मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बालाघाट (Balaghat) में दुर्गा पूजा (Durga Puja) के दौरान चंदा नहीं देने की वजह से 14 आदिवासी (Tribal) परिवारों का गांव वालों ने बहिष्कार कर दिया है. पहले गांव में ही विवाद सुलझाने की कोशिश की गई लेकिन हल नहीं निकला तो हफ्तों बाद पीड़ित परिवार ने आला अधिकारियों से इस मामले में बालाघाट जिला मुख्यालय पहुंचकर शिकायत दर्ज कराई है. बालाघाट जिले के मोते गांव से ये आदिवासी बालाघाट जिला मुख्यालय आए. आरोप है कि दुर्गा महोत्सव के लिए गांव के कुछ दबंगों ने 201 रुपये का चंदा मांगा था लेकिन कोरोना में आर्थिक स्थिति गड़बड़ होने से वे सिर्फ 151 रुपये ही दे पाए. महज 50 रुपये नहीं दे पाने की वजह से गांव में दबंगों ने उन्हें बहिष्कृत कर दिया. उनका हुक्का-पानी रोक दिया.
एक पीड़ित मुनसिंग मसराम ने कहा कि ''गांव से बंद कर दिया गया. गाय, दुकान, डॉक्टर सब बंद कर दिया. ये अध्यक्ष महोदय हैं सार्वजनिक गांव के. वहां टीआई को शिकायत दी थी पर वो समझे नहीं हैं.'' एक अन्य पीड़ित धनसिंह परते ने कहा कि ''गांव, चरवाहा से, डॉक्टर इलाज से, अनेक प्रकार की दिक्कत मिल रही है. गांव में विवाद खत्म करने की बात चल रही थी नहीं हुआ तो यहां आए.''
पुलिस ने पीड़ितों को मामले की जांच करने का आश्वासन दिया है. गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ''ये स्थानीय मामला झांकी लगाने का है. ये लामटा थाने का मामला है. चूंकि आज एसडोओपी, टीआई को भेजा है परस्पर सामंजस्य के लिए, हल नहीं निकला तो शाम तक कार्रवाई होगी.''
विपक्ष इस मामले पर हमलावर है, कह रहा है कि सरकार ऐसे मामलों में चर्चा से भागती है. कांग्रेस नेता सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि ''नवरात्रों का समय बीत गया, उनकी रिपोर्ट नहीं लिखी गई. हम विधानसभा में ऐसे मुद्दों पर बहस की मांग करते हैं तो वो सात दिन का सत्र दो दिन में खत्म कर देते हैं. जनहित से बहुत दूर बीजेपी की सरकार है.''
एनसीआरबी के हाल में आए आंकड़ों के मुताबिक अनुसूचित जनजाति पर सबसे ज्यादा 1868 अपराध मध्यप्रदेश में दर्ज हुए. इसके बाद 1095 मामलों के साथ राजस्थान और 388 मामलों के साथ छत्तीसगढ़ रहा है.