"न्यूयॉर्क टाइम्स ने भयानक गलती की": ताजा Pegasus विवाद पर NDTV से बोले पूर्व राजनयिक

NDTV से बात करते हुए अकबरुद्दीन ने वोट को "निम्न-स्तर का मुद्दा" बताते हुए कहा कि नई दिल्ली, इज़राइल या फिलिस्तीन से किसी ने भी 2019 में न्यूयॉर्क में भारतीय मिशन से संपर्क नहीं किया था. उन्होंने कहा कि यूएन में एक वोट के बदले जासूसी उपकरण पेगासस डील को जोड़ना एक "गंभीर" त्रुटि है.

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संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरुद्दीन.
नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र (UN) में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरुद्दीन (Syed Akbaruddin) ने Pegasus विवाद में न्यूयॉर्क टाइम्स (NYT) के उस दावे को गंभीर गलती करार दिया है, जिसमें कहा गया है कि 2017 में भारत और इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों एवं खुफिया उपकरणों का सौदा संयुक्त राष्ट्र में इजराइल के पक्ष में 2019 में भारत के वोट देने से जुड़ा है. 

NDTV से बात करते हुए अकबरुद्दीन ने वोट को "निम्न-स्तर का मुद्दा" बताते हुए कहा कि नई दिल्ली, इज़राइल या फिलिस्तीन से किसी ने भी 2019 में न्यूयॉर्क में भारतीय मिशन से संपर्क नहीं किया था. उन्होंने कहा कि यूएन में एक वोट के बदले जासूसी उपकरण पेगासस डील को जोड़ना एक "गंभीर" त्रुटि है. हालांकि, उन्होंने इस मामले के मुख्य बिंदु पर कोई टिप्पणी नहीं की, जिसमें दावा किया गया है कि भारत ने इजरायल की सुरक्षा फर्म एनएसओ से पेगासस स्पाइवेयर खरीदा है.

उन्होंने कहा, "हमारे (भारत और इज़राइल) संबंधों में सुधार हुआ है. इस बारे में कोई संदेह नहीं है. यह संयुक्त राष्ट्र में सभी के लिए दृश्यमान रहा है. मैंने अपनी किताब में लिखा है कि इजराइल ने ICJ (इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस) में एक भारतीय जज का समर्थन किया है. यह 2017 में हुआ था. यह खुला ज्ञान है कि हमारे संबंध प्रगाढ़ हो रहे हैं. जहां हित मेल खाते हैं, निश्चित रूप से राज्य मिलकर काम करते हैं. मुझे नहीं लगता कि इसमें छिपाने के लिए कुछ है...मुझे नहीं लगता कि इसका इससे कोई लिंक है. मुझे कहना होगा कि द न्यू यॉर्क टाइम्स ने इस बात पर गंभीर रूप से गलती की है."

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अकबरुद्दीन ने कहा, "यह एक फ़िलिस्तीनी एनजीओ का एक सामान्य मामला था... और शुरू में किसी को इससे कोई समस्या नहीं थी. उस समय, कई देश सामने आए और कहा कि उन्हें कुछ ऐसे संबंध मिले हैं जिन्हें एनजीओ ने प्रारंभिक प्रस्तुति के दौरान उजागर नहीं किया था."

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उन्होंने आगे कहा, "इसीलिए, हमें एक फैसला करना पड़ा क्योंकि आतंकवादियों द्वारा गैर सरकारी संगठनों (NGO) की घुसपैठ के बारे में हमें कई, कई चिंताएं थीं. वास्तव में, भारत ने पुनरीक्षण करने के लिए एक प्रारूप का प्रस्ताव रखा था. जब यह मामला सामने आया, तो इस समिति को संभालने वाले मेरे सहयोगी मेरे पास आए और कहा, 'राजदूत, हम क्या करें?' और बिना पलक झपकाए मैंने कहा 'ठीक है, यह आतंकवादियों से जुड़ा मामला है. वे बस इतना कह रहे थे कि इस बैठक में देरी करें, तो हमें उसमें कोई समस्या क्यों होनी चाहिए थी?' मैंने कभी किसी से सलाह-मशविरा नहीं किया और इस बारे में जरूरी निर्देश दिए क्योंकि ये हमारी नीति के अनुरूप थे. इस पर या इसके बाद न तो नई दिल्ली से भी किसी ने मुझसे संपर्क किया था और न ही फिलीस्तीनियों ने मुझसे संपर्क किया क्योंकि यह एक एनजीओ था... मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ कि द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक छोटे एनजीओ पर एक अलग रुख लिया और इसे एक बड़ी कहानी से जोड़ दिया. मुझे बड़ी कहानी के बारे में कोई जानकारी नहीं है. मैं न्यूयॉर्क में स्थायी प्रतिनिधि था."

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उन्होंने कहा कि जून 2019 में यूएन के सामाजिक-आर्थिक परिषद (UNSEC)में मानवाधिकार संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले एक फिलिस्तीनी NGO को ऑब्जर्वर स्टेटस दिए जाने के मामले पर इज़राइल के पक्ष में वोट देने के मामले को पेगासस मामले से जोड़ने में NYT ने गंभीर गलती की है.

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अमेरिकी समाचार पत्र ‘न्यूयॉर्क टाइम्स' की खबर के अनुसार, 2017 में भारत और इजराइल के बीच हुए लगभग दो अरब डॉलर के अत्याधुनिक हथियारों एवं खुफिया उपकरणों के सौदे में पेगासस स्पाईवेयर तथा एक मिसाइल प्रणाली की खरीद मुख्य रूप से शामिल थी.

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