पंजाब-हरियाणा की सीमा यानी शंभू बॉर्डर पर बैठे किसान शनिवार को दोपहर 12 बजे दिल्ली के लिए कूच करेंगे. आंदोलन कर रहे किसानों ने दिल्ली रवाना होने के लिए तैयारी कर ली है. किसान एक बार फिर दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश करेंगे. आंदोलनरत किसान शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से धरना दे रहे हैं. किसान अब ट्रैक्टर-ट्रॉली के बिना पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़ने की कोशिश करेंगे.
पंजाब-हरियाणा सीमा पर एक पखवाड़े से अधिक समय से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की तबीयत बिगड़ रही है. सुप्रीम कोर्ट ने डल्लेवाल को तत्काल चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश देते हुए शुक्रवार को कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को विरोध का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए.
किसान नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को जगजीत सिंह डल्लेवाल से मुलाकात की. यह मुलाकात खनोरी बॉर्डर पर हुई. मुलाकात के बाद राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को बातचीत का माहौल बनाना चाहिए. डल्लेवाल की तबीयत को लेकर हम चिंतित हैं. टिकैत ने कहा कि अब दिल्ली जाने के लिए हम नया प्लान बनाएंगे. फिलहाल, दिल्ली जाने का माहौल नहीं है, दिल्ली जाने के लिए बड़ी तैयारी करनी पड़ेगी. हम देखेंगे कि स्थिति कैसी होती है, अभी तो यह है कि पहले सब ठीक हो जाए और जब हरियाणा का समय आएगा, तब हम आगे का प्लान बताएंगे.
किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल का स्वास्थ्य बिगड़ा
किसानों की मांगों को लेकर खनोरी बॉर्डर पर किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल आमरण अनशन कर रहे हैं. अनशन की वजह से उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है. वे 17 दिन से अधिक समय से अनशन पर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को डल्लेवाल के स्वास्थ्य पर गहरी चिंता जताई. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुइयां की खंडपीठ ने कहा कि डल्लेवाल को तुरंत मेडिकल सुविधा दी जाए, लेकिन उन्हें जबरदस्ती अनशन तोड़ने के लिए मजबूर न किया जाए. कोर्ट ने पंजाब और केंद्र सरकार को निर्देश दिए कि डल्लेवाल की जिंदगी आंदोलन से ज्यादा कीमती है. उनकी सेहत को बिगड़ने से रोकना आपकी प्राथमिकता होनी चाहिए.
आंदोलन रोकने पर विचार करें
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मौसम को देखते हुए आंदोलन को रोकने या स्थान बदलने पर विचार करें. कमेटी को काम करने दें और अगर समस्या का समाधान न निकले तो प्रदर्शन फिर शुरू किया जा सकता है.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने भरोसा दिलाया कि वे किसानों से बातचीत करेंगे और डल्लेवाल को हरसंभव मेडिकल सुविधा मुहैया कराएंगे.
जस्टिस सूर्यकांत एवं जस्टिस उज्जवल भुइयां की पीठ ने केंद्र और पंजाब सरकार के प्रतिनिधियों को डल्लेवाल से तुरंत मुलाकात करने का निर्देश दिया. पीठ को जब बताया गया कि हिंसक आंदोलन के कारण दोनों जगहों पर समस्याएं उत्पन्न हुई हैं, तो पीठ ने कहा, ‘‘किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और शांतिपूर्ण आंदोलन करना चाहिए. उन्हें विरोध प्रदर्शन का गांधीवादी तरीका अपनाना चाहिए क्योंकि उनकी शिकायतों पर विचार किया जा रहा है.''
डल्लेवाल को चिकित्सा सहायता देने के निर्देश
पीठ ने कहा, ‘‘पंजाब और केंद्र सरकार का यह कर्तव्य है कि वे सभी शांतिपूर्ण उपाय करें और डल्लेवाल को अनशन तोड़ने के लिए मजबूर किए बिना उन्हें तत्काल पर्याप्त चिकित्सा सहायता प्रदान करें, जब तक कि उनकी जान बचाने के लिए ऐसा करना आवश्यक न हो.''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शंभू और खनौरी सीमाओं पर आंदोलनकारी किसानों को हिंसक नहीं होना चाहिए और राजमार्ग यातायात को बाधित नहीं करना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसके द्वारा गठित एक उच्चस्तरीय समिति, जिसके बारे में कहा गया है कि वह अच्छा काम कर रही है, प्रदर्शनकारी किसानों से बात करेगी और अदालत को सिफारिशें देगी, जिन्हें अंततः निर्णय के लिए हितधारकों के समक्ष रखा जाएगा. पीठ ने कहा, ‘‘हमें ऐसा कोई आदेश पारित नहीं करना चाहिए, जिसे लागू करना बहुत मुश्किल हो. अंतत: हितधारकों को ही निर्णय लेना होगा.''
पीठ ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान अस्थायी रूप से अपना धरना स्थल बदल सकते हैं और राजमार्गों को खाली कर सकते हैं या शायद अस्थायी रूप से आंदोलन को स्थगित भी कर सकते हैं, ताकि समिति हितधारकों द्वारा उचित विचार-विमर्श के बाद अपनी सिफारिशें दे सके.
26 नवंबर से अनशन कर रहे डल्लेवाल
डल्लेवाल 26 नवंबर से पंजाब और हरियाणा के बीच खनौरी बॉर्डर पर अनशन पर हैं ताकि केंद्र पर फसलों के एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) की कानूनी गारंटी सहित आंदोलनकारी किसानों की मांगों को स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया जा सके.
सुरक्षा बलों द्वारा किसानों के दिल्ली कूच को रोके जाने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसान 13 फरवरी से पंजाब और हरियाणा के बीच शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं.
किसानों की शिकायतों पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में कृषि संकट के कारणों को सूचीबद्ध किया है, जिनमें स्थिर उपज, बढ़ती लागत और कर्ज तथा अपर्याप्त विपणन प्रणाली शामिल हैं.
शंभू सीमा पर आंदोलन कर रहे किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश नवाब सिंह की अध्यक्षता में दो सितंबर को गठित उच्चाधिकार प्राप्त समिति ने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी मान्यता देने और प्रत्यक्ष सहायता की पेशकश की संभावना पर गौर करने सहित विभिन्न समाधान सुझाए हैं.
(इनपुट एजेंसियों से)
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