'हमारी अंतरात्मा तक को झकझोर दिया...; प्रयागराज बुलडोजर एक्शन मामले में फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट

Prayagraj Bulldozer Action: वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और तीन अन्य, जिनके घर ढहाए गए थे. उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें बुलडोजर कार्रवाई से ठीक एक रात पहले नोटिस दिया गया था. 

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Supreme Court on Bulldozer Action: बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रयागराज शहर में बुलडोजर कार्रवाई के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और लोकल प्रशासन को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर एक्शन असंवैधानिक के साथ अमानवीय भी था. जस्टिस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने वाले मकान मालिकों को 10 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश देते हुए आज कहा, "इससे हमारी अंतरात्मा को झकझोर दिया है. आश्रय का अधिकार, कानून की उचित प्रक्रिया नाम की कोई चीज होती है." इससे पहले, अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक वकील, एक प्रोफेसर और कुछ अन्य लोगों के घरों को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना ढहाने के लिए फटकार लगाई थी.

बुलडोजर एक्शन से एक रात पहले मिला लोगों का नोटिस

वकील जुल्फिकार हैदर, प्रोफेसर अली अहमद और तीन अन्य, जिनके घर ढहाए गए थे. उन्होंने अदालत को बताया कि उन्हें बुलडोजर कार्रवाई से ठीक एक रात पहले नोटिस दिया गया था. याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने अदालत को बताया कि अधिकारियों ने गलती से उस ज़मीन की पहचान कर ली, जिस पर उनके घर बने थे, जो गैंगस्टर अतीक अहमद की थी, जिसकी 2023 में हत्या कर दी गई थी. अदालत ने विध्वंस नोटिस देने के तरीके के लिए भी अधिकारियों की खिंचाई की. जबकि राज्य के वकील ने कहा कि नोटिस संपत्तियों पर चिपकाए गए थे.

लोगों को 10 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए

जस्टिस ओका ने कहा, "इस तरह के अतिक्रमण को रोका जाना चाहिए. इसके कारण उन्होंने अपने घर खो दिए हैं... और प्रत्येक मामले में 10 लाख रुपये का मुआवजा तय किया जाना चाहिए. ऐसा करने का यही एकमात्र तरीका है, ताकि यह प्राधिकरण हमेशा उचित प्रक्रिया का पालन करना याद रखे." अदालत ने अपने आदेश में कहा, "ये मामले हमारी अंतरात्मा को झकझोरते हैं. अपीलकर्ताओं के आवासीय परिसरों को इस मामले में जबरन ध्वस्त कर दिया गया है, जिस पर हमने विस्तार से चर्चा की है."

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संविधान से मिला है हर किसी को आश्रय का अधिकार

अदालत ने कहा कि जिनके घर ध्वस्त किए गए, उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए मौका ही नहीं दिया गया. इसने कहा, "अधिकारियों और विशेष रूप से विकास प्राधिकरण को यह याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार भी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 का एक अभिन्न अंग है." "इस तरह से ध्वस्तीकरण करना वैधानिक विकास प्राधिकरण की ओर से असंवेदनशीलता को दर्शाता है." अदालत ने उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में एक ध्वस्तीकरण अभियान के वायरल वीडियो का भी हवाला दिया, जिसमें एक छोटी लड़की को अपनी किताबें पकड़े हुए देखा गया था, जबकि बुलडोजर घरों को ध्वस्त कर रहा था. जस्टिस भुइयां ने कहा, "ऐसे दृश्यों से हर कोई परेशान है."

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