- शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने वर्ण व्यवस्था का समर्थन किया है.
- उन्होंने मनुस्मृति को संविधान से भी महत्वपूर्ण बताया.
- राम कथा वाचक की पिटाई के बाद हो रहे विवाद पर एनडीटीवी से उन्होंने बात की
- सनातन धर्म के चारों वर्णों को समान बताया गया है: शंकराचार्य
उत्तर प्रदेश में राम कथा वाचक की पिटाई के मामले पर चल रही राजनीति के बीच, एनडीटीवी के साथ विशेष बातचीत में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वे वर्ण व्यवस्था के समर्थक हैं. उन्होंने कहा कि शंकराचार्य के रूप में हम जो जिम्मेदारी निभा रहे हैं, उसके लिए वर्ण व्यवस्था को संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है. अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने यह भी कहा कि मनुस्मृति संविधान से भी बड़ी है और मनुस्मृति ही पूरी दुनिया का संविधान है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि संविधान भेदभाव कर रहा है, देश में आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए.हालांकि साथ ही उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अनुसार 4 वर्ण है और कोई किसी से कम नहीं है.
शंकराचार्य ने कहा कि हमारा सनातन धर्म आज की तारीख में अलग हो और कल की तारीख में अलग हो ऐसा नहीं होता है वो हर तारीख में एक जैसा रहता है. इसीलिए उसका नाम सनातन है तो इसलिए आज की तारीख की बात नहीं है अगर आपका आशय यह है कि कोई संविधान की बात करता है कि संविधान से चलेगा. तो फिर संविधान की कथा करो ना हम कहां मना कर रहे हैं. संविधान की कथा हर व्यक्ति करें लेकिन बात धर्म की होगी और नाम संविधान का लिया जाएगा और ऐसा प्रदर्शित किया जाएगा जैसे संविधान और धर्म दोनों एक दूसरे के विरुद्ध हैं जबकि ऐसी बात भी नहीं है.
शंकराचार्य ने कहा कि जो लोग बराबरी करने के लिए प्रयत्न कर रहे हैं पिछले 100, 150, 200 सालों से वो क्यों नहीं बराबरी कर पा रहे? अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि देखिए सनातन धर्म के अनुसार चार वर्ण है लेकिन कोई छोटा कोई बड़ा नहीं है. सब भगवान के अंग हैं और सबको एक ही तरह के प्राप्तियां माने एक ही तरह के फल प्राप्त हैं.
हम संविधान के अनुसार ही कार्य कर रहे हैं: शंकराचार्य
शंकराचार्य ने कहा कि बाबा साहब बाबा साहब के संविधान को चुनौती नहीं दे रहे हैं आपको पता होना चाहिए कि बाबा साहब के संविधान के आधार पर ही इस देश में हम सनातन धर्म का पालन कर रहे हैं. क्यों क्योंकि उन्होंने आर्टिकल 25, 26, 27, 28, 29 में हमको छूट दी है इसीलिए हम कर रहे हैं बाबा साहब के संविधान के विरुद्ध नहीं कर रहे हैं.
आरएसएस पर क्या बोले शंकराचार्य?
शंकराचार्य से जब एनडीटीवी की तरफ से पूछा गया कि आपकी भाषा आरएसएस के करीब दिखती है तो उन्होंने कहा कि हम जब बोलते हैं तो धर्म के अनुसार बोलते हैं. किसी का चेहरा देख के नहीं बोलते कि कौन संघ है और कौन बेसंघ है. आरएसएस पर अपनी नाराजगी दिखाते हुए उन्होंने कहा कि RSS कुछ नहीं कहता है, वो जहां जैसा माहौल होता है वैसा कहता है.
अखिलेश यादव पर भी साधा निशाना
अखिलेश यादव द्वारा कथावाचक का सम्मान किए जाने पर शंकराचार्य ने कहा कि यह गलत है. उन्होंने कहा कि मैंने इसका विरोध किया. उन्होंने कहा कि मैंने जीवन में पहली बार देखा है कि कोई कहीं से मार खाकर आ गया गलत या सही पता नहीं. उसका सम्मान किया गया. किसी के साथ अन्याय होता है तो उसके प्रति संवेदना दिखायी जाती है सम्मान और अभिनंदन नहीं होता है. यह मैंने पहली बार देखा. उन्होने कहा कि राजनीतिक कारणों से मामले को तूल दिया जा रहा है.