तहलका पत्रिका के संस्थापक तरुण तेजपाल को गोवा की एक अदालत ने बलात्कार के आरोप से बरी कर दिया है. जमानत पर बाहर चल रहे तेजपाल पर 2013 में गोवा के एक फाइव स्टार रिजॉर्ट में एक सम्मेलन के दौरान एक जूनियर सहयोगी का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगा था.
2017 में कोर्ट ने पूर्व जर्नलिस्ट पर रेप, यौन शोषण और गलत तरीके रोक लगाने के आरोप तय किए थे. उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 342 (गलत तरीके से रोकना), 342 (गलत तरीके से बंधक बनाना), 354 (गरिमा भंग करने की मंशा से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग करना), 354-ए (यौन उत्पीड़न), धारा 376 की उपधारा दो (फ) (पद का दुरुपयोग कर अधीनस्थ महिला से बलात्कार) और 376 (2) (क) (नियंत्रण कर सकने की स्थिति वाले व्यक्ति द्वारा बलात्कार) के तहत मुकदमा चला.
तरण तेजपाल ने इन आरोपों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि छह महीने के भीतर इस केस का निपटारा किया जाए. पिछले साल अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल पूरा करने के लिए 31 मार्च, 2021 तक का समय दिया था, हालांकि मामला मई तक खिंचा है. इससे पहले, ट्रायल पूरा करने की समयसीमा इस साल के 31 दिसंबर थी. गोवा पुलिस ने तेजपाल के खिलाफ ट्रायल पूरा करने के लिए और मोहलत मांगी थी.
उस दौरान सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गोवा पुलिस की ओर से कहा था कि पीड़िता फेफड़ों की समस्या से पीड़ित हैं और फिलहाल यात्रा नहीं कर सकतीं, इसलिए जांच के लिए वक्त बढ़ाया जाना चाहिए.
इसके पहले 19 अगस्त 2019 को तेजपाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा था, जब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज करते हुए यौन उत्पीड़न के इस मामले में मुकदमे की सुनवाई शुरू करने का आदेश दिया था. शीर्ष कोर्ट ने गोवा की निचली अदालत में मामले की सुनवाई पर लगी रोक हटा ली थी.