पद्म भूषण के लिए चुनी गईं सुधा मूर्ति ने पति नारायण मूर्ति, दामाद ऋषि सुनक और बेटी को दी यह सलाह..

देश के तीसरे सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान के लिए चुने जाने के बाद एनडीटीवी से एक इंटरव्‍यू में सुधा मूर्ति कहा, "हर किसी की अपनी क्षमताएं होती हैं और अपनी सीमितताएं भी. "

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
नई दिल्‍ली:

इस वर्ष प्रतिष्‍ठ‍ित पद्म भूषण के लिए चुनी गईं लेखिका सुधा मूर्ति ने मंगलवार और अपने पति व इन्‍फोसिस के संस्‍थापक एनआर नारायण मूर्ति, अपने दामाद व ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक और बेटी अक्षता मूर्ति के लिए अहम सलाह, विशेषकर विवादों का सामना कैसे करें, शेयर कीं. उन्‍होंने कहा, "जो लोग सुर्खियों में रहते हैं, उनके साथ हमेशा विवाद भी रहते हैं " उन्‍होंने इनसे और अन्‍य लोगों से नैतिक रूप से सही होने और ईमानदारी के साथ काम करने की अपील की. सुधा मूर्ति ने वर्ष 1981 में कंपनी स्‍थापित करने के अपने पति के विचार को पूरा समर्थन देते हुए उन्‍हें 10 हजार रुपये की राशि दी थी. देश के तीसरे सर्वोच्‍च नागरिक सम्‍मान के लिए चुने जाने के बाद एनडीटीवी से एक इंटरव्‍यू में सुधा मूर्ति कहा, "हर किसी की अपनी क्षमताएं होती हैं और अपनी सीमितताएं भी. "

महिलाओं, खासतौर पर वे महिलाएं जो निजी जीवन के साथ पेशेवर जीवन में भी सक्रिय हैं, कोसलाह देते हुए उन्‍होंने कहा, "मैं सभी भारतीय महिलाओं से कहना चाहती हूं कि जब बच्‍चे आते हैं तो वे प्राथमिकता बन जाते हैं. इसके बाद जब आप फिर अपने पेश से जुड़ते हैं तो उसी स्‍तर को हासिल नहीं कर पाते. याद रखिए, आयु बंधन नहीं है. यह आपका जूनून है जो आपको शीर्ष पर ले जाता है." अपने खुद के जीवन का हवाला देते हुए उन्‍होंने कहा, "जब मैंने अपने करियर को पीछे छोड़ दिया तो कभी नहीं सोचा था कि यह (लेखन का करियर) संभव होगा.. यह मेरे लिए मुश्किल था क्‍योंकि मैं टेक्‍नोक्रेट थी और टेक्‍निकल कंपनी में काम पसंद करती थी लेकिन मैंने शिकायत के बजाय कुछ और करना पसंद किया." गौरतलब है कि मूल रूप से इंजीनियर और कंप्‍यूटर साइंस एक्‍सपर्ट सुधा मूर्ति ने 20 से अधिक किताबें लिखी हैं.

उन्‍होंने कहा, "मुझे लिखने का जुनून है. मैं कन्‍नड़ में लिखती थी..जब इंग्लिश में मेरी पहली पुस्‍तक प्रकाशित हुई तो यह मेरी जिंदगी का एक महत्‍वपूर्ण मोड़ था क्‍योंकि तब इसका सभी भाषाओं में ट्रांसलेशन किया जा सकता था...मैं खुद को फिर से तराश सकती थी. "इन्‍फोसिस दुनिया की शीर्ष आईटी कंपनियों में से एक हैं. उन्‍होंने कहा, "पैसा जीवन में बेहद महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि तब आप अधिक लोगों की मदद कर सकते हैं (लेकिन) संपत्ति में दिखाने के लिए क्‍या है? मुझसे पहले अमीर लोग थे और मेरे बाद भी होंगे."  1970-1980 के दशक में आईटी कंपनी स्‍थापित करने के लिए पति को अपनी सेविंग के 10 हजार रुपये देने के बारे में उन्‍होंने कहा, "मैं उन्‍हें यह राशि, उनका सपना पूरा करने के लिए दी थी. यदि वे सफल नहीं होते तो हम मेरे घर में वापस चले जाते. मैं केवल दो बेडरूम का घर और एक स्‍कूटर चाहती थीं . "यह पूछे जाने पर कि घर में बॉस कौन है, सुधा ने कहा, "हम एक तरह से समान हैं, मानवीय संबंधों में मैं बॉस हूं. मुझमें काफी धैर्य है. तकनीकी मुद्दों में मेरे पति बॉस हैं. " पद्म अवार्ड की सूची में नाम आने के बाद किसको फोन को किया, इसके जवाब में उन्‍होंने बताया कि पहले दो नाम मेरे पति और बेटी थे. 

Advertisement

ये भी पढ़ें- 

Topics mentioned in this article