सुपरस्टार रजनीकांत (Rajinikanth) के समर्थकों ने इस महीने की शुरुआत में उनसे चुनावी राजनीति से दूर रहने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया था. अब सोमवार को रजनीकांत अपनी पार्टी रजनी मक्कल मंदरम (RMS) के जिला सचिवों से मिलेंगे. यह मीटिंग इस बात की पुष्टि करने के लिए है कि क्या वे वास्तव में अगले साल विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? टीम रजनी के भीतर के सूत्रों ने कहा है कि यह स्पष्ट नहीं है कि बैठक कोविड महामारी के मद्देनजर सामाजिक दूरी बनाए रखते हुए साथ बैठकर होगी या फिर ऑनलाइन आयोजित की जाएगी.
पिछले महीने अभिनेता रजनीकांत ने संकेत दिया था कि लंबे समय से प्रतीक्षित चुनावी राजनीति में उनके प्रवेश में देरी हो सकती है. इस बारे में एक पत्र में महामारी के दौरान प्रचार करने से रजनीकांत के स्वास्थ्य पर संभावित प्रभाव के बारे में डॉक्टरों की चिंता का हवाला दिया गया था. पत्र में अभिनेता को यात्राएं नहीं करने की सलाह दी गई थी. उसमें कहा गया है कि ऐसा लगता है कि उनकी किडनी की स्थिति को देखते हुए वे कोविड-19 वायरस की चपेट में आ सकते हैं.
69 वर्षीय एक्टर रजनीकांत ने बाद में कहा कि यह पत्र "मेरा नहीं, बल्कि डॉक्टर की सच्ची सलाह है."
पिछले दो वर्षों से विभिन्न राजनीतिक मुद्दों अपने विचार रखने वाले लेकिन सक्रिय राजनीति में प्रवेश को टालते रहने वाले अभिनेता ने कहा, "मैं रजनी मक्कल मंदरम से चर्चा करूंगा और उचित समय पर अपने राजनीतिक रुख की घोषणा करूंगा."
इसके कुछ दिनों बाद तमिलनाडु के वेल्लोर जिले में पोस्टर सामने आए, जिसमें उनसे पुनर्विचार करने का आग्रह किया गया. ऐसा ही एक पोस्टर "वेल्लोर सिटिजंस विशिंग फॉर ए चेंज" का सामने आया था. इसमें उनसे "भेड़ियों का खून चूसने वाले ईगल्स के समूह के दीक्षांत समारोह का शिकार करने के लिए शेर का रास्ता अपनाने'' का आग्रह किया गया था.
तमिलनाडु विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले रजनीकांत के चुनावी आगाज पर सस्पेंस है. उनके आने से राज्य के दो सबसे शक्तिशाली राजनेताओं एआईएडीएमके (AIADMK) की जे जयललिता और एमके करुणानिधि की मृत्यु के बाद खाली हुआ स्थान भर जाएगा.
इससे पहले पिछले साल अभिनेता और राजनेता कमल हासन (मक्कल नीधी माईम के प्रमुख) और रजनीकांत ने सुपरस्टार गठजोड़ की संभावना को लेकर तमिलनाडु के कल्याण के लिए एक साथ काम करने की इच्छा व्यक्त की थी.
पिछले हफ्ते गृह मंत्री अमित शाह की यात्रा के दौरान सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक ने कहा था कि वह बीजेपी के साथ अपना गठबंधन जारी रखेगा. बीजेपी की राज्य में उपस्थिति नगण्य है और वह लंबे समय से रजनीकांत को अपने साथ लेने की कोशिश में जुटी है. हालांकि अमित शाह और रजनीकांत के बीच कोई बैठक नहीं हुई है.
तमिलनाडु में लोगों के अभिनेता रजनीकांत की पकड़ बहुत मजबूत है. कई लोग मानते हैं कि साल 1996 में उनकी टिप्पणी "अगर जयललिता जीत जाती हैं तो यहां तक कि भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकते" जयललिता की हार का कारण बनी थी.
भाजपा की दक्षिणी राज्यों में अपना वर्चस्व बनाने की आकांक्षा छुपी नहीं है. इसका उदाहरण यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह जैसे दिग्गजों का अगले महीने होने वाले हैदराबाद नगरपालिका चुनावों के प्रचार के लिए मैदान में उतरना है.
तमिलनाडु में अगले साल मार्च में चुनाव होने की उम्मीद है. मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी लगातार तीसरे कार्यकाल में अन्नाद्रमुक का नेतृत्व करने की उम्मीद करेंगे. द्रमुक के एमके स्टालिन के नेतृत्व में विपक्ष पिछले साल के लोकसभा चुनावों में हासिल की गई अपनी पार्टी (कांग्रेस के साथ गठबंधन) की बेहद प्रभावशाली जीत को दोहराने की उम्मीद करेगा.