सुप्रीम कोर्ट ने आज उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के मामले में अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने फैसले में महाराष्ट्र के तत्कालीन गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के फैसलों पर सवाल उठाए. इस पर कोश्यारी ने कहा है कि उन्होंने जो भी कदम उठाया वह सोच समझकर उठाया था.
महाराष्ट्र में पिछले साल शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघाड़ी (MVA) सरकार गिरने और उसके कारण उत्पन्न राजनीतिक संकट से जुड़ी अनेक याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला दिया.
सुप्रीम कोर्ट की ओर से उठाए गए सवालों पर महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने NDTV से कहा कि, ''सर्वोच्च न्यायालय या कोई भी न्यायालय, जो भी वह कहते हैं, हम उसका बहुत सम्मान करते हैं. यह मीडिया के लोगों का काम है, एनालिस्टों का काम है, वकीलों का काम है कि वे उस पर चर्चा करें, विवेचना करें.''
उन्होंने कहा कि, ''मुझे लगता है कि चूंकि मैंने राज्यपाल पद से त्यागपत्र दे दिया है, और मुझे नहीं लगता कि उन्होंने पूर्व राज्यपाल को कोई सजा सुनाई है. सजा सुनाई होती तो अपील करता. उनको (सुप्रीम कोर्ट) कमेंट करने का पूरा अधिकार है.''
भगत सिंह कोश्यारी ने गुरुवार को कहा कि वे कानून के विशेषज्ञ तो नहीं लेकिन संसदीय व विधायी परम्पराओं के जानकार जरूर हैं और उन्होंने पिछले साल जून में इस संवैधानिक पद पर रहते हुए सोच समझकर तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सदन में विश्वास मत हासिल करने को कहा था.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि पिछले साल 30 जून को महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए राज्यपाल द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को बुलाना सही नहीं था.
कोश्यारी ने पत्रकारों से कहा, ‘‘मैं राज्यपाल पद से मुक्त हो चुका हूं. तीन महीने हो चुके हैं. राजनीतिक मसलों से मैं अपने को बहुत दूर रखता हूं. जो मसला उच्चतम न्यायालय में था, उस पर न्यायालय ने अपना निर्णय दे दिया है. उस निर्णय पर जो कानूनविद हैं वहीं अपनी राय व्यक्त करेंगे.''
उन्होंने कहा, ‘‘मैं चूंकि कानून का विद्यार्थी हूं नहीं, मैं केवल संसदीय परंपराएं जानता हूं. विधायी परंपराएं जानता हूं. उस हिसाब से मैंने जो भी कदम उठाए, सोच समझ कर उठाए.'' कोश्यारी ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले की व्याख्या और विवेचना करना कानूनविदों का काम है.
उन्होंने कहा, ‘‘उसने (सुप्रीम कोर्ट) सही कहा या गलत कहा, यह मेरा काम नहीं है, समीक्षकों का काम है. और जब किसी का इस्तीफा मेरे पास आ गया, तो मैं क्या कहता कि तुम मत दो इस्तीफा?''
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार को बहाल करने से इनकार कर दिया. अदालत ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने स्वेच्छा से राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि ठाकरे ने सदन में विश्वास मत का सामना नहीं किया और त्यागपत्र दे दिया इसलिए सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से एकनाथ शिंदे को शपथ दिलाने का राज्यपाल का फैसला सही था.