'विश्वसनीय जानकारी हो तो सीधे FIR दर्ज कर सकती है CBI, प्रारंभिक जांच जरूरी नहीं'- सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि 'प्रारंभिक जांच करने का आरोपी के अधिकार नहीं छीन सकती. लेकिन अगर CBI प्रारंभिक जांच नहीं करने का फैसला करती है तो आरोपी इसे अधिकार के रूप में नहीं मांग सकता.'

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नई दिल्ली:

केंद्रीय जांच एजेंसी CBI को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि CBI विश्वसनीय जानकारी प्राप्त करने पर सीधे मामला दर्ज कर सकती है, FIR दर्ज करने से पहले प्रारंभिक जांच करना अनिवार्य नहीं है. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने शुक्रवार को एक मामले में फैसला सुनाते हुए यह बात कही. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि 'चूंकि CrPC (Criminal Procedure Code) के तहत प्रारंभिक जांच अनिवार्य नहीं है इसलिए इस अदालत के लिए निर्देश जारी करना विधायी क्षेत्र में कदम रखना होगा. हालांकि, प्रारंभिक जांच करने  आरोपी के अधिकार नहीं छीन सकती. लेकिन अगर CBI प्रारंभिक जांच नहीं करने का फैसला करती है तो आरोपी इसे अधिकार के रूप में नहीं मांग सकता.'

संबंधित मामले में तेलंगाना की ओर से यह दलील दी गई कि CBI मामला कैसे दर्ज  कर सकती है क्योंकि तेलंगाना ने CBI  से सामान्य सहमति वापस ले ली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 'इस स्तर पर हमें इस प्रश्न में जाने की जरूरत नहीं है. हम इस प्रश्न को खुला रखते हैं.'

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हालांकि, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और बीवी नागरत्ना की बेंच ने यह नोट किया कि प्रारंभिक जांच का प्रावधान सीबीआई मैनुअल में यह सुनिश्चित करने के लिए है कि सरकारी कर्मचारी झूठे आरोपों से नकारात्मक रूप से प्रभावित ना हों. प्रारंभिक जांच के दौरान CBI सभी दस्तावेजों की जांच कर सकती है.

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सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना HC के आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें एक लोक सेवक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति की FIR रद्द कर दी गई थी क्योंकि सीबीआई ने पहले प्रारंभिक जांच आयोजित नहीं की थी.

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