सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बुलडोजर एक्शन को लेकर अपना फैसला दे दिया है. अदालत ने कहा कि घर सबका सपना होता है, ये बरसों का संघर्ष है और सम्मान की निशानी. अगर घर गिराया जाता है, तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था. अफसर खुद जज नहीं बन सकते." यूपी के पूर्व CM और समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है. अखिलेश ने कहा, "अब किसी का घर नहीं टूटेगा. कम से कम आज उनका बुलडोजर गैराज में खड़ा होगा. सरकार के खिलाफ इससे ज्यादा टिप्पणी और क्या हो सकती है."
अखिलेश यादव ने ये बातें कानपुर की सीसामऊ सीट पर चुनाव प्रचार के दौरान कही. उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. सुप्रीम कोर्ट ने इस (BJP) सरकार का प्रतीक बन चुके बुलडोजर के खिलाफ टिप्पणी की है. सरकार के खिलाफ इस फैसले के लिए मैं सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद देता हूं... जो लोग घर तोड़ना जानते हैं, उनसे आप क्या उम्मीद कर सकते हैं? कम से कम आज उनका बुलडोजर गैराज में खड़ा होगा.अब किसी का घर नहीं टूटेगा. सरकार के खिलाफ इससे ज्यादा टिप्पणी और क्या हो सकती है."
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर लगाया 25 लाख का जुर्माना
अखिलेश यादव ने आगे कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने सरकार पर 25 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा बुलडोजर चलाने वालों से जुर्माना वसूला जाएगा. अब किसी गरीब का मकान नहीं गिरेगा. सरकार के बुलडोजर एक्शन ने कई परिवारों को तबाह कर दिया. इससे ज्यादा सरकार के खिलाफ टिप्पणी और क्या हो सकती है. कोर्ट ने दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने की भी बात कही है."
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एक दिन हमारे विधायक रिहा होकर हमारे बीच आएंगे
अखिलेश यादव ने कहा, "हमें कोर्ट पर पूरा भरोसा है. एक दिन हमारे विधायक रिहा होकर हमारे बीच आएंगे. वैसे ही काम करेंगे जैसे पहले करते थे. इस बार BJP 9 की 9 सीटें हारने जा रही है. 13 तारीख के चुनाव को इन्होंने टाल दिया, लेकिन वे चुनाव हार रहे है. प्रयागराज में विद्यार्थी परीक्षा चाहते है, लेकिन सरकार परीक्षा नहीं करा पा रही है."
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने बुलडोजर एक्शन पर पूरे देश के लिए 15 गाइडलाइन जारी कीं. अदालत ने कहा, "घर सबका सपना होता है, ये बरसों का संघर्ष है और सम्मान की निशानी. अगर घर गिराया जाता है, तो अधिकारी को साबित करना होगा कि यही आखिरी रास्ता था. अफसर खुद जज नहीं बन सकते. अगर घर गिराने का फैसला ले लिया गया है तो 15 दिन का समय दिया जाए."
किसने लगाई थी याचिका?
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने शीर्ष अदालत में बुलडोजर एक्शन पर याचिका लगाई थी. इस याचिका में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में लगातार बुलडोजर एक्शन का जिक्र किया गया था. आरोप लगाया गया था कि BJP शासित राज्यों में मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है. उनके घरों पर बुलडोजर चलाया जा रहा है.
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केंद्र की दलील- हमारे हाथ न बांधे
सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि अदालत अपने फैसले से हमारे हाथ ना बांधे. किसी की भी प्रॉपर्टी इसलिए नहीं गिराई गई है, क्योंकि उसने अपराध किया है. आरोपी के अवैध अतिक्रमण पर कानून के तहत एक्शन लिया गया है.
कार्रवाई के लिए एक सिस्टम हो
इसपर अदालत ने कहा, "यह गलत है. अधिकारी कानून अपने हाथ में लेता है, तो एक्शन लिया जाना चाहिए. मनमाना और एकतरफा एक्शन नहीं ले सकते. अफसर ऐसा करता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए एक सिस्टम हो. अधिकारी को बख्शा नहीं जा सकता है."
योगी सरकार बोली- ये मामला यूपी का नहीं
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यूपी सरकार की प्रतिक्रिया भी आई है. योगी सरकार ने कहा, "सुशासन की पहली शर्त होती है क़ानून का राज. इस दृष्टि से सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागत योग्य है. हालांकि, यह आदेश दिल्ली के संदर्भ में था, उत्तर प्रदेश सरकार इसमें पार्टी नहीं थी. लेकिन, इस फैसले से अपराधियों के मन में कानून का भय होगा."
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