ओला, उबर, जोमैटो जैसी कंपनियों के कर्मियों को मिल सकती है सामाजिक सुरक्षा? SC ने केंद्र से पूछा

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि हम एक घोषणा चाहते हैं कि ये ड्राइवर नियोक्ता-कर्मचारी समीकरण वाले कामगार हैं और "स्वतंत्र ठेकेदार" नहीं हैं. 

विज्ञापन
Read Time: 11 mins
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से चार हफ्तों में मांगा है जवाब
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने उबर (Uber), ओला (Ola), स्विगी (Swiggy) और जोमैटो ( Zomato) कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ की मांग करने से जुड़ी रिट याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि उबर, ओला, स्विगी, जोमैटो कर्मचारियों को कामगार मानते हुए सामाजिक सुरक्षा लाभ दिया जा सकता है या नहीं ? केंद्र को जवाब देने के लिए 4 हफ्तों का समय दिया गया है. जस्टिस एलएन राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ की ओर से इस मामले की सुनवाई की गई. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए वकील इंदिरा जयसिंह ने कहा कि हम एक घोषणा चाहते हैं कि ये ड्राइवर नियोक्ता-कर्मचारी समीकरण वाले कामगार हैं और "स्वतंत्र ठेकेदार" नहीं हैं. क्योंकि भारत में कंपनियां उनका हवाला देती हैं. संयुक्त राज्य अमेरिका में उन्हें कामगार के रूप में माना जाता है. मौजूदा कानूनों के तहत भी वे सामाजिक सुरक्षा लाभों के हकदार हैं.

क्या है पूरा मामला

दरअसल उबर, ओला, स्विगी, जोमैटो कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा लाभ की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में केंद्र सरकार को उबर, ओला कैब्स, स्विगी और जोमैटो से जुड़े “गिग वर्करों और “प्लेटफॉर्म वर्करों” को सामाजिक सुरक्षा लाभ देने के लिए निर्देश देने की मांग की गई है. ऐप आधारित जन सुविधाओं से जुड़ी कई कम्पनियों के कर्मचारियों ने मिलकर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. रिट दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से इन लोगों ने कहा कि दिन रात मेहनत करने के बावजूद कंपनियों ने उनकी सोशल सिक्योरिटी के लिए कुछ ठोस इंतजाम नहीं किए हैं. ये संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 में दिए समानता और गरिमामय जीवन यापन के अधिकारों का हनन है. याचिका में इन लोगों ने कोविड संकट के दौरान जीवन और रोजी रोटी पर आए संकट के मद्देनज़र आर्थिक मदद की भी गुहार लगाई है.
याचिका के अनुसार 31 दिसंबर तक ऐप आधारित टैक्सी सेवा से जुड़े चालकों को कम से कम 1175 रुपये रोजाना और डिलीवरी बॉयज को 675 रुपए रोजाना रुपये की आमदनी सुनिश्चित की जाए. ताकि वो अपना और परिवार का पेट भर सकें.याचिका में कहा गया है कि पेंशन और स्वास्थ्य बीमा जैसी सामाजिक सुरक्षा से वंचित करना मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. 

याचिकाकर्ताओं ने यूके के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भी हवाला दिया है. जिसमें कहा गया था कि उबर ड्राइवर न्यूनतम वेतन, भुगतान की गई वार्षिक छुट्टी और अन्य श्रमिकों के अधिकारों के हकदार "श्रमिक" हैं.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Brazil Plane Crash BREAKING: ब्राजील के ग्रैमाडो में घर में जा घुसा Plane, 10 से ज्यादा लोगों की मौत की आशंका
Topics mentioned in this article