उत्तराखंड आपदा : पूरी तरह नष्ट हुआ तपोवन बांध, तस्वीर में दिखा तबाही का मंजर

Uttarakhand flood: उत्तराखंड के जोशीमठ में रविवार सुबह करीब 10:30 बजे नंदादेवी ग्लेशियर के फटने की वजह से धौलीगंगा नदी में विकराल बाढ़ आ गई थी.

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जोशीमठ:

उत्तराखंड (Uttarakhand) के जोशीमठ में रविवार सुबह करीब 10:30 बजे नंदादेवी ग्लेशियर के फटने की वजह से धौलीगंगा नदी में विकराल बाढ़ आ गई थी. इस हादसे में एक जलविद्युत परियोजना पर काम कर रहे करीब 170 श्रमिक लापता हैं. अभी तक 10 लोगों के मारे जाने की खबर है. ग्लेशियर फटने से मची तबाही से कई पॉवर प्रोजेक्ट पर भी असर पड़ा है. भारतीय सेनाओं समेत कई दल राहत कार्यों में जुटे हैं. बीती रात भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा. वायुसेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि तपोवन विष्णुगाढ़ हाइड्रो पॉवर प्लांट पूरी तरह से तहस-नहस हो गया है.

तस्वीरें बता रही हैं कि धौलीगंगा और ऋषिगंगा नदी पर बने डैम पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं. यह क्षेत्र राजधानी देहरादून से करीब 280 किलोमीटर दूर है. तपोवन के पास मलारी घाटी की शुरुआत में बने दो पुल भी नष्ट हो चुके हैं. जोशीमठ और तपोवन के बीच मुख्य सड़क मार्ग पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है. घाटी में निर्माण कार्य और स्थानीय लोग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं. प्रशासन की ओर से बीती शाम लोगों को राहत सामग्री पहुंचाई गई.

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हादसे के बाद चारों ओर मलबा ही मलबा दिखाई दे रहा है. NTPC अधिकारियों ने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि 520 मेगावॉट का तपोवन हाइड्रो-इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट का निर्माण कार्य जारी था. इसकी लागत 3000 करोड़ रुपये है. साइट पर काम कर रहे करीब 170 श्रमिक लापता हैं. उनकी तलाश में अभियान जारी है. NDRF, SDRF, ITBP, थलसेना, वायुसेना समेत कई बचाव दल राहत कार्यों में जुटे हैं. सुरंग में फंसे कई मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है.

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प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत (Trivendra Singh Rawat) ने बताया कि बाढ़ के रास्ते मे आने वाले मकान बह गए. निचले हिस्सों में मानव बस्तियों को नुकसान पहुंचने की आशंका हैं. कई गांव खाली करा लिए गए हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. रविवार शाम तक यह मान लिया गया था कि निचले क्षेत्र सुरक्षित हैं और केंद्रीय जल आयेाग ने कहा कि समीप के गांवों को खतरा नहीं है लेकिन धौलीगंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया. जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा था.

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