बच्चों की मोबाइल से दूरी है जरूरी! अब टीनएजर्स के इंस्टाग्राम अकाउंट पर पेरेंट्स की रहेगी पूरी नजर

कुछ महीने पहले भारत सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा नियमों का मसौदा जारी किया था. उसमें ऑनलाइन या सोशल मीडिया मंचों पर नाबालिग उपयोगकर्ता खाते के निर्माण के लिए माता-पिता की सत्यापन-योग्य सहमति और पहचान को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा गया था.

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पेरेंट्स को कुछ खास ऑप्शन मिलेंगे, जिससे उन्हें ये पता चल पाएगा कि उनका बच्चा किससे जुड़ रहा है.
नई दिल्ली:

फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों का इस्तेमाल बच्चे भी जमकर कर रहे हैं. अधिकतर टीनएजर्स ने इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपना अकाउंट बन रखा है. ऐसे में कई पेरेंट्स इस बात से परेशान रहते हैं कि उनके बच्चे सोशल मीडिया का गलत इस्तेमाल न करें और किसी परेशानी में न पड़ जाएं. वहीं कुछ बच्चे तो पढ़ाई करने की जगह कई घंटों तक फोन में इंस्टाग्राम ही देखते रहते हैं. जिसके कारण भी उनके पेरेंट्स परेशान रहते हैं. 

पेरेंट्स की इन्हीं दिक्कतों को देखते हुए फेसबुक और इंस्टाग्राम का संचालन करने वाली कंपनी मेटा ‘इंस्टाग्राम टीन अकाउंट्स' लेकर आई है और हाल ही में भारत में इसके विस्तार करने की घोषणा की है. इंस्टाग्राम का ये नया फीचर टीनेजर्स की ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाने और माता-पिता को कंट्रोल देने के लिए लाया गया है.

इस नए फीचर की खासीयत  

  • ये नया फीचर लाने का मकसद केवल टीनएजर्स की ऑनलाइन सुरक्षा बढ़ाना है और पेरेंट्स  के हाथ में कंट्रोल देना है. 
  • इसकी मदद से अब माता-पिता अपने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के इंस्टाग्राम अकाउंट पर नजर रख पाएंगे. 
  • माता-पिता अनवानटेड  बातचीत को रोक सके हैं. 
  • प्राइवेसी सेटिंग (Instagram Privacy Settings) और सख्त कर सकेंगे. 
  • एज वेरिफिकेशन की जरूरत होगी.
  • पेरेंट्स को कुछ खास ऑप्शन मिलेंगे, जिससे उन्हें ये पता चल पाएगा कि उनका बच्चा किससे जुड़ रहा है.
  • स्क्रीन पर बिताए जाने वाले समय की सीमा तय कर सकते हैं और कुछ खास समय के लिए ऐप का उपयोग करने से रोक सकते हैं.
  • टीन अकाउंट स्वचालित रूप से प्राइवेट होगा. 16 वर्ष से कम आयु के बच्चे केवल माता-पिता या अभिभावक की सहायता से ही इस डिफ़ॉल्ट सेटिंग को बदल सकेंगे.

बता दें कुछ महीने पहले भारत सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा नियमों का मसौदा जारी किया था. उसमें ऑनलाइन या सोशल मीडिया मंचों पर नाबालिग उपयोगकर्ता खाते के निर्माण के लिए माता-पिता की सत्यापन-योग्य सहमति और पहचान को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा गया था. वहीं इस नए फीर्चर पर मेटा ने कहा, ‘‘ऐसे दौर में जहां डिजिटल संवाद युवा मस्तिष्क को आकार देते हैं, उनकी ऑनलाइन सुरक्षा सुनिश्चित करना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो गया है.''

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