अपने पैसे से फर्जी टीकाकरण शिविर लगाने वाले फर्जी IAS अधिकारी देबांजन देब की कहानी

इस साल के शुरुआत में उत्तरी कोलकाता के एक पुस्तकालय में जब रवींद्रनाथ टैगोर की आवक्ष प्रतिमा का उद्घाटन हुआ तब प्रतिमा के नीचे गणमान्य लोगों की सूची में देब का नाम भी शामिल था, जिसमें उसके नाम के साथ बंगाल सरकार में संयुक्त सचिव पद का जिक्र था.

विज्ञापन
Read Time: 22 mins
देब ने चारुचंद्र कॉलेज से प्राणिविज्ञान में स्नातक किया है.
कोलकाता:

फर्जी आईएएस अधिकारी देबांजन देब (Fake IAS officer Debanjan Deb) नीली बत्ती लगी कार में शान से चलता था और सफलता की बुलंदियों पर था. सोशल मीडिया पोस्ट में उसकी कई कार्यक्रमों में शहर की नामी गिरामी शख्सियतों के साथ तस्वीरें दिखती हैं. इस साल के शुरुआत में उत्तरी कोलकाता के एक पुस्तकालय में जब रवींद्रनाथ टैगोर की आवक्ष प्रतिमा का उद्घाटन हुआ तब प्रतिमा के नीचे गणमान्य लोगों की सूची में देब का नाम भी शामिल था, जिसमें उसके नाम के साथ पश्चिम बंगाल सरकार में संयुक्त सचिव पद का जिक्र था. शहर के टाकी हाउस स्कूल के अपने सहपाठियों के लिए वह पिछली सीट पर बैठने वाला छात्र था. हालांकि जब टेलीविजन चैनलों पर देब के जालसाज होने की खबरें आयीं तो उसके पड़ोसी और दोस्त हैरान रह गये. देब खुद को आईएएस अधिकारी और कोलकाता नगर निगम में शीर्ष अधिकारी बताकर लोगों को ठगता था. उसने एक फर्जी टीकाकरण शिविर का आयोजन किया था. हालांकि जिन सेलिब्रिटी और नेताओं के साथ देब की तस्वीरें सोशल मीडिया पर हैं, वे आज उससे कन्नी काटते नजर आ रहे हैं.

मुंबई: फर्जी वैक्सीनेशन कैंप का एक और मामला दर्ज, बॉलीवुड के प्रोडक्शन हाउस की शिकायत पर FIR

सियालदह में टाकी हाउस में देब के एक सहपाठी ने नाम नहीं जाहिर करते हुए पीटीआई को बताया, ‘‘हमलोग देबांजन को देबु कहा करते थे. वह बहुत मध्यम दर्जे का छात्र था. एक दब्बू लड़का जो कभी शरारत नहीं करता था. जब हमने सुना कि वह जीवन में आगे बढ़ गया है तो हमें खुशी हुई और गर्व महसूस हुआ. लेकिन ये कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था कि वह वास्तव में एक जालसाज निकलेगा.''उसके पिता मनोरंजन देब राज्य आबकारी विभाग के सेवानिवृत्त उप समाहर्ता हैं जो इस सदमे से बिस्तर पकड़ चुके हैं और किसी से भी मिलने से इनकार कर रहे हैं. वहीं, पड़ोसियों ने  भी परिवार का बहिष्कार कर दिया है.

देब ने चारुचंद्र कॉलेज से प्राणिविज्ञान में स्नातक किया है और उसने कलकत्ता विश्वविद्यालय में जेनेटिक्स में मास्टर डिग्री के लिए दाखिला लिया था जिसे वह कभी पूरा नहीं कर पाया. 2014 में जब देब प्रशासनिक सेवा परीक्षा में शामिल हुआ, तब से चीजें बदलने लगीं. 28 वर्षीय देबांजन के खिलाफ मामले की जांच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘देबांजन कभी प्रशासनिक सेवा परीक्षा पास नहीं कर पाया लेकिन उसने अपने माता पिता को बताया कि वह परीक्षा में सफल रहा है और उसे प्रशिक्षु के तौर पर बाहर जाना होगा.''

Advertisement

प्रशिक्षण के लिए मसूरी जाने के बजाय देब ने एक इवेंट मैनेजमेंट कंपनी के साथ काम किया और उस दौरान वह कुछ गानों के एलबम में नजर आया. 2017 में वह वापस आया और अपने माता पिता से कहा कि उसका प्रशिक्षण पूरा हो गया है और उसे राज्य सचिवालय में नियुक्ति मिली है. पिछले साल महामारी की शुरुआत के बाद उसने सैनेटाइजर, मास्क, पीपीई किट, दस्ताने खरीदने शुरू किये और अपना कारोबार चलाने के लिए तलताला में एक कमरा किराये पर लिया. पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘इस काम में उसे अच्छा मुनाफा हुआ और इसी क्रम में उसने कई पुलिस थानों के अधिकारियों, नेताओं और अन्य प्रभावी लोगों से मुलाकात करना शुरू किया.''

Advertisement

वह नेताओं, बड़े अधिकारियों को बताता था कि वह एक सामाजिक कार्यकर्ता है. उसने खुद की पहचान एक सरकारी अधिकारी के तौर पर स्थापित करने में लंबा रास्ता तय किया. यहां तक कि कोलकाता नगर निगम के अकाउंट से मिलते जुलते फर्जी ईमेल अकाउंट बनाये. ऐसे ही मामलों पर अध्ययन कर रहे मनोविज्ञानी देबाशीष चक्रवर्ती ने पीटीआई से कहा, ‘‘लोग जब आपको सम्मान और तवज्जो देते हैं तो उससे एक किस्म की आत्मिक संतुष्टि मिलती है, चाहे यह गलत करने से ही क्यों न मिले. देबांजन के मामले में भी ऐसा ही प्रतीत होता है.''

Advertisement

हीरानंदानी हेरिटेज सोसाइटी में फर्जी लगा था वैक्सीनेशन कैंप, आपदा में अवसर खोजने वाले ठग गिरफ्तार!

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
Featured Video Of The Day
Delhi Elections: दिल्ली में PM Modi ने फूंका चुनावी बिगुल, 4500 Crore की सौगात दी | BJP | AAP