सुप्रीम कोर्ट ने जीने के अधिकार के बजाय पटाखे जलाने को चुना... खराब AQI पर अमिताभ कांत का बड़ा बयान 

सुप्रीम कोर्ट ने दो दिन के लिए सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी. लेकिन दिल्ली-एनसीआर के कई क्षेत्रों में आधी रात के बाद भी पटाखे फूटते रहे. 

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  • दिल्ली में मंगलवार को दिवाली के जश्न बाद हवा की क्‍वालिटी कई जगहों पर चार सौ के पार हो गई है.
  • अमिताभ कांत ने कहा कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता गंभीर स्थिति में है और निरंतर कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने सांस लेने के अधिकार की तुलना में पटाखे जलाने के अधिकार को अधिक प्राथमिकता दी है.
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नई दिल्‍ली:

दिवाली के जश्‍न के साथ ही राजधानी दिल्‍ली में प्रदूषण चरम स्‍तर पर पहुंच गया है. मंगलवार को कई जगहों पर एयर क्‍वालिटी इंडेक्‍स यानी AQI 400 के पार चला गया. अब इस पर 2023 के भारत G20 समिट के शेरपा और केंद्र की नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने एक अहम बयान दिया है. उन्‍होंने कहा है कि दिल्ली की एयर क्‍वालिटी 'ध्वस्त होने की स्थिति में' है. अब केवल एक निर्दयी और लगातार एक्‍शन के जरिये से ही दिल्ली को 'स्वास्थ्य और पर्यावरणीय आपदा' से बचाया जा सकता है. उन्होंने इसके साथ ही यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 'जीने और सांस लेने के अधिकार' की तुलना में 'पटाखे जलाने के अधिकार' को प्राथमिकता दी है. 

प्रदूषित राजधानियों में से एक 

कांत ने एक्‍स पर एक पोस्‍ट लिखी जिसमें उन्‍होंने दिल्ली में एयर इमरजेंसी के बारे में एक न्यूज रिपोर्ट का जिक्र किया. उन्‍होंने लिखा, 'दिल्ली की एयर क्वालिटी खराब है,  36/38 मॉनिटरिंग स्टेशन 'रेड जोन' में आ गए हैं, खास इलाकों में AQI 400 से ऊपर है. माननीय सुप्रीम कोर्ट ने अपनी समझदारी दिखाते हुए पटाखे जलाने के अधिकार को जीने और सांस लेने के अधिकार से ज्‍यादा अहमियत दी है. दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में से एक है. अगर लॉस एंजिल्स, बीजिंग और लंदन ऐसा कर सकते हैं, तो दिल्ली क्यों नहीं? सिर्फ बेरहमी से और लगातार कार्रवाई ही दिल्ली को इस हेल्थ और एनवायरनमेंटल तबाही से बचा सकती है.' 

कांत ने सुझाए उपाय 

उन्‍होंने आगे लिखा, 'एक साथ काम करने का प्लान बहुत जरूरी है, फसल और बायोमास जलाना बंद करना, थर्मल पावर प्लांट और ईंट भट्टों को बंद करना या उन्हें क्लीनर टेक से मॉडर्न बनाना, 2030 तक सभी ट्रांसपोर्ट को इलेक्ट्रिक में बदलना, कंस्ट्रक्शन की धूल पर सख्ती से कंट्रोल करना, कचरे को पूरी तरह से अलग करना और प्रोसेस करना, दिल्ली को ग्रीन, पैदल चलने लायक, ट्रांजिट पर फोकस करने वाली जिंगी के हिसाब से फिर से डिजाइन करना होगा. सिर्फ ऐसे पक्के और लगातार काम करने से ही शहर का नीला आसमान और सांस लेने लायक हवा वापस आ सकती है.' 

सांस लेने लायक नहीं दिल्‍ली 

अमिताभ कांत का कड़ा बयान ऐसे समय में आया है जब राष्‍ट्रीय राजधानी रात भर लगातार पटाखे फूटने के बाद जहरीली धुंध की मोटी परत से जागी. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, दोपहर 1 बजे दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 357 पर था, जो 'बहुत खराब' श्रेणी में आता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में पटाखे फोड़ने पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली के निवासियों को दीवाली मनाने के लिए ग्रीन पटाखों का इस्तेमाल करने की इजाजत है. 

सुप्रीम कोर्ट का आदेश 

सुप्रीम कोर्ट के अनुसार वह एक संतुलित दृष्टिकोण अपना रहा है जिसमें विरोधाभासी हितों को ध्यान में रखते हुए मध्यम रूप से अनुमति दी गई है. जबकि पर्यावरणीय चिंताओं से समझौता नहीं किया गया है. हालांकि कोर्ट ने दो दिन के लिए सुबह 6 से 7 बजे और रात 8 से 10 बजे तक पटाखे फोड़ने की अनुमति दी थी. लेकिन दिल्ली-एनसीआर के कई क्षेत्रों में आधी रात के बाद भी पटाखे फूटते रहे. 

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