मुहर्रम महीने की शुरुआत के मौके पर देश भर में निकाला गया ताजिया, देखिए तस्वीरें

मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय की तरफ से ताजिया निकाली जाती है. ताजिया को हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है. 

Advertisement
Read Time: 2 mins
नई दिल्ली:

शिया समुदाय के हजारों लोगों ने बुधवार को मुहर्रम के 10वें दिन पैगंबर मोहम्मद के नवासे इमाम हुसैन की शहादत की बरसी के अवसर पर देश के तमाम हिस्सों में जुलूस निकाला. इस्लामी कैलेंडर में मुहर्रम महीने के 10वें दिन को 'यौम-ए-आशूरा' कहा जाता है.  इस मौके पर कर्बला की लड़ाई में पैगम्बर मुहम्मद के नवासे इमाम हुसैन और उनके अनुयायियों की शहादत को याद किया जाता है.

मुस्लिम समुदाय में मुहर्रम का अत्यधिक महत्व होता है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, मुहर्रम के महीने से नए साल की शुरूआत होती है. इस साल मुहर्रम की शुरूआत बीती 7 जुलाई को हो गई थी.

मुहर्रम के महीने को मुसलिम समुदाय में बेहद पवित्र माह माना जाता है. इस महीने में कई जुलूस निकाले जाते हैं और कई दिनों पर रोजा रखा जाता है. इस माह मुस्लिम समुदाय जश्न से दूर रहता है और चमक-धमक वाले लिबास नहीं पहने जाते हैं. मान्यतानुसार मुहर्रम शुरू होने के बाद के दसवें दिन को आशुरा के रूप में मनाया जाता है.

आशुरा (Ashura) के दिन को मुस्लिम समुदाय में मातम भी माना जाता है. इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व भी है और साथ ही इससे पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है. यहां जानिए आशुरा से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में. 

इस्लामिक मान्यतानुसार, तकरीबन 1400 साल पहले बादशाह यजीद के द्वारा हजरत इमाम हुसैन को कर्बला के मैदान में बंद कर दिया गया था.

मुहर्रम के महीने की दसवीं तारीख को ही पैगंबर मोहम्मद के नाती इमाम हुसैन को शहीद किया गया था. इसी गम में हर साल आशुरा के दिन ताजिए निकाले जाते हैं, शोक मनाया जाता है और दुख का माहौल होता है.

Advertisement

मुहर्रम के दिन मुस्लिम समुदाय की तरफ से ताजिया निकाली जाती है. ताजिया को हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है. 

इस दिन लोग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं. कर्बला की जंग में इमाम हुसैन और इराक के कर्बला में यजीद की सेना की बीच जंग हुई थी.मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन की शहादत की याद में ताजिया निकाली जाती है. 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bahraich Wolf Attack: UP के Bahraich में आदमखोर भेड़िये का आतंक, देखते ही गोली मारने का आदेश!
Topics mentioned in this article