- कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली एक याचिका को दिल्ली की अदालत ने खारिज कर दिया.
- हाईकोर्ट ने एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन के नाम और तस्वीरों का ऑनलाइन अवैध इस्तेमाल पर रोक लगा दी है.
- एक्ट्रेस-सांसद कंगना रनौत के किसान आंदोलन में एक महिला के मानहानि मामले पर SC 12 सितंबर को सुनवाई करेगा.
राजनीति और फिल्म से जुड़ी तीन हस्तियों - सोनिया गांधी, ऐश्वर्या राय बच्चन और कंगना रनौत के अदालती मामले गुरुवार को चर्चा में रहे. कहीं नागरिकता से पहले वोटर लिस्ट में नाम जुड़ने का आरोप खारिज हुआ, तो कहीं एक एक्ट्रेस के नाम और पहचान के अधिकारों की रक्षा करते हुए डिजिटल शोषण पर रोक लगा दी गई, और कहीं एक ट्वीट से पैदा हुआ मानहानि का विवाद सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुंच गया.
ऐश्वर्या राय : नाम-फोटो के अवैध इस्तेमाल पर रोक
दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड एक्ट्रेस ऐश्वर्या राय बच्चन के व्यक्तिगत पहचान के अधिकारों की रक्षा करते हुए ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर उनके नाम और तस्वीरों का अवैध रूप से व्यावसायिक फायदे के लिए इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है.
जस्टिस तेजस करिया ने अंतरिम आदेश में कहा कि जब किसी प्रसिद्ध व्यक्ति की पहचान का उपयोग उनकी सहमति या अनुमति के बिना किया जाता है, तो इससे न केवल संबंधित व्यक्ति को व्यावसायिक नुकसान हो सकता है बल्कि सम्मान के साथ जीने के उसके अधिकार पर भी असर पड़ सकता है. ऐसे मामलों में अदालतें आंखें नहीं मूंद सकतीं.
कोर्ट ने कहा कि अदालतें पीड़ित पक्षों की रक्षा करेंगी ताकि ऐसे अनधिकृत शोषण से उन्हें नुकसान को बचाया जा सके. ऐश्वर्या की याचिका में कई वेबसाइटों को प्रतिवादी बनाते हुए आरोप लगाया गया था कि वे गैरकानूनी रूप से उनके नाम और तस्वीर वाले प्रोडक्ट बेचती हैं.
सोनिया गांधी : वोटर लिस्ट में जालसाजी का आरोप खारिज
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के खिलाफ कार्रवाई की मांग वाली उस याचिका को दिल्ली की एक अदालत ने खारिज कर दिया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि उनका नाम भारतीय नागरिक बनने से तीन साल पहले ही मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया था.
अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट वैभव चौरसिया ने शिकायतकर्ता विकास त्रिपाठी की याचिका खारिज करते हुए ये आदेश दिया. त्रिपाठी की और से सीनियर एडवोकेट पवन नारंग ने दावा किया था कि सोनिया गांधी का नाम 1980 में नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र की मतदाता सूची में शामिल था, जिसे 1982 में हटा दिया गया था. उसके बाद 1983 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के बाद फिर से दर्ज किया गया.
यह याचिका भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 175 (4) (मजिस्ट्रेट को जांच का आदेश देने की शक्ति) के तहत दायर की गई थी. इसमें जालसाजी और धोखाधड़ी के संदेह के आरोप की जांच करने के निर्देश देने की मांग की गई थी. अब कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है.
कंगना रनौत : महिला को 'दादी' बताने पर सुप्रीम सुनवाई
एक्ट्रेस और भाजपा सांसद कंगना रनौत की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 12 सितंबर को सुनवाई करेगा जिसमें 2020-21 में हुए किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक महिला के खिलाफ कथित अपमानजनक टिप्पणी पर दर्ज मामले को रद्द करने से हाईकोर्ट के इनकार को चुनौती दी गई है. जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच सुनवाई करेगी.
दरअसल, कंगना ने अब निरस्त हो चुके कृषि कानूनों के खिलाफ 2020-21 के किसानों के प्रदर्शन के दौरान महिला प्रदर्शनकारी महिंदर कौर के बारे में अपनी टिप्पणी करते हुए एक पोस्ट को रीट्वीट किया था.
पंजाब के बठिंडा की रहने वाली 73 वर्षीय महिंदर कौर ने 2021 में शिकायत दर्ज कराई थी कि अभिनेत्री ने एक रीट्वीट में उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाते हुए कहा था कि वह वही दादी (बिलकिस बानो) हैं, जो शाहीन बाग में हुए विरोध प्रदर्शन का हिस्सा थीं. इस पर बठिंडा कोर्ट के समन को चुनौती देते हुए कंगना ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की.
हाईकोर्ट ने 1 अगस्त को कंगना रनौत की याचिका खारिज करते हुए आदेश में कहा था कि कंगना सेलिब्रिटी हैं और उनके झूठे और मानहानि वाले आरोपों ने महिला की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाई है. महिला को खुद अपनी नजर में और दूसरों की नजर में नीचा दिखाया है. ऐसे में उनके अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत दर्ज करने को दुर्भावनापूर्ण नहीं कहा जा सकता. अब कंगना की अपील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी.