लगभग दो दिनों तक चले 'भारत-इंडिया' राजनीतिक विवाद के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रियों से इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से दूर रहने को कहा है. सूत्रों के अनुसार उन्होंने मंत्रिपरिषद की बैठक जहां जी20 और अन्य मुद्दों पर चर्चा हुई में यह कहा, "टिप्पणी न करें." खबरों की मानें तो ये पहली बार है जब पीएम मोदी ने अपने मंत्रियों के साथ इस विषय पर चर्चा की है.
बता दें कि बीते दो दिनों में विपक्ष ने इस मुद्दे पर रणनीति तैयार करने के लिए दो बैठकें की हैं. बुधवार सुबह, पूर्व कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर नौ विषयों की एक सूची दी थी, जिन पर 18 सितंबर से शुरू होने वाले संसद के विशेष सत्र में चर्चा की जा सकती है.
हालांकि, इस पर सरकार ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सोनिया गांधी परंपरा पर ध्यान नहीं देती हैं, जिसके तहत सत्र शुरू होने से पहले एजेंडे पर चर्चा की आवश्यकता नहीं की जा सकती.
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने लिखा, "राष्ट्रपति द्वारा सत्र बुलाए जाने के बाद और सत्र शुरू होने से पहले सभी दलों के नेताओं की बैठक होती है जिसमें संसद में उठ रहे मुद्दों पर चर्चा की जाती है. मुद्दों और कामकाज पर चर्चा की जाती है."
गौरतलब है कि सोमवार को जब यह खबर सुर्खियों में आई कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के जी20 नेताओं के निमंत्रण में उन्हें 'भारत की राष्ट्रपति' बताया गया है, तो विपक्ष और बीजेपी आपस में भिड़ गए. अगले दिन, एक दस्तावेज़ सामने आया जिसमें पीएम मोदी को "भारत का प्रधान मंत्री" बताया गया.
विपक्ष ने सत्तारूढ़ दल पर आरोप लगाया है कि वह अपने शासन में कमियों से ध्यान भटकाने के लिए ये सब काम कर रही है, जिससे बेरोजगारी, गरीबी और महंगाई बढ़ी है. उन्होंने कहा कि यह मुद्दा विपक्षी मोर्चे द्वारा खुद को INDIA कहे जाने का भी नतीजा है.
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