SC ने कहा- आजम खान को उचित मौका दिया जाना चाहिए, कल होगा राजनीतिक भविष्य पर फैसला

हेट स्पीच केस: आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराने और उन्हें 3 साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद सदन की सदस्यता के प्रति अयोग्य ठहराया गया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भड़काऊ भाषण दिए थे.

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नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान (Azam Khan) की विधायकी रद्द किये जाने के खिलाफ लगाई गई याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. अदालत ने कहा कि आजम खान को उचित मौका दिया जाना चाहिए. अदालत ने रामपुर सेशन कोर्ट को आजम खान की अर्जी पर गुरुवार को ही सुनवाई करने का निर्देश भी दिया है. साथ ही चुनाव आयोग को निर्देश दिया गया है कि रामपुर उपचुनाव की अधिसूचना को 10 नवंबर को टाला जाए. ऐसे में अब रामपुर उपचुनाव के लिए 11 नवंबर को अधिसूचना जारी होगी.

आजम खान को भड़काऊ भाषण देने के मामले में दोषी ठहराने और उन्हें 3 साल जेल की सजा सुनाए जाने के बाद सदन की सदस्यता के प्रति अयोग्य ठहराया गया है. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर भड़काऊ भाषण दिए थे. 27 अक्टूबर को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और रैम्प के तहत उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया था. सदस्‍यता जाने को लेकर आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी जिस पर कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश सरकार और चुनाव आयोग से जवाब मांगा था.

इससे पहले 7 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय निर्वाचन आयोग से जवाब तलब किया. मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता गरिमा प्रसाद को खान की याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा. पीठ ने प्रसाद से उनकी याचिका को निर्वाचन आयोग के स्थायी अधिवक्ता तक भी पहुंचाने के लिए कहा. अदालत ने प्रसाद से कहा, ‘‘उन्हें अयोग्य ठहराने की क्या जल्दी थी? आपको कम से कम उन्हें कुछ मोहलत देनी चाहिए थी.'' 

इसके जवाब में प्रसाद ने कहा कि अयोग्य ठहराना शीर्ष अदालत के उस निर्देश के अनुरूप है जिसे उसने अपने एक फैसले में दिया था. खान की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने कहा कि मुजफ्फरनगर जिले की खतौली विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक विक्रम सैनी को भी 11 अक्टूबर को दोषी ठहराया गया था और दो साल की सजा दी गई थी, लेकिन उनकी अयोग्यता को लेकर कोई फैसला नहीं किया गया.


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