केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कर्मियों में टीकाकरण के निम्न स्तर, खासतौर पर दूसरी खुराक के मामले को ‘ गंभीर चिंता' करार देते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को बृहस्पतिवार को सलाह दी कि वे प्राथमिकता वाले समूह को दूसरी खुराक देने पर ध्यान केंद्रित करें एवं इसके लिए प्रभावी योजना बनाएं. स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी बयान के मुताबिक टीकाकरण में प्रगति के लिए केंद्र स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण की अध्यक्षता में राज्यों के साथ उच्च स्तरीय बैठक हुई और इस दौरान रेखांकित किया कि गया कि 82 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मियों (एचसीडब्ल्यू) को ही टीके की पहली खुराक दी गई है जबकि दूसरी खुराक के मामले में यह संख्या महज 56 प्रतिशत है.
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बयान के मुताबिक पंजाब, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, तमिलनाडु और असम सहित 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में इस समूह के टीकाकरण का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम है. बयान में कहा गया कि अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कर्मियों में 85 प्रतिशत को टीके की पहली खुराक दी गई लेकिन दूसरी खुराक केवल 47 प्रतिशत कर्मियों को ही दी गई है.
इसके मुताबिक बिहार, हरियाणा, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी, तेलंगाना, कर्नाटक और पंजाब सहित कुल 19 राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश ऐसे हैं जहां पर अग्रिम मोर्चे के कर्मियों को दूसरी खुराक देने का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत से कम है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव दोहराया कि महामारी से निपटने के लिए स्वास्थ्य सेवा की रक्षा व इस समूह के बीच सार्वभौमिक टीकाकरण जरूरी है एवं लाभार्थियों की पूर्ण सुरक्षा के लिए समय पर टीकाकरण अहम है. राज्यों से कहा गया कि वे स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम मोर्चे पर कार्यरत कर्मियों पर ध्यान केंद्रित करें और दूसरी खुराक सुनिश्चित करने के लिए प्रभावी योजना बनाए.
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बयान के मुताबिक राज्यों को इस समूह के टीकाकरण के लिए विशेष समय और सत्र निर्धारित करने का सुझाव दिया गया.भूषण ने रेखांकित किया कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी अपर्याप्त है. संशोधित दिशानिर्देश के मुताबिक निजी अस्पताल कुल उपलब्ध टीके का 25 प्रतिशत खरीद सकते हैं. बयान के मुताबिक सीमित संख्या में निजी अस्पतालों की मौजूदगी और उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों में इनके असमान वितरण को रेखांकित किया गया.