CBI, ED जैसी एजेंसियों में CCTV लगाने के मामले में SC ने केंद्र को फटकारा, कहा- 'नागरिकों के अधिकारों...'

CBI, ED, NCB और NIA जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों में CCTV लगाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई की और केंद्र और राज्य सरकारों को अधूरी जानकारी देने और कैमरे लगाने में देरी करने के लिए फटकारा.

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जांच एजेंसियों में CCTV कैमरे लगाए जाने के मामले पर SC में सुनवाई.
नई दिल्ली:

सेंट्रल ब्यूरो इन्वेस्टीगेशन, प्रवर्तन निदेशालय, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों में CCTV लगाने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि उसे ऐसा लगा रहा है कि सरकार अपने पैर पीछे खींच रही है. अदालत ने कहा कि यह फैसला नागरिकों के मौलिक अधिकारों से संबंधित है और अदालत नागरिकों के मौलिक अधिकारों को लेकर चिंतित है. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो केंद्र के सुनवाई टालने के बहाने को मंजूर नहीं कर रहा है. कोर्ट ने थानों में सीसीटीवी लगाने को लेकर बिहार और मध्य प्रदेश सरकार को भी फटकार लगाई है और कहा कि वो अदालत के आदेश का सम्मान नहीं कर रहे हैं.

राज्यों को CCTV लगाने के लिए कोर्ट ने दिया वक्त

SC ने केंद्र को निर्देश दिया है कि केंद्र तीन सप्ताह के भीतर कोर्ट को सूचित करे कि केंद्रीय एजेंसियों के लिए कितना फंड आवंटित किया गया और सीसीटीवी कब लगाए जाएंगे. SC ने सीसीटीवी न लगाने के लिए राज्यों को भी फटकार लगाई और उन्हें धन आवंटित करने और सीसीटीवी लगाने का निर्देश दिया. SC ने कहा कि 'हमें धन की कमी से कोई सरोकार नहीं है, हम आपको निर्देश दे रहे हैं कि आप धन आवंटित करें और CCTV स्थापित करें. 1 राज्य एक महीने के भीतर धन आवंटित करें और पांच महीने के भीतर सीसीटीवी लगाएं.'

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अदालत ने यूपी को विशाल क्षेत्र के कारण CCTV लगाने के लिए 9 महीने का समय दिया है. मध्य प्रदेश के पुलिस स्टेशनों में CCTV लगाने के लिए 8 महीने का समय दिया गया है. वहीं, चुनाव के चलते पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु, असम और पुडुचेरी को दिसंबर 2021 के अंत तक सीसीटीवी लगाने के लिए कहा गया है.

दरअसल केंद्र ने इस मामले में सुनवाई को टालने का आग्रह किया था जिस पर अदालत नाराज हुई. मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था कि क्या राज्यों और केंद्र ने शीर्ष अदालत के आदेश का पालन किया है या नहीं.

केंद्र ने नहीं दी थी पूरी जानकारी

जस्टिस रोहिंटन नरीमन ने केंद्रीय एजेंसियों में सीसीटीवी लगाने के संबंध में 2020 के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि हम अपने आदेश के इस हिस्से से चिंतित हैं कि कितना धन आवंटित किया गया? केंद्र को हलफनामा दाखिल करने के लिए समय चाहिए था और शीर्ष अदालत ने केंद्र को हलफनामा दायर करने के लिए तीन हफ्ता दिया और यह बताने को कहा कि केंद्रीय एजेंसियों पर सीसीटीवी लगाने के लिए कितना धन आवंटित किया गया है.

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आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा कि आपके हलफनामे से हम सबसे ज्यादा नाखुश हैं क्योंकि इसमें फंड देने और सीसीटीवी लगाने की टाइमलाइन नहीं है, यह दिखाता है कि आपको अदालत के आदेश का सम्मान नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार की इस दलील पर आपत्ति जताई कि फंड 2022-2023 में आवंटित होगा. अदालत ने कहा कि लगता है कि सरकार अपने पांव पीछे कर रही है. इस मामले में 6 अप्रैल को अगली सुनवाई होगी.

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