तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा तमिलनाडु सरकार के मंत्री को हटाए जाने पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने कहा है कि, तमिलनाडु के राज्यपाल का कदम पूरी तरह असंवैधानिक है. तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने जेल में बंद राज्य के बिजली और आबकारी मंत्री वी सेंथिल बालाजी को बर्खास्त कर दिया है. बताया जाता है कि इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से कोई परामर्श नहीं लिया. सेंथिल अभी एक आपराधिक मामले में न्यायिक हिरासत में हैं, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है.
राघव चड्ढा ने ट्वीट किया है कि, ''हमारे संविधान के अनुसार, मंत्रियों की नियुक्ति करना, विभागों में फेरबदल करना और किसी मंत्री को हटाना, यह मुख्यमंत्री के विशेष अधिकार क्षेत्र में आता है. राज्यपाल को केवल मुख्यमंत्री की सिफारिशों को आगे बढ़ाना होता है. तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा वी सेंथिल बालाजी को बर्खास्त करना पूरी तरह से असंवैधानिक है.''
तमिलनाडु के राज्यपाल के इस कदम से प्रदेश की डीएमके सरकार और गवर्नर के बीच चल रहा गतिरोध और बढ़ सकता है.
तमिलनाडु के राजभवन ने एक आधिकारिक विज्ञप्ति में बताया है कि सेंथिल बालाजी "नौकरी के बदले में नकदी लेने और धन शोधन समेत भ्रष्टाचार के कई मामलों में गंभीर आपराधिक कार्रवाई का सामना कर रहे हैं. इन परिस्थितियों में राज्यपाल ने सेंथिल बालाजी को तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से बर्खास्त कर दिया है."
सूत्रों ने बताया है कि तमिलनाडु सरकार इस कदम को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रही है. चेन्नई की एक अदालत ने बुधवार को बालाजी की न्यायिक हिरासत बढ़ा दी. बालाजी को इस महीने की शुरुआत में प्रवर्तन निदेशालय ने 12 जुलाई तक के लिए गिरफ्तार किया था.
बालाजी और उनके सहयोगियों के खिलाफ मामला 2011-15 के दौरान अन्नाद्रमुक सरकार में राज्य के परिवहन मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल से संबंधित है, जब उन्होंने अपने भाई आरवी अशोक कुमार सहित अपने सहयोगियों के साथ सभी राज्य परिवहन उपक्रमों के प्रबंध निदेशकों और परिवहन निगमों के अन्य अधिकारियों के साथ कथित रूप से आपराधिक साजिश रची थी.
साल 2014-15 के दौरान परिवहन निगम में भर्ती के लिए अभ्यर्थियों से रिश्वत लेने के लिए कथित रूप से साजिश रची गई थी. ईडी ने आरोप लगाया कि ‘‘पूरी नियुक्ति प्रक्रिया धोखाधड़ीपूर्ण और बेईमानीपूर्ण तरीके से की गई.'' और बालाजी के निर्देशानुसार शनमुगम, अशोक कुमार तथा कार्तिकेयन द्वारा उपलब्ध कराई गई सूची के अनुरूप ही इसे अंजाम दिया गया. आरोप हैं कि इन चारों ने नियुक्ति आदेश जारी करने के लिए बालाजी की ओर से उम्मीदवारों से पैसे वसूले. उम्मीदवारों ने आरोप लगाया था कि जिन्होंने पैसा दिया था, उन्हें न तो नियुक्ति आदेश जारी किए गए और न ही पैसा वापस मिला जैसा कि बालाजी और तीन अन्य ने वादा किया था.