भर्ती परीक्षा प्रश्न पत्र का सोशल मीडिया पर एनालिसिस तो एक करोड़ का जुर्माना या जेल... SSC का फरमान

एसएससी ने कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए उसके द्वारा आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों का सोशल मीडिया पर ‘‘विश्लेषण’’ किया गया तो कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.

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SSC ने नोटिस में कहा कि किसी भी उल्लंघन पर पीईए अधिनियम के प्रावधानों के अलावा, अन्य कानूनों के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी. (प्रतीकात्‍मक फोटो)
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  • SSC ने कहा कि उसकी परीक्षाओं के प्रश्नपत्रों का सोशल मीडिया पर विश्लेषण या प्रसार करना सजा योग्य अपराध है.
  • सार्वजनिक परीक्षा (कदाचार की रोकथाम) अधिनियम, 2024 के तहत ऐसी गतिविधियों पर 10 वर्ष तक की जेल हो सकती है.
  • अधिनियम के अनुसार जुर्माने की राशि एक करोड़ रुपये तक हो सकती है और संगठित अपराध में दंड और कठोर होगा.
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नई दिल्‍ली:

कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों का सोशल मीडिया पर एनालिसिस करना अब महंगा पड़ सकता है. इसके लिए 5 से 10 साल की सजा और एक करोड़ रुपए तक का जुर्माना हो सकता है. एसएससी ने कहा कि सरकारी नौकरियों के लिए उसके द्वारा आयोजित की जाने वाली भर्ती परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों का सोशल मीडिया पर ‘‘विश्लेषण'' किया गया तो कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. इसे लेकर एक नोटिस में कहा गया है कि सार्वजनिक परीक्षा (कदाचार की रोकथाम) अधिनियम, 2024 (पीईए अधिनियम, 2024) के प्रावधानों के तहत ऐसी सभी गतिविधियां सख्त वर्जित हैं. एसएससी ने अपने नोटिस में अधिनियम के उन प्रावधानों का हवाला दिया, जिनमें जुर्माना और जेल की सजा सहित दंड का प्रावधान है.

नोटिस में कहा गया है, ‘‘आयोग के संज्ञान में आया है कि कुछ व्यक्ति कर्मचारी चयन आयोग द्वारा आयोजित/जारी परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों की सामग्री पर सोशल मीडिया पर चर्चा, विश्लेषण या प्रसार कर रहे हैं.''

SSC ने किया आगाह

इसमें कहा गया है कि ऐसे में सभी सामग्री (कंटेंट) निर्माताओं, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और व्यक्तियों को आगाह किया जाता है कि वे एसएससी परीक्षा के प्रश्नपत्रों या उनकी सामग्री पर चर्चा, विश्लेषण या प्रसार में किसी भी तरह से शामिल न हों.

एसएससी ने 8 सितंबर के नोटिस में कहा, ‘‘किसी भी उल्लंघन पर पीईए अधिनियम, 2024 के उपरोक्त प्रावधानों के अलावा, अन्य लागू कानूनों के तहत कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी.''

आयोग सभी उम्मीदवारों और हितधारकों से परीक्षाओं की शुचित बनाए रखने में सहयोग करने और ऐसी प्रतिबंधित सामग्री से जुड़ने या उसे बढ़ावा देने से परहेज करने की अपील करता है.

पीईए अधिनियम की धारा 9 का हवाला देते हुए, आयोग ने कहा कि इसके तहत सभी अपराध ‘‘संज्ञेय, गैर-जमानती और गंभीर आपराधिक कृत्य'' हैं.

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सजा-जुर्माने का प्रावधान

एसएससी ने कहा कि उक्त अधिनियम की धारा 10 में, इस तरह के अपराध में संलिप्त व्यक्तियों के लिए 3 से 5 साल की कैद और 10 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है, जबकि संगठित अपराध के लिए यह अवधि 5 से 10 साल की है और जुर्माने की राशि 1 करोड़ रुपये से कम नहीं होगी.

इस धारा में, सेवा प्रदाताओं/संस्थानों द्वारा अपराध किए जाने की स्थिति में 1 करोड़ रुपये तक के जुर्माने, भविष्य की परीक्षाओं से अयोग्य घोषित करने और लागत वसूलने का प्रावधान है.

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आयोग ने कहा कि अधिनियम की धारा 3 बिना अधिकार के प्रश्न पत्रों, उत्तर कुंजियों या उसके किसी भी भाग के लीक होने, सामने आने, पहुंच, रखने या प्रसार पर रोक लगाती है.

एसएससी केंद्र सरकार की सबसे बड़ी भर्ती एजेंसियों में से एक है, जिसका प्राथमिक कार्य विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों में अराजपत्रित पदों के लिए चयन करना है.

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