खाद्य तेल (Edible Oil) की कीमतों को और कम करने तथा जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए केंद्र (Government) ने शुक्रवार को खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक रखने की सीमा (Stock Limit) 30 जून तक बढ़ा दी. इसके अलावा, सरकार ने उन स्टॉक सीमाओं को निर्दिष्ट किया है जिन्हें उन राज्यों द्वारा लगाया जाना है जिन्होंने स्टॉक रखने की सीमा पर पहले के आदेश को लागू नहीं किया है. अक्टूबर 2021 में, उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मार्च 2022 तक स्टॉक की सीमा लगा दी थी और उपलब्ध स्टॉक और खपत प्रतिरूप के आधार पर स्टॉक की सीमा तय करने का निर्णय राज्यों पर छोड़ दिया था.
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केंद्र के अक्टूबर 2021 के आदेश के अनुसार, छह राज्यों - उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान और बिहार ने अपने-अपने राज्यों में स्टॉक रखने की सीमा तय कर दी थी. खाद्य तेलों के लिए, खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक सीमा 30 क्विंटल, थोक विक्रेताओं के लिए 500 क्विंटल, थोक उपभोक्ताओं के लिए 30 क्विंटल यानी बड़ी श्रृंखला वाले खुदरा विक्रेताओं और दुकानों के लिए और इसके डिपो के लिए 1,000 क्विंटल होगी.
खाद्य तेलों के प्रसंस्करणकर्ता अपनी भंडारण क्षमता के 90 दिनों का स्टॉक कर सकेंगे. खाद्य तिलहन के लिए, खुदरा विक्रेताओं के लिए स्टॉक की सीमा 100 क्विंटल और थोक विक्रेताओं के लिए 2,000 क्विंटल होगी. बयान में कहा गया है कि खाद्य तिलहन के प्रसंस्करणकर्ता दैनिक उत्पादन क्षमता के अनुसार खाद्य तेलों के 90 दिनों के उत्पादन का स्टॉक कर सकेंगे. इसमें कहा गया है कि निर्यातकों और आयातकों को कुछ चेतावनियों के साथ इस आदेश के दायरे से बाहर रखा गया है. इस आदेश में जिन छह राज्यों को छूट दी गई है, उनकी संबंधित कानूनी संस्थाओं को राज्य प्रशासन द्वारा निर्धारित स्टॉक सीमा का पालन करना है और इसे पोर्टल पर घोषित करना है.
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मंत्रालय के अनुसार, इस कदम से बाजार में जमाखोरी और कालाबाजारी जैसी किसी भी अनुचित कामकाज पर अंकुश लगने की उम्मीद है, जिससे खाद्य तेलों की कीमतों में कोई वृद्धि हो सकती है. वैश्विक बाजार में तेजी के कारण खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों में तेजी आई है.