तेलंगाना हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने 'सांप गिरोह' के सात लोगों को आजीवन कारावास की सजा की पुष्टि की है. सांप गिरोह लोगों को जिंदा सांप दिखाकर डराकर लूटते थे और महिलाओं का यौन शोषण करते थे. न्यायमूर्ति के. लक्ष्मण और न्यायमूर्ति पी. श्री सुधा की पीठ ने उन सात आरोपियों की अपील खारिज कर दी, जिन्हें 2016 में दूसरे विशेष सत्र न्यायाधीश ने एक फार्महाउस में डकैती के मामले में सजा सुनाई थी.
जुलाई 2014 में गिरोह ने एक व्यक्ति और उसकी मंगेतर को शाहीन नगर स्थित फार्महाउस में अकेला पाया, जब परिवार के बाकी सदस्य बाहर गए हुए थे. आरोपियों ने दोनों पर हमला किया, उन्हें घसीटकर बाहर निकाला, उनके कपड़े फाड़े, तस्वीरें खींची और उनकी अर्धनग्न तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी. उन्होंने उन पर सांप फेंका और उनका सोना, नकदी और अन्य सामान लूट लिया.
विशेष सत्र न्यायाधीश ने सातों को मारपीट और डकैती का दोषी पाया और प्रत्येक को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई. इस फैसले के खिलाफ आरोपियों ने अपील की थी. उनकी अपील को खारिज करते हुए खंडपीठ ने कहा कि आरोपियों ने पीड़ितों के साथ अमानवीय व्यवहार किया और उन पर सांप छोड़कर उन्हें प्रताड़ित किया है.
उन्होंने दंपत्ति को धमकी दी कि वे इस घटना के बारे में किसी को न बताएं, नहीं तो वे उनकी तस्वीरें और वीडियो सोशल नेटवर्क पर अपलोड कर देंगे. इस वजह से अपीलकर्ताओं द्वारा किया गया अपराध जघन्य है. इन पहलुओं पर विचार करने के बाद ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को आईपीसी की धारा 395 के तहत दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई.
पीठ ने उनकी अपील को खारिज करते हुए कहा, "आरोपी नंबर 1 के खिलाफ पीडी एक्ट भी शुरू किया गया है. इन तथ्यों के मद्देनजर, यह अदालत नरम रुख अपनाते हुए सजा कम करने के लिए इच्छुक नहीं है."