"मेरे घर का बोरवेल भी सूखा है...", बेंगलुरु में बढ़ते जल संकट के बीच बोले डीके शिवकुमार

उपमुख्यमंत्री ने मेकेदातु परियोजना में मदद नहीं करने के लिए भी केंद्र को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि हम बहुत कठिन हालात का सामना कर रहे हैं. यही कारण है कि हम पानी के लिए, मेकेदातु परियोजना के लिए चले.

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बेंगलुरु में गहराया पानी का संकट, उप मुख्यमंत्री का बयान अब चर्चाओं में
नई दिल्ली:

कर्नाटक सरकार इन दिनों सूबे की राजधानी बेंगलुरु में पैदा हो रहे जल संकट से जूझने के लिए तमाम तरह की कोशिशों में जुटी है. इन सब के बीच सूबे के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार का एक बयान इन दिनों चर्चाओं में है. उनसे जब पैदा हो रहे जल संकट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सभी बोरवेल सूखे पड़े हैं, इनमें मेरे घर का बोरवेल भी शामिल है. हालांकि, उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उन जगहों की पहचान करने में जुटी है जहां पर पानी उपलब्ध है. 

डीके शिवकुमार ने आगे कहा कि मैं खुद इसपर लगातार नजर बनाए हुए हूं. मैंने संबंधित अधिकारियों से इसे लेकर बैठक तक की है. हम सभी टैंकों को अपने कब्जे में ले रहे हैं और उन बिंदुओं की पहचान कर रहे हैं जहां सारा पानी उपलब्ध है. दो सौ सत्रह सुरंगों का परीक्षण किया जा चुका है. बेंगलुरु में 3,000 से ज्यादा बोरवेल सूख गए हैं. जो भी पानी आ रहा है वो कावेरी नदी से ही आ रहा है. 

उपमुख्यमंत्री ने मेकेदातु परियोजना में मदद नहीं करने के लिए भी केंद्र को दोषी ठहराया. उन्होंने कहा कि हम बहुत कठिन हालात का सामना कर रहे हैं. यही कारण है कि हम पानी के लिए, मेकेदातु परियोजना के लिए चले. मुझे उम्मीद है कि मेकेदातु समस्या का समाधान देखने के लिए केंद्र सरकार कम से कम अब हमारे बचाव में आएगी. 

आपको बता दें कि पिछले साल, डीके शिवकुमार ने कहा था कि प्रस्तावित मेकेदातु परियोजना, कर्नाटक में कावेरी बेसिन में एक संतुलन जलाशय, पड़ोसी राज्यों के साथ जल-बंटवारा विवाद का एकमात्र समाधान था. इन सब के बीच इलाके में बढ़ते जल संकट के कारण स्थानीय लोगों को पानी के टैंकरों के लिए अत्यधिक रकम चुकानी पड़ रही है. शहर में 5,000 लीटर का पानी का टैंकर जिसकी कीमत पहले 500 रुपये थी, वह अब 2,000 रुपये में उपलब्ध है.

डीके शिवकुमार ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करेंगे कि हम सभी लोगों को बहुत ही उचित दर पर पानी उपलब्ध कराएं. उन्होंने 4 मार्च को राज्य में पानी के टैंकर मालिकों को चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने 7 मार्च की समय सीमा से पहले अधिकारियों के साथ पंजीकरण नहीं कराया तो उनके टैंकर जब्त कर लिए जाएंगे. 

उन्होंने कहा था कि बेंगलुरु शहर में कुल 3,500 पानी टैंकरों में से केवल 10% या 219 टैंकरों ने अधिकारियों के साथ पंजीकरण कराया है. अगर वे समय सीमा से पहले पंजीकरण नहीं कराते हैं तो सरकार उन्हें जब्त कर लेगी. राज्य में बढ़ रहे जल संकट के बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि राज्य के 236 तालुकों में से 223 सूखे की चपेट में हैं. उन्होंने बताया कि इनमें से 219 बुरी तरह प्रभावित हैं. 

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