राज्यों के दबाव के आगे केंद्र सरकार को वैक्सीनेशन पॉलिसी (Vaccine Policy) में बदलाव के लिए बाध्य करने के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ( Tamil Nadu Chief Minister MK Stalin) बेहद उत्साहित हैं. स्टालिन ने अब 12 विपक्षशासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर उनसे कोरोना की मार झेल रहे सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के लिए लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) यानी कर्ज अदायगी में कुछ वक्त तक मोहलत की मांग को लेकर एकजुट करने में लग गए हैं. कोरोना की पहली लहर के दौरान छोटे उद्योगों को कर्ज अदायगी में कुछ अवधि तक के लिए छूट दी गई थी. बाद में ब्याज पर ब्याज में छूट में भी थोड़ी राहत मिली थी. लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में ऐसा कुछ नहीं हुआ.
स्टालिन ने इन राज्यों को लिखे पत्र में कहा है कि हमारे सामूहिक प्रयासों के कारण केंद्र सरकार ने अपनी टीकाकरण नीति बदली है. अब हमें अपनी सामूहिक ताकत इस जरूरत के वक्त फिर दिखानी होगी. स्टालिन ने यह पत्र सभी गैर भाजपाशासित राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, पंजाब, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र, दिल्ली और पश्चिम बंगाल आदि के मुख्यमंत्रियों(Chief Ministers) को लिखा है. स्टालिन ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के दौरान लघु उद्योगों (MSME) के साथ समान व्यवहार देखने को नहीं मिला
लिहाजा लघु उद्योगों को कर्ज अदायगी में कुछ वक्त तक मोहलत जैसी राहत के लिए मुख्यमंत्रियों से उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Union Finance Minister Nirmala Sitharaman) और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को पत्र लिखने की अपील की है. स्टालिन ने लिखा कि लॉकडाउन के दूसरे चरण के दौरान छोटे कारोबारियों को राहत के लिए कुछ नहीं किया गया.
वित्त मंत्री को चाहिए कि वे 5 करोड़ रुपये तक के कर्ज पर कम से दो तिमाहियों के लिए छूट प्रदान करें. अगर ऐसी राहत छोटे कारोबारियों को नहीं मिलती है तो वे गंभीर आर्थिक संकट में फंस जाएंगे और उनमें से बहुत से लोगों को अपना कारोबार बंद करना पड़ जाएगा. जबकि ये एमएसएमई देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन करते हैं.
पत्र में स्टालिन ने लिखा है कि एमएसएमई और छोटे कारोबारी लॉकडाउन के बाद से आर्थिक कठिनाइयां झेल रहे हैं. दरअसल केंद्र सरकार मई की विवादास्पद वैक्सीन नीति को लेकर राज्यों को कथित तौर पर दोषी ठहरा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में भी कहा था कि राज्य ही लगातार वैक्सीन खरीद की नीति में बदलाव की मांग कर रहे थे. उनका कहना था कि संघीय ढांचे के तहत केंद्र ऐसे अधिकार राज्यों को देने से इनकार नहीं कर सकता.