बाबरी ढहाने के बाद मुंबई में हुए दंगों के मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश, महाराष्ट्र सरकार पीड़ितों के मुआवजे पर दायर करे हलफनामा

जस्टिस एस के कौल ने कहा कि मुआवजे के संबंध में, हमें महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर हलफनामे की बेहतर व्याख्या की आवश्यकता है, हमें जानकारी की आवश्यकता है: साथ ही पूछा कि क्या चिन्हित किए गए पीड़ितों की संख्या 900 में से 168 व्यक्ति  लापता बताए गए हैं ? 

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सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए. 
नई दिल्ली:

आज सुप्रीम कोर्ट में बाबरी ढहाने के बाद मुंबई में हुए दंगों से जुड़े मामले की सुनवाई हुई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को 900 मौतों और 168 लापता व्यक्तियों के परिवारों को मुआवजे पर  हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया. सुप्रीम कोर्ट ने दो हफ्ते में हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए. 

जस्टिस एस के कौल ने कहा कि मुआवजे के संबंध में, हमें महाराष्ट्र राज्य द्वारा दायर हलफनामे की बेहतर व्याख्या की आवश्यकता है, हमें जानकारी की आवश्यकता है: साथ ही पूछा कि क्या चिन्हित किए गए पीड़ितों की संख्या 900 में से 168 व्यक्ति  लापता बताए गए हैं ? क्या लापता पाए गए व्यक्ति के कानूनी उत्तराधिकारियों को किसी मुआवजे का भुगतान किया गया है? पीड़ित के वारिसों के लिए किए गए मुआवजे का संदर्भ क्या है, क्या किसी कंपनी को संपत्ति के नुकसान के लिए भुगतान किया गया है. मुआवजे का भुगतान कब किया गया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में दायर एक याचिका पर सुनवाई की जिसमे 1992 के बॉम्बे दंगों के संबंध में जस्टिस श्रीकृष्ण आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की है. 25 जनवरी 1993 को, कांग्रेस के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने दिसंबर 1992 और जनवरी 1993 में मुंबई में हुए दंगों के कारणों की जांच करने के लिए जस्टिस बी एन श्रीकृष्ण के नेतृत्व में एक जांच आयोग का गठन किया. यह भी पता लगाने को कहा गया था कि दंगों के पीछे क्या व्यक्तियों का कोई समूह  या संगठन जिम्मेदार था.

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