CA के लिए शारीरिक तौर पर परीक्षा मामला, SC ने कहा- 5 जुलाई से कर सकते हैं परीक्षा का आयोजन

चार्टेड अकाउंटेंट यानी CA के लिए शारीरिक तौर पर होने वाली परीक्षा के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (Institute of Chartered Accountants of India ICAI) परीक्षा का आयोजन 5 जुलाई से कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने ICAI से उन छात्रों के लिए ऑप्ट आउट विकल्प पर विचार करने को कहा जो COVID संक्रमित हैं या कोविड के बाद इसका प्रभाव है.

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CA के लिए शारीरिक तौर पर परीक्षा कराने की सुप्रीम कोर्ट ने दी इजाजत, 5 जुलाई से होगी परीक्षा
नई दिल्ली:

चार्टेड अकाउंटेंट यानी CA के लिए शारीरिक तौर पर होने वाली परीक्षा के मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा है कि इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (Institute of Chartered Accountants of India ICAI) परीक्षा का आयोजन 5 जुलाई से कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने ICAI से उन छात्रों के लिए ऑप्ट आउट विकल्प पर विचार करने को कहा जो COVID संक्रमित हैं या कोविड के बाद इसका प्रभाव है.

पीठ ने ICAI से उस प्राधिकरण को नामित करने के लिए कहा जो एक उम्मीदवार को प्रमाणित कर सकता है कि ऑप्ट आउट चुनने के लिए COVID से संबंधित मुद्दे हैं.

ICAI ने कहा है कि  कि वह सुप्रीम कोर्ट के सुझावों को लागू करेगा. ICAI कल सूचित करेगा और मामले की सुनवाई भी बुधवार को होगी.

ICAI ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था,  रद्द या स्थगित नहीं कर सकते CA परीक्षा, CBSE से न की जाए तुलना

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (Institute of Chartered Accountants of India ICAI) ने सुप्रीम कोर्ट को पहले ही बता दिया था कि वह 5 जुलाई से शुरू होने वाली  CA परीक्षा को स्थगित करने या रद्द करने के खिलाफ है.

CA परीक्षा के महत्व  को बता हुए  ICAI ने कहा था कि , "COVID के केस काफी कम हो गए हैं चार्टेड अकाउंटेंट बनने के इच्छुक लोगों के लिए परीक्षा आयोजित करने का यह सही समय है. ICAI ने SC को अपने नोट में कहा कि CA पेशेवर परीक्षा  है और इसकी तुलना CBSE से नहीं की जानी चाहिए. इच्छुक चार्टेड अकाउंटेंट  के हित में इसे स्थगित या रद्द नहीं किया जा सकता है."

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हो रही है CA की परीक्षा को टालने की मांग

जहां ICAI ने पहले ही कह दिया था वह CA परीक्षा को रद्द या स्थगित करने के पक्ष में नहीं है वहीं अब CA की परीक्षा को टालने की मांग की जा रही है.

याचिकाकर्ता की तरफ से वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा की ICAI ने सुप्रीम कोर्ट में अपने जवाब में उन मुद्दों पर कुछ भी नहीं कहा जो हमें अपनी अर्जी में उठाया है.

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याचिकाकर्ता की वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि यह एक पुरानी पाठ्यक्रम की परीक्षा है और यह कई लोगों के लिए परीक्षा में बैठने का आखिरी मौका होगा. परीक्षा में बैठने के लिए 21 जून के बाद RT-PCR की रिपोर्ट मांगी गई  है.

उम्मीदवारों को परीक्षा लेने के लिए अलग- अलग केंद्रों पर जाना होता है, अगर उनके क्षेत्र कंटेनमेंट जोन घोषित हो जाता है तो वह कंटेनमेंट जोन से बाहर नही आ सकते, उनके पास RT-PCR रिपोर्ट नहीं होगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने ICAI से कही ये बातें

सुप्रीम कोर्ट ने ICAI से कहा आपको एक सामान्य नीति बनानी होगी, अगर कोई छात्र या उसके परिजन परीक्षा से पहले कोरोना संक्रमित हो जाते हैं तो उन छात्रों का क्या होगा.

ICAI ने कहा, 'पिछले साल मई में परीक्षा का आयोजन कराया गया लेकिन इस साल कोरोना की दूसरी लहर की वजह से परीक्षा नही कराई जा सकी' कोर्ट ने परीक्षा कराने की इजाजत तब दी थी जब 45 हजार केस  आ रहे थे अभी 37 हजार केस आ रहे हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा RTPC टेस्ट पर भरोसा नही किया जा सकता, क्योंकि कभी RTPC निगेटिव आता है लेकिन कोरोना का लक्षण होता है.

 कौन  अधिकारी यह प्रमाणित करेगा कि छात्र कोरोना की वजह से परीक्षा में नहीं शामिल हो पाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपका ध्यान सिर्फ कोविड पॉजिटिव  RT-PCR पर केंद्रित हैं, आपको विशेषज्ञों से इनपुट लेना होगा, संक्रमण अधिकतम 14 दिन तक रहता है, लेकिन कोविड से पीड़ित होने के बाद  लोग तीन महीने तक प्रभावित हो रहे हैं.  क्या आपने इसे ध्यान में रखा है?

कुछ लोगों को कोरोना से ठीक होने में दो से तीन महीने तक लग जाते हैं, रिपोर्ट कहती है सभी को अलग अलग लक्षण होता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि न सिर्फ कोरोना बल्कि कोरोना से संबंधित समस्याओं पर भी गौर किया जाना चहिए. आपको सभी पहलुओं को ध्यान में रखना होगा.

जस्टिस खानविलकर ने कहा  आप उस बेंच के सामने पेश हो रहे हैं जिनको व्यक्तिगत रूप से कोरोना का एक्सपीरियंस रहा है, यह बहुत डरावना है.

ICAI ने कहा कि परीक्षा के लिए लगभग 850 केंद्र  है, हम सभी प्रोटोकाल का पालन करते हुए परीक्षा करा सकते हैं. पिछले साल भी सफलतापूर्वक परीक्षा कराई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप हमको इसपर सहमत करने पर समय ना बर्बाद करें कि परीक्षा क्यों जरूरी है.

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