बिहार में तेजस्‍वी की राह में रोड़ा बन रहे तेज प्रताप, धीरे-धीरे क्या बढ़ रहा है विवाद, समझें समीकरण

बिहार की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे तेजस्‍वी यादव की राह में उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ही रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं. तेज प्रताप को परिवार से अलग करना और अब उनके खिलाफ बयानबाजी राजद को नुकसान पहुंचा सकती है.

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तेजस्‍वी के लिए 'बड़ा भाई' कई तरह की परेशानी खड़ी कर सकता है.

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  • तेजस्‍वी यादव की सत्ता पर काबिज होने की ख्‍वाहिश में तेज प्रताप यादव के कारण परेशानी आ सकती है.
  • तेजस्‍वी यादव ने Team Tejpratap Yadav बनाने की घोषणा पर तंज कसते हुए कहा कि कितनी पार्टियां बनती रहती है.
  • बिहार चुनाव में परिवारिक विवाद और तेजप्रताप की स्वतंत्र चुनावी लड़ाई तेजस्वी यादव के लिए चुनौती बन सकती है.
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नई दिल्‍ली :

बिहार की राजनीति में कभी लालू प्रसाद यादव की तूती बोलती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से प्रदेश की सत्ता नीतीश कुमार ही संभाल रहे हैं. तेजस्‍वी यादव भी नीतीश कुमार की सत्ता में ही उप मुख्‍यमंत्री बनने में कामयाब रहे. लालू प्रसाद यादव की अपने बेटे तेजस्‍वी को मुख्‍यमंत्री बनाने की ख्‍वाहिश अभी तक ख्‍वाहिश ही है. बिहार विधानसभा के आगामी चुनावों को लालू बेहद उम्‍मीदों से देख रहे हैं, लेकिन इस बार विरोधी दलों से ज्यादा पारिवारिक कलह ही पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है. तेजप्रताप यादव के हरी टोपी की जगह पीली टोपी पहन लेने और तेजस्‍वी यादव के बयानों से इसे बखूबी समझा जा सकता है.

बिहार की सत्ता पर काबिज होने का सपना देख रहे तेजस्‍वी यादव की राह में उनके बड़े भाई तेज प्रताप यादव ही रोड़ा बनते नजर आ रहे हैं. तेज प्रताप यादव ने Team Tejpratap Yadav बनाई है और घोषणा की है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव वैशाली जिले की महुआ सीट से लड़ेंगे. ऐसे में साफ है कि तेजप्रताप को अपने ही पिता की बनाई पार्टी के खिलाफ ताल ठोकनी होगी.  

खुद की राह में कांटे बो रहे हैं तेजस्‍वी यादव!

राजनीतिक पंडित भी मानते हैं कि तेजप्रताप की राजद से अलग चुनाव मैदान में एंट्री जनभावनाओं को उनके लिए मुफीद बना सकती है और तेजस्‍वी के लिए 'बड़ा भाई' कई तरह की परेशानी खड़ी कर सकता है. ऐसे में तेजस्‍वी के बयान भी उनकी अपनी राहों में ही कांटे बो सकते हैं. तेजस्‍वी यादव ने Team Tejpratap Yadav बनाने की घोषणा पर तंज कसते हुए कहा कि कितनी पार्टियां बनती रहती है. इस बयान से साफ है कि तेजस्‍वी यादव को पार्टी से निकाले गए अपने बड़े भाई का टीम बनाना पसंद नहीं आया है. 

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वहीं बिहार राजद अध्‍यक्ष मंगनी लाल मंडल तेजस्‍वी से एक कदम आगे निकल गए और उन्‍होंने बड़ा बयान देते हुए कहा कि पार्टी में तेज प्रताप यादव का कोई अस्तित्व नहीं है. लालू प्रसाद यादव ने 6 सालों के लिए उन्हें पार्टी से निकाल दिया है. राजद में तेजस्वी यादव के सामने किसी की औकात नहीं है, किसी का कोई अस्तित्व नहीं है.

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राजद के तीखे बयान, तेज प्रताप के मददगार! 

ऐसे में एक सवाल ये भी है कि जब लालू परिवार और पार्टी ने तेज प्रताप से किनारा कर लिया है तो पार्टी के नेता और कार्यकर्ता क्‍या तेज प्रताप पर जुबानी हमला नहीं करेंगे और यदि उन्‍होंने तेज प्रताप पर हमला किया तो फिर यह लोगों को याद दिलाना होगा कि तेज प्रताप को लालू परिवार और पार्टी दोनों से अलग किया गया है. यह तेजस्‍वी यादव और राजद के खिलाफ जा सकता है और तेज प्रताप को लोगों की सहानुभूति मिल सकती है. 

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हालांकि राजद नेताओं के विपरीत तेज प्रताप यादव के बयान कहीं ज्‍यादा संयत नजर आते हैं. उन्‍होंने अपने पिता और भाई को लेकर किसी भी तरह की तीखी टिप्‍पणी नहीं की है. साथ ही तेजस्वी के बेटे के जन्म का समय हो या त्योहार का कोई मौका, तेजप्रताप पिता और भाई को याद करना नहीं भूलते हैं. यही कारण है कि परिवार से अलग होने का दर्द तेज प्रताप के लिए मददगार भी साबित हो सकता है.

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भाई के साथ रिश्‍तों में उथल-पुथल की बात स्‍वीकारी 

तेज प्रताप यादव ने एनडीटीवी को दिए एक्‍सक्‍लूसिव इंटरव्‍यू में भाई तेजस्वी यादव के साथ संबंधों पर भी बात की थी और कहा था कि हमारे छोटे भाई तेजस्वी को पूरा आशीर्वाद है. पूरा सपोर्ट है. यह बयान तेज प्रताप को धीरे-धीरे मंझे जा रहे  राजनेता की तरह पेश करता है. हालांकि दोनों भाइयों के रिश्ते कैसे हैं, इस सवाल पर तेज प्रताप ने कहा कि अभी थोड़ी उथल-पुथल है. साथ ही उन्‍होंने कहा कि हम सिचुएशन को संभालने का काम कर रहे हैं. वह अपना काम कर रहे हैं. हमें रिश्ता खराब नहीं करना है. हम किसी से रिश्ता खराब नहीं करते हैं. रिलेशन अच्छे से बनाकर रखते हैं. बड़े भाई का फर्ज निभाना पड़ता है. मेरा भतीजा तेजस्वी से भी क्यूट है.

लालू यादव ने तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया. उन्होंने खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बताया कि ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है. अब से पार्टी और परिवार में उसकी किसी भी प्रकार की कोई भूमिका नहीं रहेगी.

इस बयान के बाद अभी तक दोनों ओर से बयानों में बहुत ज्‍यादा तल्‍खी देखने को नहीं मिली है, लेकिन आगामी विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ ही बयानबाजी में तेजी आ सकती है. बिहार का चुनावी मौसम जब चरम पर होगा तभी पता चलेगा कि आखिर तेज प्रताप और तेजस्‍वी यादव में से किसके लिए राजनीतिक परिस्थितियां ज्‍यादा मुफीद साबित हो रही हैं. और यह पारिवारिक विवाद क्‍या मोड लेगा. 

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