तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग में बीते पांच दिनों से फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने की कोशिश लगातार जारी है. इसके लिए कैमरा लगे ड्रोन, सोनार और पोर्टेबल कैमरा रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि उन श्रमिकों को जल्द से जल्द बाहर निकाला जा सके. इस मामले में बात करते हुए उपमुख्यमंत्री भट्टी विक्रमार्क ने कहा कि उन्होंने वादा किया है कि राज्य सरकार तब तक हार नहीं मानेगी, जब तक कि अंदर फंसे आठ लोगों को ढूंढ नहीं लिया जाता.
शनिवार सुबह ढह गया था टनल का एक हिस्सा
दरअसल, शनिवार सुबह सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था, जिससे आठ लोग अंदर फंस गए हैं. हालांकि, बचाव दल सुरंग के बड़े हिस्से - 13.85 किलोमीटर में से 13.79 किलोमीटर को कवर करने में कामयाब रहे हैं लेकनि इसका अंतिम हिस्सा चुनौतीपूर्ण बना हुआ है क्योंकि ढहने वाली जगह पर पानी और कीचड़ है.
श्रमिकों को निकालने की कोशिश जारी
मंगलवार को घटनास्थल का दौरा करने पहुंचे विक्रमार्क ने कहा, "हम आठ लोगों का पता लगाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी, और जब तक हम उन्हें नहीं ढूंढ लेते, हम चैन से नहीं बैठेंगे... (हमें) जो भी करना होगा, और जितने दिन लगेंगे, करेंगे." उन्होंने कहा कि घटनास्थल पर पहले से ही मौजूद देश भर के अनेक विशेषज्ञों के अलावा सरकार "ऐसे अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों के संपर्क में है, जिन्हें इस तरह की स्थिति का अनुभव है."
11 राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां कर रहीं काम
मंत्री एन उत्तम कुमार रेड्डी ने मंगलवार शाम को बताया कि इस अभियान में 11 राष्ट्रीय और राज्य एजेंसियां लगी हुई हैं. इनमें सेना, नौसेना, मार्कोस कमांडो, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल, राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, MORPH, सिंगरेनी, HYDRAA, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, नवयुग और एलएंडटी सुरंग विशेषज्ञ और राष्ट्रीय भूभौतिकीय अनुसंधान संस्थान (NGRI) शामिल हैं. मंत्री ने कहा, "हमने अतीत में हुई ऐसी ही घटनाओं का गहन अध्ययन किया है और महत्वपूर्ण सबक सीखे हैं, ताकि हम यह बचाव कार्य उच्चतम स्तर की विशेषज्ञता और सटीकता के साथ कर सकें."
बचाव दल ने सुरंग के अंदर रेल पटरी को साफ करना शुरू कर दिया है, जिसका उद्देश्य आगे के बचाव कार्यों के लिए उपकरणों को ले जाना है. बचाव दल ने कम से कम दो किलोमीटर तक रेल पटरी को साफ कर दिया है और वे उस स्थान से दो किलोमीटर दूर हैं, जहां सुरंग का एक हिस्सा ढह गया था.