भारतीय राजदूत से दोहा में मिलने वाले तालिबानी नेता को इंडियन आर्मी ने तीन साल दी थी ट्रेनिंग

यह पहली बार है जब भारत ने तालिबान के साथ राजनयिक संपर्क करने की बात कबूल की है.

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कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख स्टेनिकजई.
नई दिल्ली:

कतर में भारत के राजदूत दीपक मित्तल से मंगलवार को दोहा मुलाकात करने वाले तालिबान के प्रतिनिधि ने 1970 के दशक के अंत और 1980 के दशक के शुरुआत में भारतीय सेना के कई ट्रेनिंग सेंटर पर प्रशिक्षण हासिल किया है. हाल ही में अफगानिस्तान में सत्ता पर काबिज होने वाले आतंकवादी समूह के सात अहम लोगों में से एक शेर मोहम्मद अब्बास स्टेनिकज़ई तालिबान का एक प्रमुख राजनयिक है.

यह पहली बार है जब भारत ने तालिबान के साथ राजनयिक संपर्क करने की बात कबूल की है. विदेश मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार, राजदूत मित्तल ने कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख स्टेनिकजई से मुलाकात की. बयान में कहा गया है कि वे दोहा में भारतीय दूतावास में मिले.

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स्टेनिकज़ई 1979 से 1982 के बीच भारतीय सेना के साथ ट्रेनिंग हासिल की थी. इस दौरान उसने आर्मी कैडेट कॉलेज, नौगांव में तीन साल एक जवान के रूप में और फिर भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून में एक अधिकारी के रूप में ट्रेनिंग ली थी.

वह एक बिरले तालिबान नेता है जो अंग्रेजी में निपुण है और दुनिया भर में काफी यात्राएं की हैं. खासकर अफगानिस्तान के उप-विदेश मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जब पहल तालिबान का उस पर नियंत्रण था. 

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ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 1996 में उसने राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के प्रशासन को तालिबान सरकार को स्वीकार करने के लिए मनाने के लिए एक असफल मिशन पर वाशिंगटन डीसी का दौरा किया था. इसके साथ ही उसने चीन के प्रतिनिधिमंडल का भी नेतृत्व किया था. पिछली अफगानिस्तान सरकार के अधिकारियों के साथ हुई बातचीत में स्टानिकजई अब्दुल हकीम हक्कानी के उप वार्ताकार भी थे.

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आज की वार्ता में, भारत ने रक्षा, सुरक्षा और अफगानिस्तान में फंसे भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी पर फोकस किया. भारत विरोधी गतिविधियों और आतंकवाद के लिए अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किए जाने पर भी चिंता जताई.

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