पनडुब्बी आईएनएस वेला सेना में शामिल; नौसेना प्रमुख ने इसे 'शक्तिशाली मंच' बताया

नौसेना प्रमुख एडमिरल (Chief of the Naval Staff Admiral) करमबीर सिंह ने इसे एक "शक्तिशाली मंच" कहा, जिसमें पनडुब्बी संचालन के पूरे स्पेक्ट्रम को शुरू करने की क्षमता है.

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यह नौसेना द्वारा कलवारी श्रेणी की पनडुब्बी परियोजना 75 के तहत शामिल की जाने वाली छह पनडुब्बियों में से चौथी है.
मुंबई:

भारत के नौसैनिक कौशल को और मजबूत करते हुए, नौसेना ने गुरुवार को मुंबई में पनडुब्बी आईएनएस वेला (Submarine INS Vela) को चालू किया, जिसमें नौसेना प्रमुख एडमिरल (Chief of the Naval Staff Admiral) करमबीर सिंह ने इसे एक "शक्तिशाली मंच" कहा, इसमें पनडुब्बी संचालन के पूरे स्पेक्ट्रम को शुरू करने की क्षमता है. भारतीय नौसेना (Indian Navy) को कलवरी श्रेणी की पनडुब्बी ‘प्रोजेक्ट-75' के तहत कुल छह पनडुब्बियों को सेवा में शामिल करना है. आईएनएस वेला सेवा में शामिल की गई इस श्रेणी की चौथी पनडुब्बी है. इससे पहले, नौसेना ने 21 नवंबर को युद्धपोत आईएनएस विशाखापट्टनम को सेवा में शमिल किया था. इस प्रकार नौसेना को एक सप्ताह में आईएनएस विशाखापट्टनम के बाद आईएनएस वेला के रूप में दो ‘उपलब्धियां' हासिल हुई हैं.

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नौसेना प्रमुख ने पनडुब्बी को सेवा में शामिल किए जाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में कहा कि ‘प्रोजेक्ट 75' आगामी वर्षों में पानी के नीचे के क्षेत्र में भारतीय नौसेना की युद्धक क्षमता में बदलाव लाएगा. सिंह ने कहा, ‘‘आईएनएस वेला सभी प्रकार के पनडुब्बी अभियानों को करने में सक्षम एक शक्तिशाली मंच है और आज की बदलती एवं जटिल सुरक्षा परिस्थिति के मद्देनजर, वेला की क्षमता और सैन्य शक्ति हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय समुद्री हितों की रक्षा करने, उन्हें बढ़ावा देने और संरक्षित करने की नौसेना की क्षमता में अहम भूमिका निभाएगी.''

मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड फ्रांस के मेसर्स नेवल ग्रुप के सहयोग से स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का भारत में निर्माण कर रही है. ‘प्रोजेक्ट 75' में छह पनडुब्बियों का निर्माण किया जाना है, जिनमें से तीन पनडुब्बियों - आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज - को पहले ही सेवा में शामिल किया जा चुका है.

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नौसेना ने कहा कि आईएनएस वेला पश्चिमी नौसेना कमान की पनडुब्बी सेवा में शामिल होगी और यह उसके शस्त्रागार का एक और शक्तिशाली हिस्सा होगी. वेला का पिछला अवतार रूसी मूल की फोक्सट्रॉट श्रेणी की पनडुब्बी था, जिसे 2009 में सेवा से हटा दिया गया था. उस पनडुब्बी के चालक दल के सदस्य भी इस मौके पर मौजूद मेहमानों में शामिल थे.

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नौसेना ने बताया कि ये स्कॉर्पीन पनडुब्बियां अत्यंत शक्तिशाली मंच हैं और उनमें छुप कर रहने की उन्नत विशेषताएं हैं. वे लंबी दूरी की निर्देशित टॉरपीडो के साथ-साथ पोत-रोधी मिसाइलों से भी लैस है. इन पनडुब्बियों में एक अत्याधुनिक सोनार और सेंसर सूट है जो उत्कृष्ट परिचालन क्षमताएं मुहैया कराता है. इनके पास प्रणोदन मोटर के रूप में एक उन्नत स्थायी चुंबकीय सिंक्रोनस मोटर है. उसने बताया कि आईएनएस वेला अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस हैं. इन सभी को ‘सब्टिक्स' के नाम से जानी जाने वाली ‘पनडुब्बी सामरिक एकीकृत लड़ाकू प्रणाली' में समन्वित किया गया है.

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नौसेना ने बताया कि पनडुब्बी अपने लक्ष्य को एक बार वर्गीकृत करने के बाद या तो ‘फ्लाइंग फिश' के नाम से जानी जाने वाली अपनी पोत रोधी ‘सी स्किमिंग मिसाइलों' या भारी वजन वाले तार-निर्देशित टॉरपीडो का इस्तेमाल कर सकती हैं. पनडुब्बी का शुभंकर ‘सब-रे' है, जो पनडुब्बी और स्टिंग्रे (एक विशाल मछली) का मेल है. स्टिंग्रे को उसकी चकमा देने की क्षमता और आक्रामकता के लिए जाना जाता है. इसका चपटा आकार इसे सागर के तल पर बैठने में समक्ष बनाता है. यह पानी के नीचे से नजर रखने के साथ-साथ अपने शिकारियों से स्वयं को छुपाकर रखने में सक्षम है. सिंह ने कहा कि आईएनएस वेला स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण में भारत की उल्लेखनीय प्रगति के साथ साथ ‘‘खरीदार नौसेना से एक निर्माता नौसेना'' के रूप में देश की यात्रा को दिखाती है. उन्होंने कहा कि ‘प्रोजेक्ट 75' नौसेना की क्षमता बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है और इस परियोजना की मदद से भारत पनडुब्बी निर्माण में पूरी तरह आत्मनिर्भर बनना चाहता है.

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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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