अब फर्जी सिम कार्ड लेने पर होगी 3 साल की जेल, 50 लाख रुपये तक का जुर्माना

नया टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 संसद के दोनों सदनों में हुआ पारित, राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बनेगा कानून

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प्रतीकात्मक तस्वीर.
नई दिल्ली:

सरकार देश में फर्जी सिम कार्ड के जरिए ठगी और इसी तरह के अन्य अपराधों पर नकेल कसने जा रही है. संसद के दोनों सदनों में टेलीकॉम बिल 2023 पारित हो गया है.  इस विधेयक में फर्जी सिम लेने पर 3 साल की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है. इस बिल पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद यह कानून बन जाएगा.

नया टेलीकम्युनिकेशन बिल 2023 (Telecom Bill 2023) कल लोकसभा में पास हुआ और आज राज्यसभा में भी इसे हरी झंडी मिल गई. यह बिल सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा कारणों, किसी भी टेलीकॉम सर्विस या नेटवर्क के टेकओवर, मैनेजमेंट या उसे सस्पेंड करने की परमीशन देता है. पब्लिक सेफ्टी के लिए जरूरत पड़ने पर सरकार टेलीकॉम नेटवर्क पर मैसेज को इंटरसेप्ट कर सकेगी. इसके साथ ही इस बिल में फर्जी सिम लेने पर 3 साल की जेल और 50 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है. 

नया टेलीकम्युनिकेशन बिल 138 साल पुराने भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम का स्थान लेगा. भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम अभी टेलीकॉम सेक्टर को कंट्रोल करता है. यह बिल द इंडियन वायरलेस टेलीग्राफ एक्ट 1933 और टेलीग्राफ वायर्स एक्ट 1950 की भी जगह लेगा. साथ ही यह बिल TRAI एक्ट 1997 को भी संशोधित करेगा.

इस बिल में टेलीकॉम कंपनियों को उपभोक्ताओं को सिम कार्ड जारी करने से पहले अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक पहचान करने को कहा गया है. बिल में फर्जी सिम लेने पर 3 साल जेल और 50 लाख तक जुर्माने का भी प्रावधान है.

इस बिल में, ओवर-द-टॉप सर्विसेज (OTT प्लेटफॉर्म) जैसे ई-कॉमर्स, ऑनलाइन मैसेजिंग को टेलीकॉम सर्विसेज की परिभाषा से बाहर रखा गया है. पिछले साल जब टेलीकम्युनिकेशन बिल का ड्राफ्ट पेश किया गया था तो उसमें ओटीटी सर्विसेज भी दायरे में थी, जिसे लेकर खूब हंगामा हुआ था. बाद में सरकार ने इसे बिल से हटा दिया है.

इस बिल से लाइसेंसिंग सिस्टम में भी बदलाव आएगा. मौजूदा समय में सर्विस प्रोवाइडर्स को विभिन्न प्रकार की सर्विसेज के लिए अलग-अलग लाइसेंस लेना पड़ता है. लेकिन इस बिल के कानून बनते ही लाइसेंसिंग में एकरूपता आएगी.

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नए टेलीकॉम बिल में यह भी प्रावधान किया गया है कि कंज्यूमर्स को गुड्स, सर्विसेज के लिए विज्ञापन और प्रमोशनल मैसेज भेजने से पहले उनकी सहमति लेनी होगी. टेलीकॉम सर्विसेज देने वाली कंपनी को एक ऑनलाइन मैकेनिज्म बनाना होगा, जिससे यूजर्स अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करा सके. इस बिल में टेलीकॉम स्पेक्ट्रम के एडमिनिस्ट्रेटिव एलॉकेशन का प्रावधान है, जिससे सर्विसेज की शुरुआत में तेजी आएगी.

बिल में यह भी प्रस्ताव किया गया है कि सरकार को प्रशासनिक तौर पर सैटेलाइट स्पेक्ट्रम आवंटित करने का अधिकार दिया जाना चाहिए. अब तक टेलीकॉम कंपनियों ने नीलामी में हिस्सा लिया है और स्पेक्ट्रम जीतने के लिए बोलियां पेश की हैं.

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कानून के आलोचकों ने आरोप लगाया है कि इस बिल से ट्राई केवल रबर स्टांप बनकर रह जाएगा, क्योंकि यह बिल रेगुलेटर की शक्तियों को काफी हद तक कमजोर कर देता है. बिल में ट्राई अध्यक्ष की भूमिका के लिए निजी क्षेत्र के कॉर्पोरेट अधिकारियों की नियुक्ति की अनुमति देने का भी प्रावधान है. इस प्रावधान बहस शुरू हो सकती है.

नए बिल से अमेरिकी बिजनेसमैन एलन मस्क की स्टारलिंक जैसी विदेशी कंपनियों को फायदा होगा. हालांकि, जियो को इससे नुकसान हो सकता है.

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