क्या है लालू के लाल की 'नई पार्टी' वाला प्लान? आज होगा ऐलान, बिहार चुनाव में किसकी टेंशन बढ़ाएंगे तेज प्रताप यादव 

Tej Pratap Yadav:लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव शुक्रवार को नए राजनीतिक दल या संगठन की घोषणा कर सकते हैं. बिहार की राजनीति में बीजेपी-जेडीयू के लिए ये बड़ा हथियार साबित हो सकता है. राजद के लिए इस पर आक्रामक या बचाव दोनों ही मुश्किल होगा.

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Tej Pratap Yadav
नई दिल्ली:

Bihar vidhansabha Chunav 2025: विधानसभा चुनाव के पहले बिहार में नया सियासी ड्रामा देखने को मिलने वाला है. पार्टी और परिवार से निकाले गए तेज प्रताप यादव नए राजनीतिक दल या संगठन का आज ऐलान कर सकते हैं. लालू यादव और तेजस्वी यादव की आरजेडी के लिए तेज प्रताप यादव की ये नई मुहिम चुनाव में बड़ी टेंशन बन सकती है. राष्ट्रीय जनता दल से निष्कासित तेज प्रताप यादव शाम 5 बजे प्रेस कान्फ्रेंस करने वाले हैं. आरजेडी और परिवार से कथित निष्कासन के बाद से तेज प्रताप यादव लगातार अपनी नई भूमिका के लिए प्रयास कर रहे थे. 

RJD की बढ़ाएंगे टेंशन
लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव सियासत में अपने बेबाक निराले अंदाज के लिए सुर्खियों में रहते हैं. राजद में रहते हुए भी उनके कई कारनामों ने पार्टी को असहज स्थिति में डाला था. तेज प्रताप यादव नया दल या संगठन का ऐलान करते हैं तो ये बीजेपी-जेडीयू उन्हें हथियार बनाने का मौका नहीं चूकेंगे. अगर वो नई राजनीतिक पार्टी बनाते हैं तो क्या किसी दल से गठबंधन करेंगे या अकेले मोर्चा संभालकर आरजेडी और लालू यादव के लिए मुश्किलें खड़ी करेंगे. आरजेडी चुनावी माहौल में बड़े बेटे के सियासी पराक्रम से निपटना बड़ी चुनौती होगी. तेज प्रताप सीटों के मामले में भले ही बड़ा नुकसान न पहुंचा पाएं, लेकिन विपक्ष उनके जरिये यादव परिवार की एकजुटता पर सवाल उठाने की कोशिश करेगा.

शिवपाल-अखिलेश का उदाहरण
उत्तर प्रदेश की राजनीति में 2016-17 में भी ऐसा ही सियासी भूचाल आया था, जब शिवपाल सिंह यादव की उनके भतीजे और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के साथ ठन गई थी. अखिलेश ने अध्यक्ष पद छोड़ने से इनकार करते हुए शिवपाल को मंत्रिपद से बर्खास्त कर दिया था. अखिलेश के आगे उनके पिता मुलायम सिंह यादव की भी एक न चली थी. शिवपाल ने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी नाम से नया दल बनाया था. परिवार में फूट के साथ शिवपाल की पार्टी ने अखिलेश को तमाम सीटों पर नुकसान पहुंचा और पार्टी के हाथों से सत्ता चली गई. बीजेपी के लिए ये सियासी तोहफा साबित हुआ और उसने हिन्दुत्व के सहारे लगातार अपनी पकड़ यूपी में मजबूत की है. 

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तेजस्वी यादव क्या करेंगे
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि तेज प्रताप यादव पार्टी में अपनी प्रभावी भूमिका के लिए काफी जतन करते रहे, लेकिन लालू ने पूरी कमान तेजस्वी यादव को सौंप रखी है. पार्टी कार्यक्रम में मारपीट, अफसरों से दुर्व्यवहार जैसी घटनाओं से उनकी साख गिरी है. तेज प्रताप यादव की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद लालू प्रसाद यादव ने उन्हें पार्टी और परिवार से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. हालांकि तेजस्वी के बेटे के जन्म का समय हो या त्योहार का मौका, तेजप्रताप पिता और भाई से बातचीत कर शुभकामनाएं देना नहीं भूलते. ऐसे में इस बात की संभावना कम है कि वो सीधे परिवार के खिलाफ बिगुल बजाएंगे, लेकिन अपनी ताकत का अहसास कराने की कोशिश जरूर करेंगे. तेज प्रताप खुद मैदान में उतरते हैं तो आरजेडी उनके खिलाफ उम्मीदवार उतारने से परहेज कर सकती है.

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