“उत्तर भारत में नौकरी...”: 'हिंदी बोलने वाले पानी पूरी बेचते हैं' वाले अपने बयान पर तमिलनाडु के मंत्री ने दी सफाई

हिंदी भाषा को लेकर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच फिर से बहस छिड़ती दिखाई दे रही है. हाल ही में तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. के. पोनमुडी ने हिंदी को लेकर एक विवादित बयान दे दिया. इस मसले के तूल पकड़ने के बाद शिक्षा मंत्री डॉ. के. पोनमुडी ने अपना स्पष्टीकरण जारी किया है.

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तमिलनाडु के मंत्री के पोनमुडी ने हिंदी भाषा कसा था तंज
चेन्नई:

तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी हिंदी पर दिए विवादित बयान की वजह से इन दिनों सुर्खियों में छाए हैं. हिंदी भाषा को रोजगार से जोड़ने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि हिंदी बोलने वाले पानी पूरी बेचते हैं. अब उन्होंने अपने इस बयान पर सफाई पेश की है. शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने कहा कि उनकी टिप्पणी उत्तरी राज्यों में नौकरियों की कमी के संदर्भ में की गई थी. उन्होंने कहा, "तमिलनाडु के विभिन्न व्यक्ति उत्तरी राज्यों में जाकर काम करते हैं. मैंने ये बात इस अर्थ में कही कि उत्तर के विभिन्न व्यक्ति यहां आते हैं और काम करते हैं क्योंकि उत्तरी राज्यों में कोई काम उपलब्ध नहीं है." .

एक विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में, तमिलनाडु के उच्च शिक्षा मंत्री के. पोनमुडी ने राज्य में निवासियों के लिए हिंदी सीखने के उपयोग पर सवाल उठाया था. उन्होंने कहा, "किसी ने कहा कि अगर आप हिंदी सीखते हैं तो आपको नौकरी मिल जाएगी, क्या आपको नौकरी मिल रही है? हमारे शहर कोयंबटूर में जाकर देखें, वे पानी पुरी बेचते हैं. वे पानी पुरी की दुकानें चलाते हैं." "तमिलनाडु में, हमारी अपनी प्रणाली होनी चाहिए. तमिलनाडु में, तमिल एक स्थानीय भाषा है और हमारे पास अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है." 

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इसके साथ ही उन्होंने हिंदी के बारे में भी बात की, जिसे कई लोग गलती से राष्ट्रीय भाषा कहते हैं. पिछले हफ्तों में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बॉलीवुड स्टार अक्षय कुमार सहित कई लोगों ने हिंदी को लेकर फिर से बहस छेड़ दी थी. जिसे भारत के अन्य राज्यों में हमेशा हिंदी को थोपने के रूप में देखा जाता है. पोनमुडी ने कहा कि उन्होंने इस मंच का इस्तेमाल भाषा के मुद्दे पर तमिलनाडु की भावनाओं को उजागर करने के लिए किया और राज्यपाल इससे केंद्र को अवगत करा देंगे.उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में लंबे समय से अंग्रेजी और तमिल प्रचलन में हैं और यह कायम रहेगा, वहीं छात्र हिंदी सहित अन्य भाषाएं सीखने के खिलाफ नहीं हैं. '

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