जेल में बैठे बैठे सुकेश चंद्रशेखर मोबाइल फोन ऐप्लीकेशन के जरिए करता था ठगी : दिल्ली पुलिस

पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह के समक्ष दाखिल अपनी अंतिम रिपोर्ट में दावा किया कि चंद्रशेखर जेल के अंदर एक ‘राजा’ की तरह रहता था. इसने दावा किया कि वह खुद को उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी बताकर जबरन वसूली के लिए एक मोबाइल नंबर का उपयोग कर रहा था.

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जेल में बैठे बैठे सुकेश चंद्रशेखर मोबाइल फोन ऐप्लीकेशन के जरिए करता था ठगी
नई दिल्ली:

दिल्ली पुलिस ने यहां की एक अदालत में दाखिल अपने आरोप पत्र में कहा है कि कथित ठग सुकेश चंद्रशेखर रोहिणी जेल के भीतर से कई व्यक्तियों से बड़ी मात्रा में धन उगाही करने के लिए कुछ उन्नत मोबाइल फोन एप्लिकेशन का उपयोग कर रहा था. पुलिस ने इस महीने की शुरुआत में चंद्रशेखर और उसकी पत्नी एवं अभिनेत्री लीना मारिया पॉल के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र में यह आरोप लगाया था. पुलिस ने यह आरोपपत्र रैनबैक्सी के पूर्व प्रवर्तक की पत्नी से कथित तौर पर 200 करोड़ रुपये की ठगी करने के मामले में दाखिल किया था. पुलिस ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह के समक्ष दाखिल अपनी अंतिम रिपोर्ट में दावा किया कि चंद्रशेखर जेल के अंदर एक ‘राजा' की तरह रहता था. इसने दावा किया कि वह खुद को उच्च पदस्थ सरकारी अधिकारी बताकर जबरन वसूली के लिए एक मोबाइल नंबर का उपयोग कर रहा था.

अदालत के समक्ष दाखिल आरोपपत्र में कहा गया है, ‘‘अनभिज्ञ उपयोगकर्ताओं की मोबाइल स्क्रीन सरकारी कार्यालयों की लैंडलाइन नंबर और ट्रू-कॉलर मोबाइल एप्लिकेशन के जरिए कुछ उच्च सरकारी अधिकारियों के नाम दिखाती थी.'' आरोपपत्र के अनुसार मामले में गिरफ्तार उप जेल अधीक्षक डी एस मीणा, सह-आरोपी दीपक और प्रदीप रमनानी से हर पखवाड़े 60 से 75 लाख रुपये वसूलते थे. आरोपपत्र के अनुसार यह राशि इसलिए ली जाती थी ताकि चंद्रशेखर की सुरक्षा और सुविधाएं जारी रहें जिससे वह अपना उगाही का रैकेट चलाता रहे. इसके अनुसार राशि जेल अधिकारियों के बीच बांटी जाती थी.

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मीणा की ओर से पुलिस को दिए गए इकबालिया बयान को उद्धृत करते हुए आरोपपत्र में कहा गया है कि इसमें से करीब 50 लाख रुपये सहायक अधीक्षक (एएस) के ऊपर के अधिकारियों को और 10 लाख रुपये एएस के स्तर से नीचे के अधिकारियों को दिए जाते थे. इसमें दावा किया गया कि चंद्रशेखर को रहने के लिए एक पूरी बैरक दी गई थी, जहां वह देर तक काम करता रहता था और सीसीटीवी में उसकी गतिविधियों को रिकॉर्ड करने से रोकने के लिए अपारदर्शी पर्दे लटकाए गए थे.

आरोपपत्र में कहा गया है, ‘‘वह एक राजा की तरह जेल में रह रहा था. उसे दी गई सुविधाओं के चलते ऐसा लगता है कि रोहिणी जेल के सभी अधिकारी उसमें शामिल थे. अन्य सभी कैदियों से खाली एक पूरा बैरक उसे दिया गया था. उसने सीसीटीवी कैमरों को भी कवर करवा दिया था. वह एक साल से जबरन वसूली का रैकेट चलाने के लिए अपने मोबाइल का खुलेआम इस्तेमाल कर रहा था.''

इसमें कहा गया है कि चंद्रशेखर एक शानदार जीवन शैली जीने का शौकीन था और महंगे वाहन पसंद करता था. पुलिस ने उसके फार्महाउस से करीब 20 लग्जरी गाड़ियां जब्त करने का दावा किया है. इसमें कहा गया है कि चंद्रशेखर को उसके अपराधों में सहायता के लिए जेल अधिकारियों को भी गिरफ्तार किया गया था, जो उन्हें हवाला डीलरों के माध्यम से कम से कम एक करोड़ रुपये प्रति माह भेजता था.

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इसमें कहा गया है, ‘‘अपराध में सभी स्तरों पर जेल अधिकारियों की संलिप्तता थी.'' पुलिस ने आगे कहा कि चंद्रशेखर के पास से एक आईफोन 12 प्रो मैक्स और एक सैमसंग मोबाइल बरामद किया गया था और वह एक इजराइली नंबर का इस्तेमाल कर रहा था. आरोपियों पर धोखाधड़ी, आपराधिक साजिश और आईपीसी के तहत दंडनीय अन्य अपराधों और महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए हैं.

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अदिति सिंह की इस शिकायत पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर मामला दर्ज किया गया था कि पिछले साल जून में खुद को कानून मंत्रालय का एक वरिष्ठ अधिकारी बताने वाले एक व्यक्ति ने राशि के बदले उनके पति के लिए जमानत में मदद करने की पेशकश की थी, जो उस समय जेल में थे. ईओडब्ल्यू के अनुसार, चंद्रशेखर और पॉल ने अन्य लोगों के साथ हवाला मार्गों का इस्तेमाल किया और अपराध की आय से अर्जित धन रखने के के लिए मुखौटा कंपनियां बनाईं. पुलिस ने कहा कि एक सहायक जेल अधीक्षक और रोहिणी जेल के उपाधीक्षक सहित कई अधिकारी रैकेट में शामिल पाए गए और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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