सुप्रीम कोर्ट का नेकां उम्मीदवारों को ‘हल’ चुनाव चिह्न देने से इनकार करने के विरुद्ध याचिका पर फैसला सुरक्षित

नेशनल कांफ्रेंस की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि पार्टी लद्दाख पर्वतीय परिषद में सत्ता में थी और स्थानीय निकाय चुनाव में उसके उम्मीदवारों को आरक्षित चुनाव चिह्न के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. 

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शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला छह सितंबर को सुनाया जाएगा. (फाइल)
नई दिल्ली:

उच्चतम न्यायालय ने लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद (एलएएचडीसी) के लिए 10 सितंबर को होने वाले चुनाव में नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उम्मीदवारों को ‘हल' चुनाव चिह्न देने से इनकार किए जाने को चुनौती देने वाली पार्टी की याचिका पर शुक्रवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और राजनीतिक दलों की ओर से पेश वकीलों की दलीलें सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया. शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसला छह सितंबर को सुनाया जाएगा.

इससे पूर्व, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन और निर्वाचन आयोग की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) के. एम. नटराज ने कहा था कि चुनाव चिह्न आदेश, 1968 विधानसभा और संसदीय चुनाव पर लागू होता है न कि स्थानीय निकाय चुनावों पर. 

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उन्होंने यह भी कहा कि कुछ आरक्षित चुनाव चिह्न मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को आवंटित किए गए हैं. इसके अलावा आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए नेशनल कॉन्फ्रेंस से संबंधित 89 उम्मीदवारों में से किसी ने भी कथित तौर पर पार्टी चिह्न ‘हल' के आवंटन की मांग नहीं की. 

विधि अधिकारी ने कहा कि पर्वतीय परिषद चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 23 अगस्त को समाप्त हो गई और अगले दिन नामांकन पत्रों की जांच के बाद उम्मीदवार 26 अगस्त तक अपना नाम वापस ले सकते थे. 

उन्होंने कहा कि चुनाव 10 सितंबर को होने वाले हैं और चुनावी प्रक्रिया को रोका नहीं जा सकता. उन्होंने कहा कि निर्वाचन आयोग उम्मीदवारों को आरक्षित चिह्न देने के लिए बाध्य नहीं है. 

नेशनल कांफ्रेंस की ओर से पेश हुए वकील ने इन दलीलों का विरोध किया और कहा कि पार्टी लद्दाख पर्वतीय परिषद में सत्ता में थी और स्थानीय निकाय चुनाव में उसके उम्मीदवारों को आरक्षित चुनाव चिह्न के लाभ से वंचित नहीं किया जा सकता. 

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वकील ने कहा कि (नेकां जैसी) मान्यता प्राप्त पार्टी को उसके तय चुनाव चिह्न के साथ जनता के बीच जाने से रोकने के लिए चुनाव चिह्न आदेश, 1968 लागू किया गया और ऐसा करके नेशनल कांफ्रेंस को समान अवसर नहीं दिया गया. 

उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय निकाय चुनाव भी पार्टी लाइन की तर्ज पर लड़े जाते हैं.''

इससे पूर्व पीठ ने इस संबंध में उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद पर्वतीय परिषद चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों को ‘हल' चुनाव चिह्न नहीं दिए जाने के केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन की कार्रवाई को ‘अनुचित' करार दिया था. 

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पीठ ने जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश की अपील पर 25 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा था, ‘‘यह अनुचित है... अगर जरूरत पड़ी तो हम चुनाव कार्यक्रम को रद्द कर देंगे.''

इससे पूर्व शीर्ष अदालत ने पर्वतीय परिषद चुनाव के लिए ‘हल' चुनाव चिह्न प्रदान करने की अनुमति से संबंधित उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक से इनकार कर दिया था. 

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उच्च न्यायालय ने नेकां उम्मीदवारों को एलएएचडीसी, करगिल के आगामी चुनाव पार्टी चुनाव चिह्न पर लड़ने की अनुमति देने संबंधी एकल पीठ के आदेश के खिलाफ लद्दाख प्रशासन की याचिका को खारिज कर दिया था. 

इसके बाद प्रशासन ने नौ अगस्त के एकल पीठ के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय की खंडपीठ का रुख किया जिसने नेकां को चुनाव में पहले से ही आवंटित आरक्षित चिह्न ‘हल' को अधिसूचित करने के लिए लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश निर्वाचन विभाग के कार्यालय से संपर्क करने का निर्देश दिया. 

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निर्वाचन विभाग द्वारा पांच अगस्त को जारी अधिसूचना के अनुसार 30-सदस्यीय एलएएचडीसी, करगिल की 26 सीट पर 10 सितंबर को चुनाव होने हैं और इसके चार दिन बाद मतगणना होगी. 

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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