू हो गया लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है. अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा मोचन बल(एसडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), पुलिस और होमगार्ड की टीम के कुल 410 बचावकर्मी ड्रोन की मदद से खोज अभियान में शामिल हैं.

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समेज गांव की दर्दनाक कहानी

समेज गांव में बादल फटने के बाद 36 लोग लापता हैं.जिनमें एक परिवार के 16 लोग भी शामिल हैं. हिमाचल में अभी भी 47 लोग लापता हैं. समेज गांव के लोगों के लिए ये बेहद रुला देने वाली खबर है. पूरा का पूरा गांव दर्द से कराह रहा है. यहां के लोगों ने एनडीटीवी को अपनी दर्दनाक कहानी बताई.

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समेज गांव के  बुजुर्ग बक्शी राम आंसू भरी कहते हैं कि मेरे परिवार के 15-16 सदस्य बाढ़ में बह गए हैं. उन्होंने कहा कि ये घटना  2 बजे रात को हुई थी. उन्होंने बताया कि जब ये घटना हुई थी तो वे रामपुर गांव में थे. हालांकि, 4 बजे जब समेज गांव में पहुंचे तब तक सबकुछ खत्म हो गया था.

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गांव में सिर्फ एक घर बचा

रामपुर समेज की अनिता कहती हैं सिर्फ पूरे गांव में मेरा घर ही बचा है, बाकी सब कुछ मेरे सामने बह गया. फुट-फुटकर  रो रही अनिता ने बताया कि बुधवार को मैं अपने परिवार के साथ सो रही थी, अचानक धमाका हुआ तो पूरा घर हिल गया. मैंने देखा कि लोग घर छोड़कर बाहर भाग रहे हैं. एक पल में ही पूरा गांव बह गया. उन्होंने बताया कि हमलोग रात भर गांव में स्थित भगवती मंदिर में मौजूद थे.

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सर्च ऑपरेशन जारी

अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राज्य आपदा मोचन बल(एसडीआरएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), पुलिस और होमगार्ड की टीम के कुल 410 बचावकर्मी ड्रोन की मदद से खोज अभियान में शामिल हैं.

बुधवार रात कुल्लू के निरमंड, सैंज और मलाणा, मंडी के पधर और शिमला के रामपुर उपखंड में बादल फटने से आई बाढ़ में अब तक आठ लोगों की मौत हो चुकी है.

मुख्य सचिव ने दी जानकारी

मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना ने शुक्रवार को बताया कि कुल्लू में श्रीखंड महादेव के आसपास फंसे करीब 300 लोग सुरक्षित हैं और मलाणा में करीब 25 पर्यटकों की भी स्थानीय लोग अच्छी तरह देखभाल कर रहे हैं.

सीएम ने गांव का किया दौरा

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने शुक्रवार को रामपुर के समेज गांव का दौरा किया था, जहां 30 से अधिक लोग लापता हैं. सुक्खू ने पीड़ितों के लिए 50,000 रुपये की तत्काल राहत की घोषणा की थी और कहा था कि उन्हें अगले तीन महीनों के लिए किराए के लिए 5,000 रुपये मासिक दिए जाएंगे, साथ ही गैस, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी दी जाएंगी.

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