पूर्वी पाकिस्तान का युद्ध आधुनिक इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण युद्धों में एक माना जाता है. इसकी वजह से पाकिस्तान का दो हिस्सों में बंटवारा हो गया और बांग्लादेश का निर्माण हुआ. पूर्वी पाकिस्तान (East Pakistan) में पाकिस्तानी सेना (Paskistani Army)के नरसंहार ने भारत के लिए शरणार्थियों की आमद की समस्या पैदा कर दी थी. 1947 के बाद से यह पहली बार था कि भारतीय सशस्त्र बल एक नया देश बनाने के लिए युद्ध लड़ने के लिए तैयार थे.
3 दिसंबर 1971 को युद्ध की आधिकारिक घोषणा से लगभग दो सप्ताह पहले भारतीय टैंकों ने ग़रीबपुर की लड़ाई में पूर्वी पाकिस्तान में दुश्मनों को खामोश कर दिया था. यह एक पूर्वव्यापी हमला था, जिसका लक्ष्य पूर्वी पाकिस्तान में बोयरा प्रमुख क्षेत्र पर हमला करना था.
बोयरा की लड़ाई
बोयरा की लड़ाई एक जमीनी और हवाई लड़ाई थी, जो 22 नवंबर 1971 को भारत और पाकिस्तान के बीच लड़ी गई थी.
भारतीय वायुसेना के 22 स्क्वाड्रन 'स्विफ्ट्स' के ग्नैट्स ने 3 पाकिस्तानी F-86 सेबर जेट को आसमान में रोका और 22 नवंबर को युद्ध में अपनी पहली मार गिराने का दावा किया. यह लड़ाई महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत और पाकिस्तान की वायु सेनाओं के बीच ये पहली लड़ाई थी और इसे गरीबपुर की लड़ाई की परिणति के रूप में देखा जाता है. गरीबपुर की लड़ाई में मित्रो बाहिनी (मित्रो वाहिनी का अर्थ बंगाली में मित्र सेना है) ने बटालियन की ताकत के साथ गरीबपुर के साथ-साथ क्षेत्र पर सफलतापूर्वक आक्रमण किया और कब्जा कर लिया.
भारत के 14 पंजाब (नाभा अकाल) मुख्यालय के तहत 9 इन्फैंट्री डिवीजन के 42 इन्फैंट्री ब्रिगेड को 21 नवंबर की सुबह बोयरा सालिएंट से 9 किमी पूर्व में गरीबपुर पर कब्जा करने का काम सौंपा गया था. 21 नवंबर के शुरुआती घंटों तक 14 पंजाब पर एम 24 चैफ़ी टैंकों द्वारा समर्थित पाकिस्तानी 107 इन्फैंट्री ब्रिगेड की तीन बटालियनों ने हमला किया. इसके बाद हुई गरीबपुर की लड़ाई में भारत की 45 कैवेलरी के पीटी-76 टैंकों ने पाकिस्तानी टैंकों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया. पाकिस्तानी सेना को जंग में करारी हार का सामना करना पड़ा. हिंदी फिल्म 'पिप्पा' की कहानी बोयरा की लड़ाई से प्रेरित है.
"मर्डर, मर्डर, मर्डर!"
फ्लाइट लेफ्टिनेंट गणपति, फ्लाइट लेफ्टिनेंट मैसी, फ्लाइंग ऑफिसर सोरेस और एफजी ऑफिसर लाजर के उड़ाए गए चार IAF Gnat ने सेब्रेस की दिशा में अपने Gnats को भेजा. राडार स्कोप की कमान एफजी ऑफ बागची के पास थी. लगभग 17 मिनट और 150x30 मिमी तोप के गोलों के बाद भारतीय वायुसेना ने एक सेबर को मार गिराया.
उस समय हज़ारों लोगों ने बोयरा की हवाई लड़ाई देखी. चार IAF पायलट बोयरा के नायक थे. रक्षा मंत्री जगजीवन राम ने सेब्रेस को मार गिराने वाले ग्नैट पायलटों को माला पहनाई.
गरीबपुर में 7 घंटे से अधिक समय तक बंदूकों की आवाज गूंजती रही. कार्रवाई में मेजर डीएस नारंग (चीफ) शहीद हो गए. मेजर नारंग को महावीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया.
ये भी पढ़ें:-
पाकिस्तान में सेना प्रमुख से राष्ट्रपति तक का सफर तय करने वाले परवेज मुशर्रफ का निधन, 10 बातें
भारत से चार बार हो चुकी है जंग, हर बार मुंह की खाई पाकिस्तान ने