अब सभी स्मार्टफोन में इंस्टॉल मिलेगा ये ऐप, सरकार ने जारी किए आदेश, क्या है मकसद?

सरकार का कहना है कि 'संचार साथी' ऐप साइबर खतरों को रोकने में मदद करता है और खोए या चोरी हुए फ़ोनों को ट्रैक और ब्लॉक करने में सहायता करता है, जिससे पुलिस को डिवाइस का पता लगाने में मदद मिलती है.

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  • दूरसंचार मंत्रालय ने सभी नए स्मार्टफोन में सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप संचार साथी इंस्टॉल करने का निर्देश दिया है.
  • सरकारी आंकड़ों के अनुसार, संचार साथी ऐप ने 7 लाख से अधिक खोए हुए फ़ोन वापस पाने में मदद की है.
  • एप्पल की नीति के कारण यह आदेश उसके साथ टकराव का कारण बन सकता है, कंपनी बाहरी ऐप इंस्टॉल करने से इनकार करती है
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नई दिल्ली:

भारतीय दूरसंचार मंत्रालय ने सभी स्मार्टफोन निर्माताओं से निजी तौर पर सभी नए डिवाइस में एक सरकारी साइबर सुरक्षा ऐप 'संचार साथी' पहले से लोड करने को कहा है. सरकार के इस कदम से एप्पल के साथ टकराव की आशंका है, ये कंपनी आमतौर पर अपने प्रोडक्ट के लिए ऐसे निर्देशों को पसंद नहीं करती है.

भारत दुनिया के सबसे बड़े टेलीफोन बाजारों में से एक है, जहां 1.2 अरब से ज़्यादा ग्राहक हैं. सरकारी आंकड़े बताते हैं कि जनवरी में लॉन्च किए गए इस ऐप ने 7,00,000 से ज़्यादा खोए हुए फ़ोनों को वापस पाने में मदद की है, जिनमें से 50,000 सिर्फ अक्टूबर में ही खो गए थे.

एप्पल का पहले से ही सरकारी एंटी-स्पैम मोबाइल ऐप के विकास को लेकर दूरसंचार नियामक के साथ टकराव में रहा है. वहीं सैमसंग, वीवो, ओप्पो और श्याओमी जैसी कंपनियां इन नए आदेश के लिए बाध्य हैं.

28 नवंबर के आदेश में प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों को यह सुनिश्चित करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है कि सरकार का संचार साथी ऐप नए मोबाइल फ़ोनों में पहले से इंस्टॉल हो, इस प्रोवीजन के साथ कि यूजर्स इसे इनइंस्टॉल नहीं कर सके. सप्लाई चेन में पहले से मौजूद डिवाइस के लिए, इस आदेश के तहत निर्माताओं को सॉफ़्टवेयर अपडेट के ज़रिए फ़ोन में ऐप डालना होगा.

हालांकि Apple फ़ोन में अपने मालिकाना ऐप पहले से इंस्टॉल करता है, लेकिन मामले की प्रत्यक्ष जानकारी रखने वाले एक सूत्र ने बताया कि उसकी आंतरिक नीतियां स्मार्टफ़ोन की बिक्री से पहले किसी भी सरकारी या तीसरे पक्ष ऐप को इंस्टॉल करने पर रोक लगाती हैं. Apple, Samsung और Xiaomi ने फिलहाल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. भारत के दूरसंचार मंत्रालय ने भी इस पर और कुछ नहीं कहा है.

दूरसंचार साइबर सुरक्षा

इंडस्ट्री के दो सूत्रों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि उन्हें चिंता है कि आदेश जारी करने से पहले कंपनियों के साथ कोई परामर्श नहीं किया गया था. आदेश में, सरकार ने कहा कि यह ऐप डुप्लिकेट या नकली IMEI नंबरों से दूरसंचार साइबर सुरक्षा को होने वाले "गंभीर खतरे" से निपटने के लिए ज़रूरी है, जो धोखाधड़ी और नेटवर्क के दुरुपयोग को बढ़ावा देते हैं.

सभी हैंडसेट के लिए विशिष्ट 14 से 17 अंकों की संख्या, IMEI, या अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान, का उपयोग आमतौर पर चोरी हुए फ़ोनों के लिए नेटवर्क एक्सेस काटने के लिए किया जाता है. यह सरकारी ऐप उपयोगकर्ताओं को एक केंद्रीय रजिस्ट्री के माध्यम से संदिग्ध कॉल की रिपोर्ट करने, IMEI वेरिफाई करने और चोरी हुए डिवाइस को ब्लॉक करने की सुविधा देता है.

लॉन्च के बाद से 50 लाख से ज़्यादा बार डाउनलोड किए जाने के साथ, इस ऐप ने 37 लाख से ज़्यादा चोरी हुए या खोए हुए मोबाइल फ़ोन को ब्लॉक करने में मदद की है, जबकि 3 करोड़ से ज़्यादा धोखाधड़ी वाले कनेक्शन भी खत्म किए गए हैं.

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सरकार का कहना है कि यह साइबर खतरों को रोकने में मदद करता है और खोए या चोरी हुए फ़ोनों को ट्रैक और ब्लॉक करने में सहायता करता है, जिससे पुलिस को डिवाइस का पता लगाने में मदद मिलती है और साथ ही नकली फ़ोनों को काला बाज़ार से बाहर रखा जाता है.

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