बेटे को मालूम था सिर्फ नाम, जापान से गूगल मैप के जरिए पहुंचा पंजाब, 19 साल बाद पिता से मुलाकात का ऐसा था मंजर

लगभग 2 दशक बाद जब दोनों पिता पुत्र मिले तो दोनों ही भावुक हो गए. जिस बेटे को सुखपाल सिंह 2 साल की उम्र में छोड़कर आए थे वो अब ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स में पढ़ाई करता है.

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नई दिल्ली:

जापान का एक युवक अपने भारतीय पिता की खोज में पंजाब का अमृतसर पहुंच गया. फिल्मी कहानी की तर्ज पर 2 दशक बाद जब पिता-पुत्र मिले तो दोनों भावुक हो गए. जानकारी के अमृतसर के रहने वाले सुखपाल सिंह (Sukhpal Singh) की मुलाकात थाईलैंड में एक जापानी महिला से हुई, बाद में उन्होंने 2002 में उससे शादी कर ली और टोक्यो के पास चिबा केन में रिन की मां साची के साथ रहने लगे.  उनके बेटे, रिन का जन्म 2003 में हुआ, लेकिन दोनों के रिश्तों में कठिनाइयां आने लगी.  शादी के कुछ साल बाद दोनों अलग हो गए. परिणामस्वरूप, जापान में पैदा हुआ उनका दो वर्षीय बेटा, रिन ताकाहाता को कभी भी अपने पिता का प्यार नहीं मिला. 

2007 के बाद से नहीं था कोई संपर्क
2007 में भारत लौटने के बाद से सुखपाल का अपने बेटे या पत्नी से कोई संपर्क नहीं रहा. रिन, जो अब जापान में रहता है, हाल ही में अपने पिता से मिलने के लिए पंजाब पहुंच गया.  पिता-पुत्र के मिलन का एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. फुटेज में दिखाया गया कि कैसे पिता और पुत्र लगभग दो दशक अलग रहने के बाद एक-दूसरे को गले लगाते हुए भावनाओं से भरे हुए थे. 

सुखपाल सिंह ने एएनआई को बताया, "मेरे बेटे ने एक तस्वीर का उपयोग करके और लोगों से मेरे बारे में पूछकर अथक प्रयास किया. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा है कि मैं अपने बेटे से मिल रहा हूं; यह एक सपने जैसा लगता है, और मुझे उम्मीद है कि यह कभी खत्म नहीं होगा." उन्होंने कहा, "अपने बेटे से मिलना हमेशा मेरे दिल में रहता था; मैं उसे कभी कैसे भूल सकता हूं?"

रिन ताकाहाता जापान में ओसाका यूनिवर्सिटी ऑफ़ आर्ट्स का एक छात्र है. रिन ने अपने पिता के साथ साझा किया कि एक फैमिली ट्री प्रोजेक्ट पर काम करते समय, उसे एहसास हुआ कि वह परिवार में केवल अपनी मां के पक्ष को जानता है और अपने पिता के पक्ष के किसी भी सदस्य को नहीं जानता है. और अधिक जानने के लिए दृढ़ संकल्पित होकर, उसने अपने पिता को खोजने की यात्रा शुरू की. पते का पता लगाने के लिए Google मैप का उसने उपयोग किया. रिन 15 अगस्त को अपने गंतव्य पर पहुंचा. कुछ समस्याओं का सामना करने के बावजूद, वह अंततः 18 अगस्त को अपने पिता से मिलने में सफल रहा. 

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