बिहार चुनाव के नतीजों के बाद कांग्रेस (Congress) में आंतरिक कलह अब खुलकर सामने आ रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने एक इंटरव्यू में कहा कि कांग्रेस ने न सिर्फ बिहार चुनाव बल्कि देश के अन्य राज्यों में हुए उपचुनाव को भी गंभीरता से नहीं लिया. जिसके बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) ने सिब्बल पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर ऐसे नेता वाकई संवेदनशील थे तो उनको जमीन पर यह फर्क साबित करना था. क्या उन्होंने पार्टी के हित में बिहार चुनाव में कोई काम किया. चौधरी के बयान पर सिब्बल तो कुछ नहीं बोले लेकिन उनके करीबी नेताओं ने हैरानी जताते हुए इसका जवाब दिया है.
सूत्रों के मुताबिक, कपिल सिब्बल के करीबियों ने बताया है कि सिब्बल के बिहार में चुनाव प्रचार न करने की वजह से अधीर रंजन चौधरी व अन्य पार्टी नेता अनजान हैं. दरअसल G-23 के ज्यादातर नेता बिहार चुनाव के लिए प्रचारकों की लिस्ट में नहीं थे और वह बगैर पार्टी की अनुमति के प्रचार के लिए नहीं जा सकते थे. यहां G-23 से मतलब उन 23 नेताओं से है, जिन्होंने इसी साल अगस्त में पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पत्र लिख पार्टी में बदलाव की मांग की थी.
कपिल सिब्बल के यह करीबी ज्यादातर कांग्रेस पार्टी से जुड़े हैं. वह मानते हैं कि कहीं न कहीं पार्टी के भीतर समस्या है और इसे जल्द सुलझा लिया जाना चाहिए. वह मानते हैं कि जब तक पार्टी बदलाव की दिशा में कोई बड़ा कदम नहीं उठाती, कांग्रेस नरेंद्र मोदी सरकार से आगे नहीं निकल सकती.
चुनावों में हार पर कांग्रेस में कलह : कपिल सिब्बल के बाद चिदंबरम ने भी उठाए सवाल
बताते चलें कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने पश्चिम बंगाल में पत्रकारों से बातचीत में कपिल सिब्बल से जुड़े विवाद पर कहा था, 'अगर कोई नेता सोचता है कि कांग्रेस उसके लिए सही पार्टी नहीं है तो वो नई पार्टी बना सकता है या कोई और पार्टी जॉइन कर सकता है, जिसके बारे में वो सोचता हो कि ये उसके लिए सही दल है, लेकिन उनको इस तरह की शर्मनाक गतिविधियों में लिप्त नहीं होना चाहिए, जिससे कांग्रेस पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हों.'
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