- बिहार चुनाव में इस बार महिला वोटर्स पर सभी दलों की नजर है
- सीएम नीतीश कुमार ने महिलाओं के लिए कई योजनाएं चलाकर उन्हें अपना वोट बैंक बनाया है
- आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने अब महिलाओं को लुभाने के लिए कई योजनाओं का किया है ऐलान
बिहार विधान सभा चुनाव 2025 के पहले फेज के प्रचार खत्म होने से ठीक पहले तेजस्वी यादव का यह ऐलान की महिलाओं के खाते में एक साल की पूरी राशि 30,000 एक बार में ही उनके खाते में ट्रांसफर कर दिए जाएंगे कहीं न कहीं आधी आबादी को साधने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा हैं.
तेजस्वी ने दावा किया कि बिहार की जनता अब बदलाव चाहती है. उन्होंने कहा कि इस बार लोग मौजूदा सरकार को उखाड़ फेंकने के मूड में हैं और महिलाओं से लेकर युवाओं तक सभी मतदाता उत्साहित हैं. तेजस्वी यादव ने बड़े-बड़े ऐलानों की झड़ी लगा दी.
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तेजस्वी का ऐलान
4 नवंबर को पटना में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो “माई बहिन योजना” के तहत महिलाओं को एक साल की पूरी राशि 30 हजार रुपये एक साथ दी जाएगी. प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी ने कहा, “हमारी सरकार बनने के बाद 14 जनवरी को महिलाओं के खाते में पूरे साल की राशि एक साथ भेजी जाएगी, ताकि वे अपने परिवार और जरूरतों के हिसाब से उसका उपयोग कर सकें.” उन्होंने कहा कि यह कदम महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगा.
महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये
आरजेडी की माई बहिन योजना चुनावी घोषणा पत्र का अहम हिस्सा है, जिसके तहत राज्य की महिलाओं को हर महीने 2,500 रुपये दिए जाने का वादा किया गया है. तेजस्वी ने कहा कि उनकी सरकार महिलाओं के सम्मान और सशक्तिकरण को लेकर प्रतिबद्ध है.
जीविका दीदी कम्युनिटी मोबिलाइजर
तेजस्वी यादव ने यह भी घोषणा करते हुए कहा कि वर्तमान सरकार ने वर्षों से महिलाओं और जीविका दीदियों के योगदान को नज़रअंदाज़ किया है. उन्होंने वादा किया कि जीविका दीदी कम्युनिटी मोबिलाइजर को स्थायी किया जाएगा और उन्हें हर महीने 2,000 रुपये मानदेय दिया जाएगा.
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जीविका दीदियों को परमानेंट नौकरी
इसके अलावा तेजस्वी यादव ने कहा कि जीविका दीदियों और अन्य काम करने वाली सभी दीदियों को स्थायी किया जाएगा और उनका मानदेय 30 हजार रुपये कर दिया जाएगा.
महिलाओं के लिएफ्री में इंश्योरेंस: साथ ही उन्हें दो हजार रुपये प्रतिमाह और पांच लाख रुपये का बीमा कवर भी दिया जाएगा.
तेजस्वी ने ऐलान किया कि घर के पास ट्रांसफर पोस्टिंग पुलिसकर्मियों और सरकारी कर्मचारियों का तबादला उनके गृह जिले से 70 किलोमीटर के अंदर ही किया जाएगा.
पुरानी पेंशन योजना: कर्मचारियों के लिए भी तेजस्वी ने कई वादे किए. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने पर पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) लागू की जाएगी.
मतदान प्रतिशत महिलाओं का पुरुषों की तुलना में बेहतर
बिहार में महिला वोटरों की भूमिका कितनी अहम रही है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां मतदान करने में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में हमेशा बेहतर रहा है. यानी पुरुष वोटरों की अपेक्षा महिलाएं बढ़-चढ़कर मतदान में भाग लेती रही हैं. यही कारण है कि महिला वोटरों को साधने के लिए पार्टियों ने एक से बढ़कर एक वादे भी किए हैं.
महागठबंधन ने महिलाओं को दिया तरजीह
बिहार में दो प्रमुख गठबंधन हैं - एनडीए और महागठबंधन. संयुक्त रूप से देखा जाए तो इस बार एनडीए की तरफ से कुल 34 महिला उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं, वहीं महागठबंधन की तरफ से 30 महिलाओं को टिकट दिया गया है.महिलाओं को सबसे अधिक टिकट देने वाली पार्टी आरजेडी है जिन्होंने 24 महिला प्रत्याशी उतार हैं. वही कांग्रेस ने 5 VIP ने एक और वामदलों ने भी एक महिला को टिकी दिया हैं. बिहार की राजनीति में सबसे नए प्लेयर के तौर पर उभरे प्रशांत किशोर ने प्रदेश की सभी 243 सीटों पर उम्मीवार उतारे हैं. इन प्रत्याशियों में 25 महिलाएं हैं.
बीजेपी और जेडीयू ने 13-13 महिलाओं को टिकट दिया है
वही लोजपा (आर) ने 29 सीटें में 5 महिला को उम्मीदवार बनाया है. हम को गठबंधन में उनके हिस्से छह सीटें आईं हैं, जिसमें दो सीटों पर उन्होंने महिलाओं को बतौर उम्मीदवार उतारा है. उपेंद्र कुशवाहा ने छह सीटों में से एक सीट पर अपनी पत्नी स्नेहलता को उम्मीदवार बनाया है.
पिछले चुनाव के आंकड़े
अगर बीते चुनाव के आंकड़े देखें तो साल 2020 में कुल 370 महिलाएं चुनाव में बतौर उम्मीदवार भाग लेने उतरीं थीं. इनमें 26 विधानसभा पहुंचने में सफल रहीं. जेडीयू से 26 महिलाओं को, बीजेपी से 13 महिलाओं को और आरजेडी से 16 महिलाओं को टिकट दिए गए थे.
M फैक्टर ही लगाएगी नैया पार
इस बार के विधानसभा चुनाव में M फैक्टर की खूब चर्चा है। M फैक्टर यानी महिला यानी आदि आबादी. ऐसा कहा जा रहा है जिस गठबंधन ने महिला वर्ग को अपने पक्ष में कर लिया उसकी चुनावी नैया पार लग जाएगी. बिहार में हुए कई चुनावों का विशेषण करें तो कही न कहीं नीतीश सरकार की वापसी में महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा हैं. इस चुनाव में हर पार्टी गठबंधन अपने अपने किए गए वादों से आदि आबादी को लुभाने का प्रयास कर रही हैं. मध्य प्रदेश से लेकर महाराष्ट्र, झारखंड में सरकार वापसी की राह इसलिए आसान हो पाया क्योंकि तत्कालीन सरकार ने महिलाओं को साधने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ा.
इस बार किस तरफ महिलाएं?
बिहार की राजनीति और आधी आबादी के वोटिंग पैटर्न को देखे तो मुख्यतः इनका झुकाव जेडीयू के तरफ यानी नीतीश कुमार की तरफ ही रहता है. नीतीश कुमार की सरकार ने कुछ ऐसे महिलाओं के लिए जनकल्याणी योजनाएं चलाए हैं जिससे यह वर्ग एक तरह से नीतीश कुमार का वोट बैंक बन गया गया है. इसी वोट बैंक पर अब राजद की नजर है. तेजस्वी यादव अपनी लोक लुभावन घोषणाओं से आदि आबादी को साधना चाहते हैं. तेजस्वी यादव द्वारा किए गए वादों का कितना असर आधी आबादी यानी महिला वर्ग पर पड़ता है यह आने वाले चुनावी नतीजे ही तय करेंगे.














