तलाक-ए-हसन के खिलाफ मुस्लिम महिला की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

वकील अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि नोएडा की लगभग 30 वर्षीय पत्रकार के साथ हुआ है. अगर उन्हें तीसरा तलाक दिया जाता है तो एकमात्र विकल्प हलाला है.

विज्ञापन
Read Time: 27 mins
तलाक-ए-हसन पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होगी सुनवाई...
नई दिल्ली:

तलाक-ए-हसन  (Talaq-e-Hasan) के खिलाफ मुस्लिम महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई कर सकता है. महिला की ओर से जल्द सुनवाई की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा दिलाया कि वो शुक्रवार को मामले की सुनवाई करेंगे.अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 19  जून को तलाक का आखिरी नोटिस मिल जाएगा. ऐसे में महिला को हलाला के लिए जाना पड़ेगा.

वकील अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि ये राष्ट्रीय महत्व का मामला है. जस्टिस एमआर शाह ने कहा था 
कि आप सभी के हितों के चैंपियन नहीं हैं. उपाध्याय ने कहा था कि नोएडा की लगभग 30 वर्षीय पत्रकार के साथ हुआ है. अगर उन्हें तीसरा तलाक दिया जाता है तो एकमात्र विकल्प हलाला है. जहां उसे दूसरे आदमी के साथ रिलेशन बनाना होगा.  जस्टिस एमआर शाह ने कहा था किआप सबके हित के हिमायती नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने शुरू में उपाध्याय को इसके बजाय हाईकोर्ट जाने को कहा था हालांकि उपाध्याय के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट छुट्टी के बाद मामले को सूचीबद्ध करने के लिए तैयार हो गया था. 

याचिका में केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह सभी के लिए लिंग तटस्थ धर्म, तलाक के तटस्थ समान आधार और तलाक की समान प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश तैयार करें.  यह याचिका गाजियाबाद की पत्रकार बेनजीर हिना ने दायर की है. उन्होंने याचिका में आरोप लगाया है कि उसका पति और उसका परिवार उसे दहेज के लिए प्रताड़ित करता था.  जब उसने इनकार किया तो उसने एक वकील के माध्यम से उसे एकतरफा अतिरिक्त न्यायिक तलाक-ए-हसन दिया. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई की मांग के लिए रजिस्ट्रार के पास जाने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर रजिस्ट्रार बात नहीं सुनते हैं तो वो फिर से अदालत में आ सकते हैं. याचिकाकर्ता बेनज़ीर की ओर से पिंकी आनंद ने कहा था कि  उसका 8.5 साल का बेटा है. पहला नोटिस 20 अप्रैल को मिला था, मामले की जल्द सुनवाई की जाए.  इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया था.

Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता अगले हफ्ते सुनवाई के लिए मेंशन करें. मुस्लिम महिला की ओर से पिंकी आनंद ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था  कि 19 अप्रैल को उसके पति ने तलाक ए हसन के तहत उसे पहला नोटिस जारी किया. इसके बाद 20 मई को दूसरा नोटिस जारी किया गया. अगर अदालत ने दखल नहीं दिया तो 20 जून तक तलाक की कार्यवाही पूरी हो जाएगी इसलिए सुप्रीम कोर्ट जल्द सुनवाई करे, लेकिन जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि 19 अप्रैल को पहला नोटिस जारी किया गया था, लेकिन आपने दूसरे नोटिस तक इंतजार किया. हम मामले पर कोर्ट खुलने के बाद सुनवाई करेंगे.  महिला की तलाक ए हसन को चुनौती देने वाली याचिका पर जल्द सुनवाई की जरूरत नहीं है.

Advertisement

जज ने ये भी पूछा था कि इस मामले में जनहित याचिका क्यों दायर की गई, हालांकि याचिकाकर्ता के गुहार लगाने के बाद अदालत ने कहा कि वो अगले हफ्ते मेंशन करें. दरअसल  सुप्रीम कोर्ट में तलाक ए हसन को लेकर भी जनहित याचिका दाखिल की गई है. बेनजीर हिना ने याचिका दाखिल कर तलाक ए हसन को एकतरफा, मनमाना और समानता के अधिकार के खिलाफ बताया है.

Advertisement

याचिकाकर्ता के मुताबिक- ये परंपरा इस्लाम के मौलिक सिद्धांत में शामिल नहीं है. याचिकाकर्ता की कोर्ट से गुहार लगाई है कि उसके ससुराल वालों ने निकाह के बाद दहेज के लिए उसे प्रताड़ित किया. दहेज की लगातार बढ़ती मांग पूरी न किए जाने पर उसे तलाक दे दिया. ये प्रथा सती प्रथा की तरह ही सामाजिक बुराई है. कोर्ट इसे खत्म कराने के लिए इसे गैरकानूनी घोषित करें, क्योंकि हजारों मुस्लिम महिलाएं इस कुप्रथा की वजह से पीड़ित होती हैं. इस्लाम में तलाक के तीन तरीके ज्यादा प्रचलन में थे एक है तलाक़-ए-अहसन.

Advertisement

इस्लाम की व्याख्या करने वालों के मुताबिक तलाक़-ए-अहसन में शौहर बीवी को तब तलाक़ दे सकता है जब उसका मासिक धर्म चक्र न चल रहा हो (तूहरा की समयावधि). इसके बाद तकरीबन तीन महीने एकांतवास की अवधि यानी इद्दत के बाद चाहे तो वह तलाक वापस ले सकता है. यदि ऐसा नहीं होता तो इद्दत के बाद तलाक को स्थायी मान लिया जाता है, लेकिन इसके बाद भी यदि यह जोड़ा चाहे तो भविष्य में निकाह यानी शादी कर सकता है इसलिए इस तलाक़ को अहसन यानी सर्वश्रेष्ठ कहा जाता है.

दूसरे प्रकार का तलाक है, तलाक़-ए-हसन इसकी प्रक्रिया भी तलाक़-ए-अहसन की तरह है, लेकिन इसमें शौहर अपनी बीवी को तीन अलग-अलग बार तलाक कहता है वो भी तब जब बीवी का मासिक धर्म चक्र न चल रहा हो. यहां शौहर को अनुमति होती है कि वह इद्दत की समयावधि खत्म होने के पहले तलाक वापस ले सकता है. यह तलाक़शुदा जोड़ा चाहे तो भविष्य में फिर से निकाह यानी शादी कर सकता है. इस प्रक्रिया में तीसरी बार तलाक कहने के तुरंत बाद वह अंतिम मान लिया जाता है यानी तीसरा तलाक बोलने से पहले तक निकाह पूरी तरह खत्म नहीं होता. तीसरा तलाक बोलने और तलाक पर मुहर लगने के बाद तलाक़शुदा जोड़ा फिर से शादी तब ही कर सकता है जब बीवी इद्दत पूरी होने के बाद किसी दूसरे व्यक्ति से निकाह यानी शादी कर ले, इस प्रक्रिया को हलाला कहा जाता है. अगर पुराना जोड़ा फिर शादी करना चाहे तो बीवी नए शौहर से तलाक लेकर फिर इद्दत में एकांतवास करे.  फिर वो पिछले शौहर से निकाह कर सकती है.

Featured Video Of The Day
Jade Plant क्या है? इसके फायदे, उपयोग और खास बातें जो आप नहीं जानते | Hum Do Hamare Paudhe Do
Topics mentioned in this article